जिला पंचायत महासमुन्द पर आरोपित पंचायत सचिव को संरक्षण देने का आरोप, मंत्रालय के निर्देश पर कलेक्टर जांच करवाकर करेगें कार्यवाही
आरोपित पंचायत सचिव को जिला पंचायत महासमुन्द के अधिकारियो के द्वारा विभागीय संरक्षण दिये जाने के मामले में छ.ग. शासन पंचायत एवं ग्रामीण विभाग विभाग मंत्रालय के निर्देश से संचालक पंचायत संचालनालय छ.ग. द्वारा जांच करके अग्रिम कार्यवाही करने के लिए कलेक्टर महासमुन्द को स्पष्ट आदेश दिया है। बहरहाल जिला पंचायत महासमुन्द पर उनके ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारियो को अब भरोसा नही रहा है।
मालूम है कि ग्राम पंचायत भोकलुडीह के तात्कालीक सचिव रोहित पटेल ने छ.ग. राज्य सूचना आयोग में मिथ्या बयान दिया था। पंचायत सचिव ने बताया था कि उसे दस्तावेज शुल्क के रूप में मनीआर्डर राशि आवेदक ने नही भेजा था। जिसमें आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास के आपत्ति में मुख्य सूचना आयुक्त एम.के.राउत ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत महासमुन्द को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया। आदेश के बाद सच्चिदानंद आलोक ने 02/08/2022 को प्रतिवेदन दिया कि मनीआर्डर राशि को रोहित पटेल ने लेने से इंकार किया है। इसलिए रोहित पटेल पूर्णतया दोषी है।
इस मामले की शिकायत होने पर पुनः जिला पंचायत महासमुन्द ने जांच जपं पिथौरा से कराया। जांच प्रतिवेदन पाने के बाद संस्थित विभागीय जांच में श्रीमती दिप्ती साहू उप संचालक पंचायत महासमुन्द ने दरियादिल बरतते हुए प्रकरण को नस्तीबद्व करने लिए 03/09/2024 को नोटशीट चलवाई है। रोहित पटेल को क्लीन चिट देने का प्रयास किया है। जबकि उन्हे भली-भांति मालूम है कि इस प्रकरण में उनके वरिष्ठ अधिकारी सच्चिदानंद आलोक ने स्वयं ही प्रतिवेदन दिया है।
आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार दास ने दोषी सचिव को जिला पंचायत महासमुन्द के अधिकारियो के द्वारा विभागीय संरक्षण देने व लीपालोती करने के संबंध में अमिताभ जैन आइएएस मुख्य सचिव और श्रीमती निहारिका बारीक आइएएस प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को 25/09/2024 को लिखित शिकायत किया है।
प्रियंका ऋषि महोबिया संचालक पंचायत संचालनालय छ.ग. ने इस प्रकरण की जांच के लिए कलेक्टर महासमुन्द को 20/11/2024 को निर्देशित किया है। कलेक्टर महासमुन्द के द्वारा प्रकरण की जांच कराया जायेगा। व अग्रिम कार्यवाही करते हुए विभाग को जानकारी प्रस्तुत करेगें।
बता दे कि सचिव रोहित पटेल को आज पर्यन्त तक सीईओ जिला पंचायत महासमुन्द ने प्रथम दृष्टता दोषी पाये जाने के 02 साल बाद भी निलंबित नही किया है। बल्कि आरोप है कि टाइम पास कर लीपापोती की मंशा से प्रकरण नस्तीबद्व करने में जिम्मेदार अधिकारी जुटे हुए है।