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CG: रेस्टोरेंट का रूप लेता जा रहा गढ़ कलेवा ! ठेठरी, खुर्मी, चीला की जगह मिल रहे समोसा, कचौड़ी और आलू चाप

रायगढ़। प्रदेश में गढ़ कलेवा की पहचान छत्तीसगढ़ी व्यंजन की वजह से हीं जानी जाती है लेकिन रायगढ़ में गढ़ कलेवा नें रेस्टोरेंट का रूप ले लिया है। दावा तो यह किया आ जा रहा है की यंहा छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन बनाए व परोसे जाते है जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है|

रायगढ़ में गढ़ कलेवा की शुरुवात हीं इसलिए की गई थी ताकि शहर में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन का स्वाद उपलब्ध कराया जा सके| कहा यह भी गया था कि यंहा ठेठरी, खुर्मी, चीला, फरा, अंगाकड़, जैसे छत्तीसगढ़ के परम्परिक व्यंजन रखे जाएंगे परन्तु आज शहर का एकमात्र गढ़ कलेवा समोसे कि दुकान में तब्दील हो चुका है| हालांकि गढ़ कलेवा के उद्घाटन के शुरुवाती समय में यंहा पारंपरिक छत्तीसगढ़ी व्यंजन हीं मिला करते थे| फिर कोविड के बहाने सालों तक इसे बंद कर दिया गया| बीते कुछ महीने पहले स्व सहायता समूह को गढ़ कलेवा संचालन के लिए दिया गया है।

 

इस तरह गढ़ कलेवा का संचालन एक बार फिर से होने लगा लेकिन अपने मूल उद्देश्य से अलग हट कर यहां समोसा कचौड़ी और आलू चाप बेचा जा रहा है| ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या जिम्मेदार इससे अनजान है? क्या गढ़ कलेवा को रेस्टोरेंट का रूप देना सहीं है।

जब छत्तीसगढ़ी व्यंजन उपलब्ध करना हीं गढ़ कलेवा का मुख्य उद्देश्य है तो फिर इसकी पहचान बदलने का काम क्यू किया जा रहा है| जरूरी है कि अन्य जिलों में संचालित हो रहे गढ़ कलेवा में कैसे काम हो रहा है उसे देखा जाए समझा जाए और उसी अनुसार रायगढ़ में भी गढ़ कलेवा को अपनी पहचान दिलाने प्रयास किया जाए।


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