
Health Insurance Portability 2025, अब बीमा बदलना हुआ आसान
अगर आप अपनी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से खुश नहीं हैं, तो अब चिंता की जरूरत नहीं। पोर्टेबिलिटी सुविधा के जरिए आप बिना किसी नुकसान के अपनी बीमा कंपनी बदल सकते हैं। इससे न सिर्फ बेहतर कवरेज और अस्पताल नेटवर्क मिलता है, बल्कि आपका पहले वाला वेटिंग पीरियड भी बरकरार रहता है। आइए जानते हैं इसके सभी बड़े फायदे—
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी क्या है?
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी का मतलब है – आप अपनी पुरानी बीमा कंपनी छोड़कर दूसरी कंपनी में ट्रांसफर हो सकते हैं, लेकिन पहले से मिले लाभ जैसे वेटिंग पीरियड या नो-क्लेम बोनस खत्म नहीं होते।
यह सुविधा IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) के नियमों के तहत मिलती है।
क्यों करें पॉलिसी पोर्ट?
जैसे-जैसे उम्र और जरूरतें बदलती हैं, वैसे ही हेल्थ कवर की प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं।
उदाहरण के लिए —
20 की उम्र में मातृत्व लाभ जरूरी नहीं होता,
लेकिन शादी और परिवार बनने के बाद इसकी जरूरत बढ़ जाती है।
पोर्टिंग से आप अपनी मौजूदा जरूरतों के हिसाब से नई पॉलिसी चुन सकते हैं, जिसमें ज्यादा कवरेज, OPD सुविधाएं या ट्रांसप्लांट जैसे एडवांस बेनिफिट मिलें।
खर्च होगा कम, वैल्यू मिलेगी ज्यादा
हर बीमा कंपनी का प्रीमियम अलग होता है। अगर आपकी पुरानी पॉलिसी की कीमत उम्र बढ़ने पर बहुत बढ़ रही है, तो आप कम प्रीमियम में बेहतर कवरेज वाली नई पॉलिसी में पोर्ट कर सकते हैं।
नई बीमा कंपनियां आजकल वेलनेस बेनिफिट्स, फ्री हेल्थ चेकअप और हेल्दी लाइफस्टाइल डिस्काउंट जैसी स्कीमें भी देती हैं — जो पुराने प्लान में नहीं होतीं।
बेहतर अस्पताल नेटवर्क का फायदा
कई बार मौजूदा बीमा कंपनी का कैशलेस अस्पताल नेटवर्क सीमित होता है, जिससे इलाज के समय दिक्कत आती है।
पोर्टिंग से आप ऐसी कंपनी चुन सकते हैं जिसका नेटवर्क बड़ा हो और आपके शहर या क्षेत्र में ज्यादा अस्पताल शामिल हों। इससे आपात स्थिति में इलाज आसान और तेज हो जाता है।
क्लेम प्रोसेस और ग्राहक सेवा में सुधार
पॉलिसी की असली कीमत उसके क्लेम प्रोसेस से तय होती है।
अगर आपकी वर्तमान कंपनी में क्लेम निपटान में देरी होती है या ग्राहक सेवा कमजोर है, तो पोर्टिंग करके आप तेजी से क्लेम सेटल करने वाली और भरोसेमंद कंपनी चुन सकते हैं।
नई कंपनी चुनते समय उसकी क्लेम रेशियो और कस्टमर रिव्यू जरूर देखें।
RBI की सलाह – जागरूक बनें, सतर्क रहें
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) समय-समय पर ग्राहकों को सलाह देता है कि बीमा या किसी भी वित्तीय प्रोडक्ट को लेते समय पूरी जानकारी पढ़ें, शर्तों को समझें और अपनी जरूरत के अनुसार पॉलिसी चुनें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या पोर्ट करने पर मेरा वेटिंग पीरियड खत्म हो जाएगा?
नहीं, IRDAI के नियम के अनुसार, पहले से पूरा किया गया वेटिंग पीरियड आपकी नई पॉलिसी में भी ट्रांसफर हो जाता है।
Q2. क्या नई कंपनी मेरी पोर्टेबिलिटी रिक्वेस्ट को मना कर सकती है?
हां, अगर आपके मेडिकल इतिहास, उम्र या क्लेम रिकॉर्ड में जोखिम ज्यादा हो, तो कंपनी मना कर सकती है।
Q3. पोर्टिंग की प्रक्रिया कब शुरू करनी चाहिए?
अपनी पॉलिसी की रिन्यूअल डेट से कम से कम 45 दिन पहले आवेदन करें, ताकि कवरेज में कोई गैप न आए।
निष्कर्ष:
हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी एक स्मार्ट विकल्प है जो आपको ज्यादा कवरेज, बेहतर सर्विस और कम खर्च में सही सुरक्षा देता है। अगर आपकी मौजूदा पॉलिसी अब आपकी जरूरतों पर फिट नहीं बैठती, तो बिना हिचकिचाहट पोर्ट करने पर विचार करें — क्योंकि आपका वेटिंग पीरियड और पुराने लाभ बरकरार रहते हैं।