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महासमुंद : सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित

राजस्व, वन एवं पंचायत विभाग के समन्वय से बेहतर कार्य किया जाए - कलेक्टर

जिले में 59 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित

महासमुंद : अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 तथा 2007 अंतर्गत आज सामुदायिक वन संसाधन अधिकार विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर, जिला पंचायत सीईओ एस. आलोक, वन मंडलाधिकारी पंकज राजपूत सहित राजस्व, वन एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मौजूद थे।

जिला कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित इस महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें राज्य स्तरीय प्रशिक्षक डॉ. मंजीत कौर ने इस विषय पर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में कलेक्टर निलेशकुमार क्षीरसागर ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण अधिकार है। पात्र लोगों को अधिकार मिले इसके लिए पंचायत, राजस्व व वन विभाग सभी नियम और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए कार्य करें। इसमें पंचायत सचिव, बीट गार्ड और पटवारियों का भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस विषय पर जिला और उप खण्ड स्तर पर एक उन्मुखीकरण का आयोजन किया जा सकता है। जिसे जल्दी ही आयोजित किया जाएगा।  जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एस. आलोक ने कहा कि योजना का वास्तविक लाभ के लिए मिलकर कार्य करना होगा। पंचायत स्तर पर सचिवों को इसकी जानकारी दी जाएगी। साथ ही इन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। वन मंडलाधिकारी श्री पंकज राजपूत ने कहा कि हमें योजना के सही क्रियान्वयन के लिए चेक लिस्ट के अनुसार कार्य करना होगा। शासन से मिले निर्देशों का पालन करना होगा। यह ध्यान रहे कि कोई भी अभिलेख फर्जी न हो।  ग्राम सभा में प्रस्ताव ग्राम सभा में प्रस्ताव नियमानुसार पारित हो।

आज रायपुर से पहुंची फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के प्रशिक्षक डॉ. मंजीत कौर ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप सामुदायिक संसाधन अधिकार दिए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य पूरे देश में इस मामले में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में राजस्व, वन विभाग व पंचायत विभाग कार्य करें एवं सभी प्रक्रियाओं का पालन करें। इससे सामुदायिक वन संसाधन अधिकार अधिकाधिक समितियों को मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि इस दिशा में जिला एवं उप खण्ड स्तर पर गठित समिति महत्वपूर्ण है। ग्राम सभा की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग सुश्री शिल्पा साय ने बताया कि जिले में सामुदायिक संसाधन अधिकार पत्र अभी तक 59 वितरित किए गए हैं। महासमुंद में 15, खल्लारी में 30, बसना में 12 और सरायपाली में दो सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र शामिल है।

सामुदायिक वन संसाधन क्या है
इसके अंतर्गत ग्राम सभा को उनके पारम्परिक सीमा के अंतर्गत आने वाले वन क्षेत्र एवं राजस्व भूमि के छोटे-बड़े झाड़ के जंगल क्षेत्र को अधिकार देता है। इसमें व्यक्तिगत वन अधिकार का रकबा को शामिल नहीं किया जाता। ग्राम सभा को सामुदायिक संसाधन की सुरक्षा, संरक्षण, संवर्धन एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी दी जाती है। पारम्परिक सीमा का चिन्हांकन गांव के बुजुर्ग, महिला एवं पटेल के सहयोग से किया जाता है। कार्यशाला में सभी अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, स्वयं सेवी संस्था एवं आदिवासी विभाग के कर्मचारी मौजूद थे।




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