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भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज बसना क्षेत्र के गांव-गांव में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया

सी डी बघेल। दीपावली पर्व के समापन के साथ ही बसना क्षेत्र में भाई-बहन के स्नेह और विश्वास का प्रतीक पर्व “भाई दूज” हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गुरुवार को बसना नगर सहित आसपास के ग्रामों में सुबह से ही पूजा-पाठ और पारंपरिक तिलक संस्कार की तैयारियां होती रहीं। घर-घर में पवित्र त्यौहार मनाने के साथ और हर परिवार में अपनापन का अलग वातावरण बना रहा।

अंचल में भाई दूज को दीपावली पर्व की पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। यहाँ यह दिन केवल भाई-बहन के रिश्ते का पर्व नहीं, बल्कि परिवार और समाज में अपनापन बनाए रखने की परंपरा के रूप में भी देखा जाता है। ग्रामीण अंचलों में इस दिन बहनें पूजा की थाली सजाकर भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई भी बहनों को उपहार देकर स्नेह और संरक्षण का वचन निभाते हैं। आज 23 अक्टूबर गुरुवार को सुबह बहनों ने स्नान-ध्यान कर पूजा सामग्री तैयार की और शुभ मुहूर्त में भाइयों का तिलक कर दीर्घायु की कामना की। इस अवसर पर भाइयों ने भी बहनों को उपहार स्वरूप वस्त्र, मिठाई और आशीर्वाद देकर स्नेह का प्रतीक प्रस्तुत किया।

बसना नगर के साथ लमकेनी, भूकेल, बानीपाली, करनापाली, बरबसपुर, गढ़फुलझर , कुरचुंडी, हाड़ापथरा , चिमरकेल, पिरदा, बामडाडीह, सीतापुर और धनापाली सहित पूरे क्षेत्र में पर्व की रौनक देखने को मिली। गांवों में बहनों के द्वारा भाइयों के तिलक संस्कार के दृश्य भावनात्मक और आत्मीय रहे। त्यौहार के उपलक्ष्य में घरों में महिलाएं सामूहिक रूप से पारंपरिक गीत गाते हुए उत्सव मनाती नजर आईं। बसना नगर के बाजारों में भी पूजा सामान, उपहार खरीदने कल शाम को नगर में चहल-पहल रही। मिठाई, उपहार और पूजन सामग्री की दुकानों पर भीड़ लगी रही। लोगों ने एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं और पर्व के माध्यम से पारिवारिक एकता व सामाजिक सौहार्द का संदेश दिया। भाई दूज भाई-बहन के रिश्ते को और गहराई देने का अवसर है। नव वधुओं के लिए हर साल यह दिन उनकी बचपन की यादों को ताजा कर देता है।” त्योहार को लेकर पूरे क्षेत्र में सौहार्दपूर्ण वातावरण रहा। बसना क्षेत्र के गांव-गांव में भाई दूज का पर्व परंपरा, प्रेम और पारिवारिक बंधन की गर्मजोशी के साथ उल्लासपूर्वक संपन्न हुआ।


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