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पोर्ट बनेगा भारत की शक्ति का द्धार, डिजिटल पोर्टस्, ग्लोबल गेट-वे: भारत की अगली छलांग

बंदरगाह आज सिर्फ माल ढोने के स्थान नहीं हैं, बल्कि वे किसी भी देश की आर्थिक मजबूती, वैश्विक कनेक्टिविटी और रणनीतिक ताकत के प्रतीक बन चुके हैं। समुद्र दुनिया के कुल व्यापार का 80% से अधिक संभालता है और इसमें बंदरगाहों की भूमिका निर्णायक होती है। जैसे-जैसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला जटिल और व्यापक हो रही है, वैसे-वैसे बंदरगाहों का महत्व कई गुना बढ़ गया है। चीन इस क्षेत्र में निर्विवाद रूप से शीर्ष पर है। इसके पास दुनिया के दस में से सात सबसे व्यस्त बंदरगाह हैं। शंघाई पोर्ट, हर साल लगभग 4.7 करोड़ टीईयू कंटेनरों को संभालता है। चीन के अन्य प्रमुख पोर्ट्स निंगबो-झूशान, शेन्ज़ेन, और ग्वांगझोउ भी बड़ी मात्रा में कंटेनर और बल्क कार्गो ट्रैफिक को नियंत्रित करते हैं। 

भविष्य की दिशा: पोर्ट से बढ़ेगा भारत का प्रभाव

भारत अब पोर्ट क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की दिशा में आगे बढ़ रहा है। पहले सरकारी पोर्ट्स में दक्षता की कमी और लालफीताशाही के चलते बंदरगाह विकास धीमा था लेकिन अब निजी क्षेत्र की भागीदारी से तस्वीर बदल रही है। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एपीएसईजेड) देश की सबसे बड़ी निजी बंदरगाह कंपनी है, जो भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 19 पोर्ट और टर्मिनलों का संचालन करता है। एपीएसईजेड सालाना 450 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) से अधिक माल को संभालता है। गुजरात में मुंद्रा पोर्ट देश का सबसे व्यस्त और तकनीकी रूप से उन्नत बंदरगाह बन गया है। अकेले मुंद्रा पोर्ट 200 एमएमटी माल संभालता है।

इससे भारत की वैश्विक पोर्ट उपस्थिति को मजबूती मिली है। भविष्य में बंदरगाह केवल व्यापारिक केंद्र नहीं, बल्कि रणनीतिक और डिजिटल शक्ति के प्रतीक होंगे। डिजिटलीकरण के चलते स्मार्ट पोर्ट्स का तैयार होंगे, जहां एआई और ब्लॉकचेन से माल का रीयल टाइम ट्रैकिंग और प्रोसेसिंग संभव होगा। ग्रीन पोर्ट्स की संख्या बढ़ेगी, जिसमें इलेक्ट्रिक क्रेन्स, शोर पावर और कार्बन-न्यूट्रल लॉजिस्टिक्स पर फोकस होगा। जियो-स्ट्रैटेजिक महत्त्व बढ़ेगा, खासकर हिंद महासागर में, जहां भारत की स्थिति और बंदरगाहों का इस्तेमाल व्यापार के साथ-साथ रणनीतिक उद्देश्यों में भी होगा।

समंदर के सुपरपावर: ये है दुनिया के पोर्ट किंग

संयुक्त राज्य अमेरिका का पोर्ट नेटवर्क रणनीतिक है। अमेरिका के प्रमुख पोर्ट—लॉस एंजेलेस, लॉन्ग बीच, ह्यूस्टन और न्यूयॉर्क-न्यू जर्सी—वास्तव में वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण हैं। अमेरिकी बंदरगाहों वैल्यू-एडेड सर्विसेज, इनोवेशन और स्वचालन के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, इनकी कंटेनर हैंडलिंग क्षमता एशियाई बंदरगाहों से कम है। रूस के पास लंबा समुद्री तट है, लेकिन इसके बंदरगाहों की वैश्विक उपस्थिति सीमित है। सेंट पीटर्सबर्ग, नोवोरोस्सिय्स्क और व्लादिवोस्तोक जैसे पोर्ट्स क्षेत्रीय व्यापार में अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि, पश्चिमी प्रतिबंधों, पुरानी तकनीक और भू-राजनीतिक अस्थिरता के कारण रूस वैश्विक पोर्ट रेस में पिछड़ता जा रहा है। सिंगापुर का बंदरगाह प्रणाली दक्षता और कनेक्टिविटी का प्रतीक है। यह बंदरगाह 600 से अधिक वैश्विक पोर्ट्स से जुड़ा है और वैश्विक व्यापार का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।


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