मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का पांचवा चरण हुआ प्रारम्भ
150 दलों के द्वारा 2.90 लाख लोगों की होगी रक्त जांच
बस्तर जिले को मलेरिया मुक्त करने को स्वास्थ्य विभाग व्यापक अभियान चला रहा है। बीते चार सफल आयोजन के बाद अब मलेरिया मुक्त बस्तर का पांचवा चरण शुरू किया गया है। 22 नवम्बर से 22 दिसम्बर तक चलने वाले इस अभियान में विभाग के 480 अधिकारी-कर्मचारी 150 दलों के साथ अंदरूनी क्षेत्रों में जाकर 2.90 लाख लोगों के खून की जांच कर मलेरिया का पता लगाएंगे। प्रत्येक दल में 4 सदस्य होंगे, जिसमे स्वास्थ्य विभाग और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संयुक्त रूप से घर-घर भ्रमण कर मलेरिया के लक्षण वाले मरीजों की पहचान करेंगे। इसके अलावा मलेरिया जांच हेतु मोबाइल टीम का भी गठन किया गया है। यह मोबाइल टीम मलेरिया प्रभावित क्षेत्र के हाट बाजारों में छूटे हुए लोगो की मलेरिया जांच करेगी।
इस संबंध में सीएमएचओ डॉ. डी. राजन ने जिले वासियों से अपील करते हुए कहा: “घर-घर भ्रमण के दौरान आए स्वास्थ्यकर्मी से अपनी जांच कराएं, मलेरिया के मच्छर स्थिर जल में पनपते हैं इसलिये अपने घर या आसपास पानी जमा न होने दें। जमा हुआ पानी में जला हुआ मोबिल ऑयल अथवा मिट्टी का तेल अवश्य डालें , नालियों को साफ रखें। मलेरिया मुक्त अभियान को सफल बनाने के लिये अपना सहयोग दें।“
ऐसे होता है मलेरिया
मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। खून के जरिए शरीर में घुसते ही विषाणु यकृत (लीवर) तक पहुंच जाता है। लीवर में मलेरिया का विषाणु परिपक्व हो जाता है और बच्चे पैदा करने लगता है। विषाणुओं की संख्या बढऩे के साथ ही शरीर बीमार होने लगता है। शुरुआत में रोगी को शरीर में दर्द के साथ बुखार, सिरदर्द, उल्टी या गले में सूखे कफ की शिकायत होती है। ऐसा होने पर अगर खून की जांच कराई जाए तो मलेरिया का पता आसानी से चल जाता है। लापरवाही की जाए या समय से इलाज न किया जाए तो रोगी की हालत गंभीर भी हो सकती है ।
जिला मलेरिया अधिकारी एस.एस. टीकाम ने बताया, " इस अभियान का उद्देश्य मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों से मलेरिया परजीवी नष्ट करना है। बस्तर जिले के आश्रम, छात्रावास और बटालियन के कैम्प में भी मलेरिया की जांच स्वास्थ्य अमला द्वारा की जाएगी। प्रत्येक परिवार के सदस्यों की जाँच के दौरान किसी व्यक्ति में मलेरिया के लक्षण या रोगी मिलते है तो उन्हें सर्वे दल के सामने ही दवा की ख़ुराक खिलायी जाएगी। जांच के दौरान गम्भीर प्रकरण पाए जाने पर मरीज को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल में रिफर किया जाएगा।"
ऐसे करें बचाव
अपने आसपास कहीं पर भी पानी इकट्ठा न होने दें। घर की छत पर पड़े टायर या फिर गमलों को पूरी तरह से ढक दें। घर के फर्श और आसपास को फिनाइल जैसे कीटाणुनाशक से साफ करते रहे। रात को सोते समय मच्छर मारने वाली क्वाइल या फिर मच्छरदानी लगाकर सोएं। ठंड के मौसम में हाथ और पैर ढकने वाले कपड़े पहनें।