
पहला राष्ट्रीय स्तर सहकारी विश्वविद्यालय का शिलान्यास आज, पांच वर्षों में कृषि ऋण समिति के 20 लाख कर्मियो को मिलेगा प्रशिक्षण
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह शनिवार, 5 जुलाई 2025 को गुजरात के आणंद में देश के पहले राष्ट्रीय स्तर के सहकारी विश्वविद्यालय “त्रिभुवन” सहकारी यूनिवर्सिटी (TSU) का भूमि पूजन और शिलान्यास करेंगे। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्रभाई पटेल और विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी। कार्यक्रम में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और मुरलीधर मोहोळ, गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल और सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी, TSU के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास सहित कई अन्य विशिष्ट अतिथि भी उपस्थित रहेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारी क्षेत्र में क्षमता निर्माण और ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में “त्रिभुवन” सहकारी युनिवर्सिटी की स्थापना का निर्णय एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी पहल है। यह विश्वविद्यालय सहकार, नवाचार और रोजगार की त्रिवेणी को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक मूल्यों की जिम्मेदारी का आभास दिलाते, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवाहन पर जनआंदोलन बन चुके “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के अंतर्गत वृक्षारोपण में भी भाग लेंगे। इसके अलावा, शाह स्कूली छात्रों को सहकारिता के सिद्धांतों और भारत में सहकारी आंदोलन के प्रभाव से परिचित कराने के लिये राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण केन्द्र (NCERT) द्वारा तैयार एक शैक्षणिक मॉड्यूल का भी अनावरण करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में “त्रिभुवन” सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पेशेवर और प्रशिक्षित श्रमबल तैयार करना है। यह यूनिवर्सिटी सहकारी प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में विशेष शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के अवसर प्रदान करेगा। यह यूनिवर्सिटी नवाचार, क्षमता निर्माण और श्रेष्ठ कार्य-प्रणालियों को बढ़ावा देकर जमीनी स्तर पर सहकारी संस्थाओं को सशक्त और प्रशासन को बेहतर बनाने के साथ साथ समावेशी व सतत ग्रामीण आर्थिक विकास को गति देगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर, यूनिवर्सिटी का शैक्षणिक ढांचा लचीले और बहुविषयक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला प्रदान करेगा, जिसमें पीएचडी, प्रबंधकीय स्तर पर डिग्री, पर्यवेक्षक स्तर पर डिप्लोमा और संचालन स्तर पर प्रमाणपत्र शामिल होंगे। यह यूनिवर्सिटी अपने परिसर और अन्य राज्यो में विषय-विशेष स्कूल स्थापित करेगी और सहकारी शिक्षा एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता को मानकीकृत करने के लिए एक राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करेगी। राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करने के लिए यूनिवर्सिटी अगले चार वर्षों में 200 से अधिक मौजूदा सहकारी संस्थानों को साथ जोड़ने का प्रयास भी करेगी।
भारत के अनुमानित लगभग 40 लाख सहकारी कर्मियों और 80 लाख बोर्ड सदस्यों की कौशल विकास और क्षमता निर्माण की जरूरतों को पूरा करने के लिए, यह यूनिवर्सिटी अगले पांच वर्षों में प्राथमिक कृषि ऋण समिति (PACS), डेयरी, मत्स्य, आदि जैसे सहकारी समितियों के करीब 20 लाख कर्मियो को प्रशिक्षित करेगी।
योग्य शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए यूनिवर्सिटी सहकारी अध्ययन पर आधारित पीएचडी कार्यक्रमों के माध्यम से मजबूत शिक्षक आधार तैयार करेगी। वर्तमान में सहकारी शिक्षा कुछ राज्यों तक सीमित है और विभिन्न संस्थानों में बिखरी हुई है, जो इस क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
भारत में सहकारी संस्थाओं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार और किफायती तकनीकों पर केंद्रित अनुसंधान एवं विकास को समर्थन देने के लिए अभी कोई संस्थागत तंत्र नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए, यूनिवर्सिटी में एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास परिषद बनाया जाएगी जो कि सहकारिता क्षेत्र में अनुसंधान और विकास करेगी और संबद्ध संस्थाओं में उसे प्रोत्साहित भी करगी। इसके अलवा, यह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ समन्वय करेगी ताकि विश्व की सर्वोत्तम प्रथाओं को भारत में स्थापित किया जा सके।