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केंद्र सरकार ने रबी फसलों की नई एमएसपी को दी मंजूरी

केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का निर्णय लिया है। सोमवार को प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इसका अनुमोदन किया। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर ने लोक सभा में इसका ऐलान करते हुए कहा कि आज का दिन भी किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। निर्णय के अनुसार, एमएसपी में 50 रूपए से लेकर 300 रू. प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की गई है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) व अन्य नामित राज्य एजेंसियां एमएसपी पर पहले की तरह खरीद करेगी।  तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने लगातार कहा है कि एमएसपी पर खरीद जारी रहेगी, वहीं मंडियों की व्यवस्था भी बरकरार रहेगी।

केंद्रीय मंत्री  तोमर ने, रबी की बुवाई प्रारम्भ होने के पूर्व ही 6 रबी फसलों की एमएसपी की घोषणा सरकार की ओर से की। बुवाई मौसम की शुरूआत से पहले ही एमएसपी की घोषणा से किसानों को उनके फसल ढांचे के संबंध में ठोस निर्णय लेने में सुविधा होगी। दलहनों व तिलहनों की एमएसपी इनके उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए बढ़ाई गई है, ताकि खाद्य तेलों व दलहनों के आयात पर निर्भरता को कम किया जा सकें।

 तोमर ने लोक सभा में कहा कि एक और महत्वपूर्ण तथ्य है जो दिखाता है कि कांग्रेस के समय में सरकारी खरीद की क्या हालत थी। वर्ष 2009 से वर्ष 2014 के बीच 1.52 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद हुई थी। हमारी सरकार ने वर्ष 2014 से वर्ष 2019 के मध्य 76.85 लाख मीट्रिक टन दाल किसानों से खरीदी है, यह 4962 प्रतिशत की वृद्धि है। यदि एमएसपी के भुगतान की बात करें तो हमने 6 साल में 7 लाख करोड़ रू. भुगतान किया जो कि यूपीए सरकार से लगभग दोगुना है। विपक्ष कह रहा था कि इन बिलों के पारित होने के बाद एमसपी और एपीएमसी समाप्त हो जाएंगे लेकिन मैंने उस समय भी कहा था कि एमएसपी जारी रहेगी। जो प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी ने कहा,  भारत सरकार ने कहा, उसे प्रमाणित करते हुए आज एमएसपी की घोषणा की गई है। एमएसपी और एपीएमसी जारी रहेगी, एपीएमसी के बाहर किसान अपने उत्पादन का उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए किसी भी स्थान, किसी भी राज्य, किसी भी कीमत पर बेचने के लिए स्वतंत्र रहेगा।

उन्होंने बताया कि स में अनुमोदन के फलस्वरूप आगामी रबी-सीजन हेतु गेहूं की एमएसपी में 50 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि उपरांत एमएसपी अब 1975 रू. प्रति क्विंटल हो गई है। चने की एमएसपी में 225 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जिसके बाद इसकी एमएसपी 5100 रू. प्रति क्विंटल हो गई है। मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 300 रू. प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है, इस वृद्धि के उपरांत एमएसपी 5100 रू. प्रति क्विंटल हो गई है। इसी तरह, सरसों की एमएसपी में 225 रू. प्रति क्विंटल की वृद्धि उपरांत 4650 रू. प्रति क्विंटल एमएसपी हो गई है। जौ की एमएसपी में 75 रू. की वृद्धि के बाद 1600 रू. प्रति क्विंटल की एमएसपी रहेगी। इसी प्रकार, कुसुम का न्यूनतम समर्थन मूल्य 112 रू. प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है और इस वृद्धि के बाद नई एमएसपी 5327 रू. प्रति क्विंटल की हो गई है।

स्वामीनाथन आयोग की अनुशंसा के बाद एमएसपी 

डा. एम. एस. स्‍वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि एमएसपी औसत उत्‍पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होनी चाहिए। राष्‍ट्रीय कृषक नीति-2007 को अंतिम रूप देते समय तत्‍कालीन यूपीए सरकार ने यह सिफारिश स्‍वीकार नहीं की थी, जिसके कारण 2018-19 तक भी अधिकतर फसलों जैसे धान, मूंग, कपास, मूंगफली, सोयाबीन, कोपरा, ज्वार आदि पर उत्पादन लागत के ऊपर 50 प्रतिशत लाभ किसानों को नहीं मिल रहा था।

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया एवं वर्ष 2018-19 के बजट में उत्‍पादन लागत के कम-से-कम डेढ़ गुना एमएसपी करने की घोषणा की। तब से केंद्र सरकार एमएसपी की घोषणा अखिल भारतीय भारित औसत उत्‍पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर लगातार कर रही है, जो कि किसानों की आय को बढ़ाने के संदर्भ में प्रधानमंत्री  मोदी जी के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक निर्णय है। केंद्र सरकार, कृषि लागत और मूल्‍य आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर तथा राज्‍य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के तर्कों पर विचार करके 22 कृषि फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित करती है।




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