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स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित राखियों में छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक

राज्य के विभिन्न जिलों में ‘बिहान‘ योजना से जुड़ी स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कला की छाप लिए राखियां बनाई जा रही हैं। रायगढ़ जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के अंतर्गत गठित लगभग 20 स्व-सहायता समूहों की महिलाएं बांस, उन, चांवल, मोतियों और स्थानीय सजावटी वस्तुओं से बेहद आकर्षक राखियां तैयार कर रही हैं। राखियों को बनाने के लिए समूहों ने अपने पास उपलब्ध कार्पस फण्ड से जुटाए हैं और सामग्री स्थानीय बाजारों से एकत्रित लेकर अपनी रचनात्मकता और मेहनत से मनमोहक डिजाइन और स्वरूप वाली राखियां तैयार की जा रही है। इन राखियों की लागत कम होने से इनकी कीमत भी बेहद कम है और सबसे खास बात इसमें अपनी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने राखियां बनाने के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है, बल्कि यूट्यूब में वीडियो देख कर इसे बनाना सीखा है। इन राखियों का विक्रय ग्राम स्तर पर करने के साथ ही जिला और जनपद पंचायत में स्टाल भी लगाया जाएगा। इसके पूर्व भी होली में महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल बनाकर विक्रय किया गया था, जिससे उन्हें अच्छा लाभ हुआ था।




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