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3500 रुपये में फर्जी जाति प्रमाण पत्र... तहसीलदार सहित 4 गिरफ्तार

पुलिस ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने के मामले में दिल्ली कैंट के कार्यकारी मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) नरेंद्र पाल सिंह समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। तहसीलदार ने फर्जी प्रमाणपत्र बनाने के लिए गिरोह बना रखा था, जिसमें सबके काम बंटे हुए थे।

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने सिंह के अलावा संगम विहार निवासी सौरभ गुप्ता, दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन नंबर 1076 पर आउटसोर्स कर्मचारी चेतन यादव और अधिकारी के ड्राइवर वारिस अली को गिरफ्तार किया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार ये लोग 100 से ज्यादा लोगों के नकली जाति प्रमाण पत्र बना चुके हैं। ये सामान्य श्रेणी के लोगों के अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जाति का प्रमाण पत्र बनाते थे। इसके एवज में एक व्यक्ति से तीन से पांच हजार रुपये तक लेते थे। इनकी ओर से बनाए गए फर्जी प्रमाण पत्र दिल्ली सरकार के पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं।

अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त राकेश पावरिया ने बताया कि रैकेट के बारे में जानकारी मिलने पर दो फर्जी आवेदक को गिरोह के मुख्य सदस्य के पास भेजा गया। एक से 3,500 रुपये और दूसरे से 3,000 रुपये लेकर गिरोह ने नकली प्रमाणपत्र बना दिया। इसके बाद गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करते हुए चारों को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों के पास से एक लैपटॉप और मोबाइल, पांच हार्ड डिस्क और दो स्लाइड स्टेट ड्राइव, पंफ्लेट समेत अवैध रूप से जारी फर्जी जाति प्रमाणपत्र बरामद किए गए हैं।

दिल्ली पुलिस की शाखा में तैनात इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे को अयोग्य उम्मीदवारों को अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले एक रैकेट के बारे में जानकारी मिली थी। उन्होंने फर्जी आवेदकों को उनके पास भेजा और दो फर्जी प्रमाणपत्र बनवाए। इसके बाद इंस्पेक्टर ने अपने नेतृत्व में एसआई संजय राणा, एसआई सुभाष चंद, एसआई बीरपाल व हवलदार जय सिंह, और महिला सिपाही शबाना की टीम गठित की।

इस टीम ने संगम विहार इलाके में घेराबंदी कर संगम विहार निवासी 30 वर्षीय सौरभ गुप्ता को नौ जून को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद तहसीलदार नरेंद्र पाल सिंह, दिल्ली कैंट के कार्यालय में काम कर रहे दूसरे आरोपी चेतन यादव और वारिस अली को गिरफ्तार कर लिया।




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