
10 लाख व्यक्तियों के को मिलेगा निशुल्क एआई प्रशिक्षण, ग्राम स्तरीय उद्यमियों को दी जाएगी प्राथमिकता
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत कॉमन सर्विस सेंटर ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (सीएससी एसपीवी) ने यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर, द्वारका, नई दिल्ली में डिजिटल इंडिया के 10 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया। इस भव्य समारोह ने देश भर में परिवर्तनकारी डिजिटल सशक्तिकरण के एक दशक को प्रदर्शित किया।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री जितिन प्रसाद की गरिमामयी उपस्थिति रही।
अश्विनी वैष्णव ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में, वैष्णव ने कहा, "देश भर के वीएलई भाई-बहनों ने डिजिटल इंडिया का लाभ प्रत्येक नागरिक तक पहुँचाकर एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। जब दुनिया यह सवाल उठा रही थी कि एक चायवाला या सब्ज़ीवाला डिजिटल भुगतान कैसे कर सकता है, तो आज वह सपना साकार हो गया है—यूपीआई भुगतान वीज़ा लेनदेन से अधिक हो रहे हैं। यह 1.4 अरब भारतीयों की ताकत है।"
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीएससी देश के लगभग 90 प्रतिशत गांवों तक पहुंच चुका है और कहा, "यदि हर गांव तक पहुंचने में सक्षम कोई माध्यम है, तो वह सीएससी है।"
वैष्णव ने मयूरभंज ज़िले की वीएलई मंजुलता और मेघालय की वीएलई रोज़ एंजेलिना की प्रेरक कहानियों का उदाहरण दिया। चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, दोनों महिलाओं ने डिजिटल कौशल प्राप्त किए और अपने समुदायों को सशक्त बनाया।
उन्होंने आगे कहा, "मेघालय के ईस्ट वेस्ट खासी हिल्स की मनोरम पहाड़ियों और सुदूर गांवों के बीच, महिला वीएलई रोज़ एंजेलिना एम. खारसिंट्यू ने एक डिजिटल क्रांति की पटकथा लिखी है। मैरांग क्षेत्र में अपने केंद्र के माध्यम से, वह न केवल सेवाएँ प्रदान कर रही हैं, बल्कि परिवर्तन, सशक्तिकरण और सामुदायिक सेवा की एक मिसाल भी कायम कर रही हैं।"
वैष्णव ने निम्नलिखित प्रमुख घोषणाएं भी कीं:
10 लाख व्यक्तियों के लिए निशुल्क एआई प्रशिक्षण, सभी वीएलई को प्राथमिकता।
सभी वीएलई से आईआरसीटीसी सेवाएं शुरू करने का आग्रह।
राज्य आईटी एजेंसियों को सीएससी-एसपीवी के साथ एकीकृत करने के लिए मुख्यमंत्रियों से बात करने के लिए प्रतिबद्ध।
वाणिज्य एवं उद्योग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने डिजिटल अंतराल को समाप्त करने में सीएससी की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, "डिजिटल इंडिया के लाभों को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प हमारे वीएलई भाइयों और बहनों की मदद से आगे बढ़ाया जा रहा है। दस साल पहले, जब हमने डिजिटल इंडिया पहल शुरू की थी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक विकसित भारत की नींव रखने का दृष्टिकोण रखा था।"
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में जहां केवल 83,000 सीएससी केंद्र थे, जबकि आज उनकी संख्या बढ़कर लगभग 5.50 लाख हो गई है। उन्होंने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को सीएससी के साथ एकीकृत करने पर ज़ोर दिया और 74,000 से ज़्यादा महिला वीएलई का ज़िक्र किया जो सशक्तिकरण के नए आयाम स्थापित कर रही हैं।
उन्होंने कहा, "हम अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में हैं और यह तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। समय के साथ, हमें लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।"
उन्होंने जागरूकता, साइबर सुरक्षा और विशेष रूप से कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में क्षमता निर्माण को मजबूत करने की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने वीएलई को अपनी आय बढ़ाने के लिए अपडेट क्लाइंट लाइट और राज्य सरकार की सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देने की सिफारिश की।
गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, सीएससी एसपीवी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ श्री संजय राकेश ने कहा, "सीएससी के साथ सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए शहरों का चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं है। सीएससी केंद्र देश के दूरदराज के इलाकों में घर-घर जाकर जी2सी और बी2बी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे डिजिटल सशक्तिकरण को बल मिल रहा है।" उन्होंने यह भी कहा, "पिछले 10 वर्षों में सीएससी डिजिटल इंडिया के एक ऐसे मॉडल के रूप में उभरा है जो समावेशिता और सशक्तिकरण के एक नए प्रतिमान का प्रतिनिधित्व करता है। मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विश्वास के मंत्र के साथ आगे बढ़ते हुए, हम देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएँगे।"
सीएससी दिवस पर राष्ट्रव्यापी समारोह
पूरे देश में सीएससी दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। दिल्ली में 15-16 जुलाई, 2025 को दो दिवसीय समारोह आयोजित किया गया। 15 जुलाई को सभी राज्यों के आईटी सचिव भारत मंडपम में ग्रामीण सशक्तिकरण, ई-गवर्नेंस के भविष्य और सीएससी की भूमिका पर विचार-विमर्श के लिए एकत्रित हुए।
1 से 15 जुलाई के बीच, देश भर के सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) ने सक्रिय जनभागीदारी के साथ इस अवसर का उत्सव मनाया। डिजिटल समावेशन को आगे बढ़ाने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले वीएलई को सम्मानित किया गया।
डिजिटल इंडिया और सीएससी: परिवर्तन का एक दशक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में शुरू किए गए डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक भारतीय के लिए तकनीक को सुलभ बनाना था। बीते एक दशक (2015-2025) में, इस पहल ने डिजिटल अंतर को समाप्त किया है और शासन, वित्तीय समावेशन और इंटरनेट सुगमता में व्यापक बदलाव लाकर भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिजिटल अर्थव्यवस्था बना दिया है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 2009 में स्थापित सीएससी एसपीवी, 5.5 लाख से अधिक परिचालन केंद्रों के साथ, दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल सेवा वितरण प्रणाली में से एक के रूप में उभरा है। प्रत्येक सीएससी का संचालन एक ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) द्वारा किया जाता है, जो एक स्थानीय परिवर्तनकर्ता है और नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं:
आधार नामांकन और अद्यतन
पैन कार्ड और पासपोर्ट सेवाएं
बैंकिंग और बीमा
टेलीमेडिसिन और शिक्षा सेवाएं
टेली-लॉ के माध्यम से कौशल विकास और कानूनी सहायता
कृषि सेवाएं, ग्रामीण ई-स्टोर (बी2 बी), उपयोगिता बिल भुगतान, और अन्य सेवाएं।