बसना : जया एकादशी पर मंगल कलश यात्रा के साथ हुआ सामुहिक एकादशी उद्यापन
बसना विकासखंड के ग्राम गुढ़ियारी में आयोजित दो दिवसीय एकादशी व्रत का उद्यापन कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने मंगल कलश यात्रा कर श्रद्धा भाव से कथा का श्रवण एवं पूजनकर समापन किया। नायक परिवार के द्वारा आयोजित दो दिवसीय सामूहिक एकादशी उद्यापन में वर्षीतप परणों में पूर्व सरपंच गुढ़ियारी रणजीत मेमबाई नायक, आनंदराम-चम्पाबाई नायक, यादवलाल-ममता नायक, मिनिकेतन-ज्योति नायक, नानदाई नायक, मधुसूदन-देवकीबाई नायक रामलाल पटेल-अहिल्याबाई रेमड़ा और बाबूलाल पटेल- लीलाबाई डिकेपुर ने सामूहिक उद्यापन किया।
पहले दिन पं. बादल महाराज के सानिध्य में सैकड़ो की संख्या में महिलाओं ने मंदिर तालाब से पूजा अर्चना कर भक्ति गीत-संगीत एवं गाजे बाजे के साथ भगवान लक्ष्मी नारायण के जयकारे लगाते ग्राम भ्रमण कर आयोजन स्थल पहुंचे। रात्रि में पं. बादल महाराज ने एकादशी व्रत कथा का भक्तिमय गीतों से कथा का श्रद्धालुओं को रसपान कराते हुए बताया कि 1 महीने में कृष्णपक्ष एवं शुक्लपक्ष माह में 2 एकादशियां होती है।
इस प्रकार 1 वर्ष के 12 महीनों में 24 जिसमें प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 2 एकादशियां जुड़कर ये कुल 26 एकादशी व्रत पापमोचनी, कामदा, वरुथिनी, मोहिनी, अपरा, निर्जला, योगिनी, देवशयनी, कामिका, पवित्रा, अजा, जलझुलनी, इंदिरा, पापांकुशा, रमा, देवप्रबोधिनी, उत्पन्नि या उत्पन्ना, मोक्षदा, सफला, पुत्रदा, षटतिला, जया, विजया, आमलकी सहित पुरुषोत्तम मास की परमा और पद्मिनी एकादशी व्रत नियमानुसार रखना होता है। जिसमें भगवान विष्णु लक्ष्मीनारायण के अलग-अलग 26 स्वरूपों की पूजा की जाती है। सनातन हिंदू धर्म में एकादशी व्रत के महत्व, नियम के बारे बताते हुए कहा कि हजारों यज्ञों के अनुष्ठान, चार धाम की यात्रा करने से भी ज्यादा अश्वमेध यज्ञ कराने जैसे पुण्य का लाभ प्राप्त होता है।
एकादशी व्रत को करने से जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं और उपवास करने वाला दिव्य फल प्राप्त करता है। एकादशी व्रत में व्रत के बाद उद्यापन करना महत्वपूर्ण होता है। उद्यापन के बगैर व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नही होता। सभी श्रद्धालुओं को मोक्ष की प्राप्ति हेतु एकादशी व्रत के नियमों को पालन करते हुए व्रत रखने को कहा। पूर्व सरपंच रणजीत मेमबाई नायक सहित सभी यजमानों ने हवन, पुर्णाहुति मंगल आरती कर, गौ माता का पूजन करके गोदान, ठाकुरजी की शैया दान, ब्राह्मण देवताओं को दक्षिणा कर भोजन प्रसादी महाभण्डारा आयोजन कर उनके चरण छूकर जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, सात्विकता, स्वास्थ्य और सौभाग्य का उदय आशीर्वाद प्राप्त किया। इस बड़ी संख्या श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।