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वेदांता एल्युमीनियम ने रेड मड को टिकाऊ कृषि समाधान में बदलने के लिए आईसीएआर-सीटीसीआरआई के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

वैज्ञानिक अनुसंधान और औद्योगिक नवाचार को मिलाकर इस महत्वपूर्ण साझेदारी के अंतर्गत रेड मड (जो कि एक इंडस्ट्रियल बाय-प्रोडक्ट है) को सस्टेनेबल खेती, भूमि परिवर्तन और हरे-भरे भविष्य का आधार बनाने की दिशा में काम किया जाएगा

रायपुर, जुलाई 2025: भारत की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी, वेदांता एल्युमीनियम ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीटीसीआरआई) के साथ एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग यानि एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य रेड मड के अभिनव उपयोग के माध्यम से सस्टेनेबल कृषि और वनीकरण को बढ़ावा देना है। रेड मड एक औद्योगिक उप-उत्पाद यानि इंडस्ट्रियल बाय-प्रोडक्ट होता है, जो बॉक्साइट को एल्यूमिना पाउडर में परिष्कृत करने की प्रक्रिया से प्राप्त होता है। इस अग्रणी पहल का उद्देश्य रेड मड को पोषक तत्वों से भरपूर विकास माध्यम में बदलना है, जिससे खेती, भूमि पुनर्स्थापन और पूर्ववर्ती रेड मड भंडारण क्षेत्रों के वनीकरण की इसकी क्षमता का दोहन हो सके। वैज्ञानिक और औद्योगिक विशेषज्ञता का लाभ उठाकर, यह पहल मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने, फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक बहाली में सहयोग देने का प्रयास करेगी।

कंस्ट्रक्शन और सीमेंट जैसे उद्योगों में रेड मड का उपयोग पहले से ही किया जाता रहा है; अब वेदांता एल्युमीनियम ने इसे फलते-फूलते कृषि इकोसिस्टम में बदलना शुरू कर दिया है। केरल के माननीय राज्यपाल  राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यक्रम में आईसीएआर-सीटीसीआरआई के निदेशक डॉ. बायजू के नेतृत्व में आईसीएआर-सीटीसीआरआई के वैज्ञानिकों की एक प्रतिष्ठित टीम भी शामिल हुई, जिसमें डॉ. वी. रमेश, डॉ. एम. नेदुनचेझियान और डॉ. पी. सेतुरामन शिवकुमार शामिल थे। ये सभी वैज्ञानिक अपनी गहन विशेषज्ञता और पूरे भारत में सस्टेनेबल कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

दीर्घकालिक दृष्टि से इसके महत्व को रेखांकित करते हुए वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ राजीव कुमार ने कहा, ’’वेदांता में सर्कुलर इकोनॉमी के कई अन्य अवसरों पर काम चल रहा है, उनके साथ यह उपक्रम सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरणीय दायित्व के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस सहयोग के माध्यम से वेदांता एल्युमीनियम और आईसीएआर-सीटीसीआरआई एक इकोलॉजिकल अवसर का निर्माण कर रहे हैं जो दर्शाता है कि कैसे वैज्ञानिक और औद्योगिक तालमेल पर्यावरणीय और औद्योगिक, दोनों चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। हम एक ऐसे भविष्य की नींव रख रहे हैं, जहाँ रेड मड जैसे इंडस्ट्रियल बाय-प्रोडक्ट का पर्यावरणीय परिसंपत्तियों के रूप में प्रभावी ढंग से पुनःउपयोग किया जा सके, जो सही मायनों में ’रेड टू ग्रीन’ क्राँति होगी।’’

सहयोग के महत्व पर बल देते हुए आईसीएआर-सीटीसीआरआई के निदेशक डॉ. बायजू ने कहा, ’’यह सहयोग एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो आईसीएआर-सीटीसीआरआई की मज़बूत कृषि अनुसंधान क्षमताओं को वेदांता के विशाल पैमाने और औद्योगिक विशेषज्ञता के साथ जोड़ता है। हम साथ मिलकर काम करके ऐसे इनोवेटिव, मापनीय और पर्यावरण-अनुकूल समाधान प्रदान करने की आशा करते हैं, जिनसे किसानों, समुदायों और पर्यावरण, सभी को लाभ हो सके।’’

इससे पहले, वेदांता एल्युमीनियम ने एक अभूतपूर्व प्रक्रिया विकसित की है, जो एल्यूमिना शोधन के दौरान बॉक्साइट अवशेष (रेड मड) को 30 प्रतिशत तक कम करती है, साथ ही एल्यूमिना की पैदावार बढ़ाती है और ऊर्जा की खपत भी कम करती है। वेदांता की अनुसंधान एवं विकास टीम व आईआईटी खड़गपुर ने मिलकर ओडिशा स्थित इसकी लांजिगढ़ इकाई के सहयोग से संचालित यह इनोवेशन एल्युमीनियम उत्पादन में संसाधन दक्षता और सस्टेनेबिलिटी की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके अलावा बॉक्साइट अवशेष गारे से पानी को पूरी तरह से निकालकर और रिसाइकल करके ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्राप्त करने वाली वेदांता एल्युमीनियम देश की पहली कंपनी है। सूखे अवशेषों को वैज्ञानिक रूप से प्रबंधित बॉक्साइट रेज़िड्यू रिजरवॉयर में सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जाता है, जिससे भूजल प्रदूषण को रोका जा सकता है। वेदांता ने इस सस्टेनेबल प्रैक्टिस को संभव बनाने के लिए देश के पहले बॉक्साइट अवशेष प्रसंस्करण संयंत्र की भी स्थापना की है।


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