बसना : खेती को बनाया व्यवसाय, 4 एकड़ से की शुरुआत अब 40 एकड़ में सब्जी की फसल, दे रहे रोजगार
शहर के युवाओं ने मेहनत लगन से बंजर जमीन को बना डाला कमाई का जरिया
अक्सर युवा अपने बेहतर भविष्य एवं रोजगार के लिए गांव छोड़कर शहरों की ओर जा रहे हैं, किन्तु, बसना नगर के आर्किटेक्ट रसप्रीत सिंह और उनके भाई प्रभजीत सिंह ने शहर से गांव आकर किसान बनना चुना है। जो अपनी जुनून लगन और अथक प्रयासों से कंकड़, पत्थर व रेतीले बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर सब्जी की खेती में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। जो महज तीन वर्षों में चार एकड़ में शुरू की गई सब्जी की खेती आज लीज पर लेकर लगभग 40 एकड़ तक खेती फैला चुके है। जहां आज 100 से ज्यादा लोगों को हर दिन रोजगार देने के साथ खेत से उपजे भांटा, लौकी, खीरा, टमाटर, करेला को छग के अलावा अन्य प्रदेश ओडिशा, तेलंगाना, झारखंड, उत्तरप्रदेश और दिल्ली भेजकर करोड़ो का वार्षिक टर्नओवर कर लाखो की कमाई कर रहे हैं। इनके काम की सराहना उद्यानिकी विभाग के अधिकारी कर रहे हैं, तो आस-पास के किसानों में इनके सब्जी खेती को देखकर नया जोश और खेती के प्रति नया उत्साह पनप रहा है।
उद्यानिकी साग-सब्जी की खेती को बनाया व्यवसाय
बसना नगर के व्यवसायी मिलन वस्त्र भंडार संचालन कुलवंत सिंह बड़े बेटे 26 वर्षीय रसप्रीत सिंह पेशे से आर्किटेक्ट है। जबकि छोटा बेटा बीबीए पढ़ाई कर रहा। जो कोविड़-19 के बाद खालीपन से उबरने के लिए खेती किसानी को शौक के रूप में शुरू किया। शुरुआती वर्ष 2022 में रसप्रीत सिंह ने गांव खेमड़ा में 4 एकड़ में केला की खेती की, तब आसपास के लोगों ने टोका भी क्योकि इनके खानदान में कभी खेती किसानी किसी ने की ही नही थी। पहली खेती का परिणाम औसत रहा, किन्तु रसप्रीत सिंह ने हार नहीं मानी और उद्यानिकी विभाग के अधिकारी व विशेषज्ञों की सलाह ली। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी उपेन्द्र नाग ने युवक के हौसले को देखकर मदद की और उसे उद्यानिकी सब्जी की फसल उगाने की सलाह दी, फिर क्या था रसप्रीत की सफलता की गाड़ी चल पड़ी, घर के बेकार पड़े उबड़-खाबड़ कंकड़, पत्थर और रेतीले बंजर जमीन जिस पर कुछ साल पहले घांस भी नही उगते थे, वहां स्वयं साफ-सफाई एवं ट्रैक्टर से जोताई करते हुए अपने परिश्रम से हरियाली से भर दिया। देखते ही देखते रसप्रीत सिंह ने महज तीन वर्षो में 4 एकड़ खेती को 40 एकड़ सब्जी की खेती में तब्दील कर दिया। जो गोल्डन गार्डन फार्म के नाम से गांव साल्हेझरिया में 12 एकड़, गढ़फुलझर में 15 एकड़, पदमरोड़ बसना गढ़फुलझर में 12 एकड़ और बसना नगर में 5 एकड़ कुल 39 एकड़ में सब्जी खेती है। ऐसी उन्नत खेती की उद्यानिकी विभाग ने दूसरे किसानों के प्रेरणादायी करार दिया। इन दिनों रसप्रीत सिंह और उनके भाई प्रभजीत सिंह 39 एकड़ में सब्जी उगाते हैं, जिसमें भांटा, लौकी, खीरा, टमाटर करेला जैसी सब्जियां उगाकर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। जबकि 10 एकड़ जमीन में कलिंदर की फसल लेने की तैयारी कर रहे है।
छत्तीसगढ़ सहित देश के दूसरे प्रदेशों में सब्जियों की सप्लाई
आज से तीन साल पहले जिस जगह पर हरियाली के नाम पर छोटे-छोटे कंटीले झाड़ियां थी। आज वहां सब्जियों की हरियाली देखते ही बनती है। मेहनत और लगन से जहां रसप्रीत सिंह ने अपनी आमदनी बढ़ाया है, वहीं आसपास के गांवों के सैकड़ो लोगों को वर्षभर लगभग 35000 मानव दिवस का लगभग 70 लाख रुपये का रोजगार उपलब्ध करा कर गांवो के लोगों को लाभ दिया है। रसप्रीत सिंह ने 'नईदुनिया' को बताया कि उनका लक्ष्य 200 से 250 तक एकड़ खेती करते हुए क्षेत्र के 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना है। 40 एकड़ की सब्जी की खेती सेमी आर्गेनिक पद्धति की जा रही। जहां दुबई के विशेष किस्म खाद और उर्वरक की मात्रा मिट्टी के हिसाब से गोबर खाद तथा दवाओं की संतुलित मात्रा में छिड़काव, खेत की सिंचाई मोटर पंप से पाइप लाइन बिछाकर ड्रिप सिंचाई पद्धति से उन्नत खेती के प्रयास आरंभ किये। बैंगन और अन्य पौधों की रोपाई प्रति वर्ष जून माह में करने के बाद ही 2 महीने के अंदर ही उत्पादन शुरू हो जाता हैं जो पूरे 10 महिना अप्रेल तक चलता हैं। समय-समय पर बसना विकासखंड उद्यानिकी खंड अधिकारी उपेंद्र नाग और उद्यान विस्तार अधिकारी द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और उचित रखरखाव हेतु आवश्यक जानकारी प्रदान करते विभागीय सहयोग से लाभान्वित किया जा रहा है। उन्नत किस्म के सब्जी उत्पादन होने के कारण सब्जियां छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य प्रदेश ओडिशा, तेलंगाना, झारखंड, उत्तरप्रदेश और दिल्ली के शहरों में सप्लाई करते है। 40 एकड़ की खेती में प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये का टर्नओवर और लाखों रुपये का मुनाफा है। युवा कृषक रसप्रीत सिंह हमेशा किसानों के सहयोग और दिशा निर्देश देने के लिए तत्पर रहते हैं। इनके द्वारा वर्तमान में बसना और गढ़फुलझर क्षेत्र के बहुताया किसानों को उद्यानिकी सब्जी की फसल के लिए प्रेरित किया है। जिससे 100 एकड़ में किसानों ने सब्जी की फसल ली है। आने वाले दिनों फुलझर क्षेत्र के बसना, सरायपाली, सांकरा, भंवरपुर, पिथौरा आसपास के इच्छुक किसानों को धान के खेती से दोगुने चार गुना होने वाले फायदे को बताकर साग सब्जी की फसल लेने प्रेरित करेंगे जिससें फुलझर अंचल में उद्यानिकी फसल साग-सब्जी का विस्तार हो सके और किसान आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके।
रसप्रीत सिंह उनके भाई प्रभजीत सिंह ने सफलता का श्रेय पिता कुलवंत सिंह माता हरप्रीत कौर पार्टनर दीपक अग्रवाल, भावेश अग्रवाल बसना नगरवासी सभी युवा साथियों को दिया जो फसल को देखने आते है और हमेशा प्रोत्साहित करते है।