
बसना में झमाझम बारिश से किसानी कार्य में आई तेजी, उपकरणों के साथ खेतों में पहुंचे कृषक, कलेक्टर निर्देश के बाद भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं खाद
अप्रैल से पूरे मई माह में आंधी-तूफान और बेमौसमी भारी बारिश ने किसानों को काफी परेशान किया था। किसानों की लाखों की फसलें बर्बाद हो गई थीं। पक कर खेतों में तैयार फसल बरसात ऋतु की तरह रोज रोज झड़ी बारिश से जमीन पर गिर गया था। जिससे पके धान फसल खराब हो रहा था। धान फसल जमीन में गिर जाने जमीन में नमी के कारण सामान्य हार्वेस्टर खेतों में नहीं घुस पाया जिसके कारण चैन वाले हार्वेस्टर मशीन से 2 हजार में कटने वाला खेत 5 से 6 हजार रुपए में कटाई किया गया। वहीं 1800 से 2000 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला रबी फसल का धान 1400 बिक रहा था। कई किसान मजबूरी में 1000 रुपए में बेचे हैं। लाखों रुपए की घाटा सहने के बाद इस साल 15 दिन पहले मानसून छत्तीसगढ़ में प्रवेश कर गया था।
लेकिन बस्तर में ठहर जाने के बाद जब पूर्व की निर्धारित समय में आने वाला मानसून 15 जून के एक सप्ताह बाद भी सक्रिय नहीं होने पर चिंता सताने लगी। अब खरीफ सीजन चल रहा है, इस मौसम में भी मॉनसून ने किसानों को काफी परेशान कर रखा था । कभी मई माह में भारी बारिश होने की वजह से फसलें जलमग्न हो रही थीं तो आज बारिश के अभाव में लाई चोपी अच्छरा पद्धति से होने वाले धान की बोवाई नहीं हो पा रही थी।
वैसे भंवरपुर क्षेत्र के बड़े साजापाली, सलखंड क्षेत्र में खुर्रा बौनी पद्धति से धान फसल की बोवाई होता है । उस क्षेत्र में खुर्रा बौनी पुरी तरह से हो चुका था लेकिन बसना क्षेत्र के 70 प्रतिशत क्षेत्र जहां बोरवेल सक्सेस है। वहां रबी फसल लिया जाता है। उस क्षेत्र में विगत 30 -35 सालों से लाई चोपी अच्छरा पद्धति से धान बोवाई होता है। बारिश की कमी के कारण बोरवेल वाले क्षेत्र के गांव में अच्छरा पद्धति से होने वाले धान बोवाई कार्य प्रभावित हो रहा था। हालाकि धान बोवाई का समय 15 जुलाई तक होता है।
इस साल समय से पहले मानसून आ जाने पर धान बोवाई के लिए किसान चिंतित थे। गुरूवार को बसना क्षेत्र में 85 मिली मीटर हुई बारिश से किसानों ने राहत की सांस ली । सुबह जैसे ही पानी गिरा बोरवेल चालू कर उसके सिंचाई से खेतों में पानी फैलता गया और आज पूरे बसना विकासखंड के अनेक गांवों के खेतों में ट्रैक्टर से जोताई , मताई करते हुए देखा गया ।
किसानों ने बताया कि आज सुबह हुई अच्छी बारिश के कारण सभी गांव में लाई चोपी से होने वाली धान बोवाई जोताई के लिए किसानों में उत्साह देखा जा रहा है । थोड़ी सी और बारिश की आवश्यकता है । यदि आज कल में कुछ और बारिश होती है तो पूरे क्षेत्र में अच्छरा पद्धति से होने वाली धान बोवाई , धान की नर्सरी (थरहा) लगाने का कार्य 10 से 15 दिन में पूर्ण हो जाएगा ।
कलेक्टर के निर्देश के बाद भी पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध नहीं
वहीँ बसना क्षेत्र में डीएपी खाद की कमी को लेकर किसान परेशान है इसी को मुद्दा बनाकर कांग्रेस सहकारी समिति के खाद गोदाम में प्रदर्शन कर किसानों को खाद बीज उपलब्ध कराने की मांग लगातार कर रही हैं । समाचार पत्रों में किसानों की गंभीर समस्या डीएपी खाद की कमी को लेकर लगातार समाचार प्रकाशन किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी के जगह-जगह प्रदर्शन के बाद महासमुंद जिले के कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के द्वारा सभी सहकारी समितियों में पर्याप्त मात्रा में खाद, बीज उपलब्ध कराने का निर्देश मार्कफेड एवं कृषि विभाग को दिया गया है । समिति प्रबंधकों से आज बात करने पर पता चला कि अभी भी डीएपी खाद की कमी है । बाकी खाद का भंडारण समिति के खाद गोदाम में किया जा रहा है । डीएपी के विकल्प के रूप में इफको एनपीके की पर्याप्त उपलब्धता है। लेकिन किसान उसे पसंद नहीं कर रहे हैं। विभिन्न सहकारी समिति के खाद गोदाम में यूरिया की भी कमी देखी गई है । प्रबंधकों का कहना है कि यूरिया खाद जल्दी आने वाला है यूरिया खाद आते ही किसानों को वितरण किया जाएगा ।
पिछले साल की अपेक्षा 3 जुलाई तक 156 मिली मीटर कम बारिश
अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह मई माह में भरपूर बारिश के कारण रबी फसल बारिश से खराब हो गया था । 15 जून से 2 जुलाई 2025 तक सात दिन बारिश हुई । सात दिन में मात्र 103 मिली मीटर वर्षा दर्ज हुई थी। जबकि आज 3 जुलाई को एक ही दिन 82 मिली मीटर वर्षा हुई है । कुल मिलाकर अब तक बसना क्षेत्र में 185 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है । जबकि 15 जून 2024 से 3 जुलाई 2024 तक पिछले वर्ष 341 मिनी वर्षा दर्ज की गई थी । जो की पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष 156 मिलीलीटर कम वर्षा दर्ज हुई है।