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CG : खुद को एसआई और डीसीपी बताकर अधिकारी से लाखों की ऑनलाइन ठगी... मामला जान उड़ जायेंगे होश...

बस्तर जिले के बोधघाट थाने में एम.आई.एस. प्रशासक, कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार राजपूत ने ऑनलाइन ठगी के मामले में शिकायत दर्ज करायी है.

प्रदीप ने अपनी शिकायत में बताया है की वह एम.आई.एस. प्रशासक, कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर कोण्डागांव में पदस्थ है. 13 मई 2024 को प्रदीप के फोन में एक फोन आया जो कि कम्प्यूटराईज्ड कॉल था, जिसमें अवगत कराया गया कि आपका सीम कार्ड 02 घंटे में बंद हो जाएगा. यह कहकर अधिक जानकारी के लिए नम्बर दबाये कहा गया. प्रदीप ने बताये गये नम्बर को दबाया था तो कंज्यूमर कंप्लेंट डिपार्टमेंट से रनवीर शर्मा से बात हुई तो उसके द्वारा कहा गया कि आपके नाम से एक और नम्बर लिया गया है और यह उत्तर प्रदेश में लिया गया है. उसने पता और मोबाइल खरीदी की तारीख, केस फाईल नम्बर बताते हुए पूछा कि क्या आपने लिया है ? प्रदीप ने कहा मैं न तो कभी लखनऊ गया हूँ और न ही मेरे कोई रिश्तेदार या परिचित लखनऊ उत्तर प्रदेश में रहते हैं. यह नम्बर मेरे द्वारा नहीं लिया गया है.

तब आरोपी ने कहा कि आपके नाम से यह नम्बर लिया गया है जिसमें आपका आधार कार्ड का उपयोग किया गया है आपके आधार का दुरूपयोग किया गया है. क्या आप इसकी कम्प्लेंट लिखवाना चाहते हैं. प्रदीप ने कहा यदि यह नम्बर मेरे नाम से है तो मैं कम्प्लेंट लिखवाना चाहता हूँ. तब उसने कहा कि मैं आपको आलम बाग पुलिस स्टेशन लखनऊ उ0प्र0 से कनेक्ट कर रहा हूँ आप उनसे बात कर अपनी समस्या बता देवें.

फिर कुछ समय बाद प्रदीप को किसी फर्जी एस.आई. सुनील कुमार मिश्रा से बात करवाई गई तो उसने कहा कि क्या परेशानी है बताईये. तो प्रदीप ने कहा सर मैं कम्प्लेंट लिखवाना चाहता हूँ कि मेरे नाम से एक सीम लिया गया है और इसमें मेरे आधार का उपयोग हुआ है और यह जानकारी मुझे कंज्यूमर कम्प्लेंट डिपार्टमेंट के रणवीर शर्मा के द्वारा दी गई.

एस.आई. सुनील कुमार मिश्रा ने कहा कि आपका मुहम्मद ईस्लाम मल्लिक नवाब से क्या संबंध है. प्रदीप ने कहा मैं इस नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानता हूँ. तो सुनील ने कहा यह इललिगल मनी लौंड्रीग एवं नार्कोटिक्स ड्रग्स ट्रैफिकिंग से जुड़ा मामला है जिसमें उसे (मुहम्मद ईस्लाम मल्लिक नवाब) पकड़ा गया है और कुछ फोटोग्राफ्स प्रदीप के पास व्हाट्सएप्प पर भेजा गया.

सुनील ने प्रदीप को आपका आधार यहां क्या कर रहा है कहकर डाट लगाई और कहा कि आपके नाम से 03-04 बैंक अकाउंट अन्य बैंकों में आधार का उपयोग कर खोला गया है एवं इससे करोड़ो रूपये का लेनदेन हुआ है और यह सब इललिगल है.

उसकी बात सुनकर प्रदीप बहुत ही ज्यादा डर गया और कहा कि मैंने कहीं भी अपना आधार कार्ड नहीं दिया है और न ही शेयर किया गया है. तो सुनील द्वारा पूछा गया कि आपका आधार कहीं से तो लिक हुआ है. लगता है कि आपके बैंक से लिक हुआ होगा. यह कहकर बैंक पर भी आरोप लगाते हुए जांच चल रही है कहा गया. ऐसा कहते हुए प्रदीप को कहा कि आपको अपना सारा फंड ट्रांसफर करना होगा. आपके नाम से अरेस्ट वारंट जारी हुआ है. आप अपना फंड आर.बी.आई. के वॉलेट में ट्रान्सफर करेंगें, पूरे पैंसो की जांच होगी फिर आपका पैसा सहीं पाये जाने पर 1.5 प्रतिशत टीडीएस काटते हुए रिफंड होगा और आप बिल्कुल घबराये नहीं. हर घंटे रिर्पोट करेंगें और अपनी फोटो भेजेंगे कहा गया. आरोपी सुनील ने यह नेशनल सिक्यूरीटी का मामला है सी.बी.आई. और ई.डी. जांच कर रही हैं कहकर प्रदीप को बहुत ही ज्यादा डरा दिया गया.

प्रदीप ने आगे शिकायत में बताया है की वह एक शासकीय कर्मचारी है. वह बहुत ही ज्यादा घबरा गया. आरोपियों के द्वारा कहा गया कि यह जो नम्बर है इसे आलम बाग पुलिस थाना के नाम से सेव कर लो.

13 मई 2024 को आरोपियों के द्वारा मनी ट्रांसफर करने के लिए बोलने पर प्रदीप ने अपने स्टैट बैंक ऑफ़ इंडिया के खाते से कुल 48,888 तीन बार कुल 1,46,664 रूपये और 14 मई 2024 को बाकि पैसों की जांच के नाम पर 49,888 के दो बार कुल 99,776 रूपये इस प्रकार कुल 5 बार करके 2,46,440 रूपये ट्रांसफर करा लिया गया है.
आरोपियों के द्वारा वीडियो कॉल भी की गई थी एवं हमारे डी.सी.पी. साहब से बात कर लो कहकर कहा. वीडियो कॉल में पुरे पुलिस यूनिफॉर्म में एक व्यक्ति ने बात की, जिससे प्रदीप को कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि यह इललीगल कॉल हो सकता है.

आरोपियों ने प्रदीप को कहा कि आप इसकी जानकारी किसी को नहीं देंगे, यहां तक कि परिवार के किसी सदस्य को भी नहीं, क्योंकि इसमें सी.बी.आई. और ई.डी. के द्वारा पूरी तरह से कॉन्फिडेंशियल जांच की जा रही है. उनके द्वारा जो एकाउण्ट में राशि जमा करने को कहा गया इसके लिए पूरे मोबाईल को स्क्रीन शेयर कर खुद भी निगरानी रखी गई. प्रदीप यह समझ ही नहीं पाया कि यह फ्रॉड कॉल हो सकता है. क्योंकि रूपरेखा ऐसी तैयार की गई थी कि जरा सा भी शक न जावे और राशि Skillset एवं Duva Sea व ShreeRam के नाम वाले खाते में जमा करवाई गई.

प्रदीप ने पूछा भी कि यह तो कोई आर.बी.आई. का खाता नहीं लग रहा है. तो कहा गया कि आर.बी.आई. थर्ड पार्टी के माध्यम से जांच करती है. प्रदीप को यह बात अजीब लगी भी किंतु उनके द्वारा इतने झूठे डॉक्यूमेंट मोबाईल पर भेजे गये की प्रदीप को शंका होने नहीं दिया गया. प्रदीप को यह कहकर भी और डरा दिया गया कि आपका यह फोन नम्बर नेशनल सर्वेलेंस में रखा गया है तो आप किसी अन्य नए नम्बर का कॉल न उठाये न ही बात करें. प्रदीप ने इसकी शिकायत 14 मई 2024 को सायबर सेल जगदलपुर में जाकर दर्ज करा दी है.

पुलिस ने मामले की शिकायत के बाद आरोपी मोबाइल नंबर धारकों के खिलाफ 420-IPC, 66D-LCG के तहत अपराध कायम किया है.




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