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सारंगढ़ में नही चलता गृहमंत्री का निर्देश, न पुलिस कप्तान का आदेश..! महज 1 पन्ने के शिकायत में 3 पत्रकारों पर गैर जमानती धारा लगाने वाली पुलिस पूरे साहू समाज के शिकायत पर भी दे रही 1 पत्रकार को अभयदान...! सतनामी समाज मे भारी आक्रोश...देखिए वीडियो.....

कहा जाता है पुलिस और पत्रकार एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। जिनका आपसी सामंजस्य समाज के हित मे होता है, परन्तु वर्तमान स्थिति सारंगढ़ में पूरी तरह उलट है। पुलिस महकमे में आपसी फूट का आंच अब पत्रकारों में आने लगी है..! जी हां सही पढ़े अब सारंगढ़ अंचल के पत्रकार भी सत्य और असत्य की लड़ाई के कूद पड़े हैं।हम बात कर रहे हैं सारंगढ़ के बहुचर्चित मामला जिसमे एसडीओपी पर एक पत्रकार ने आरोप लगाया की उक्त एसडीओपी ने उसके साथ गाली गालौज की।फिलहाल उक्त मामले की तह तक कोई जा तो नही पाया है लेकिन पूरे एपिसोड में जो बात छन कर आयी वह यह है, की पूरे प्रकरण में बवाल मचाने का उद्देश्य सफल हो गया। 

एक सोची समझी साजिश व रणनीति के तहत रायगढ़ एसपी के आदेशों की धज्जियां उड़ा दी गयी। रायगढ़ एसपी संतोष सिंह द्वारा जिस माननीय गृह मंत्री के पत्र के आधार पर जांच का जिम्मा सारंगढ़ एसडीओपी को सौंपा गया था। उक्त पत्र के आधार पर जांच में सहयोग ना कर बता दिया गया की यहां गृह मंत्री का आदेश नही चलता है बल्कि ऐसे लोगों का आदेश चलता है जो स्वयं को किसी सिंघम से कम नही समझते हैं। 

विगत दिनों साहू धर्मशाला के संदर्भ में अवैध उगाही की शिकायत गृह मंत्री महोदय को पत्रकार भरत अग्रवाल व ओमकार केसरवानी , वीशू गुरु के खिलाफ की गई थी जिस पर गृह मंत्री श्री ताम्र ध्वज साहू ने संज्ञान लेते हुए जांच हेतु पुलिस अधीक्षक रायगढ़ को निर्देशित किया। उक्त प्रकरण की जांच रायगढ़ एसपी ने सारंगढ़ एसडीओपी को सौंपा। जिसके संबंध में भरत अग्रवाल व ओमकार केसरवानी को एसडीओपी कार्यालय तलब किया गया। जहां ओमकार का बयान शांति से हो गया वहीं भरत अग्रवाल ने कार्यालय से बाहर निकल कर सोशल मीडिया में सारंगढ़ के कर्तव्य निष्ठ एसडीओपी जितेंद्र खूंटे पर सीधा गालीगालौज का आरोप लगा दिया। देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया और उक्त पत्रकार का बयान ही नही हुआ।

गृह मन्त्री श्री ताम्रध्वज साहू के निर्देश को भी कर दिया गया किनारा:-

इस पूरे एपिसोड में एक बात और समझ से परे है की जो जांच गृह मंत्री के द्वारा भेजे पत्र के आधार पर हो रहा हो उसपर खुद चंद कांग्रेसियों द्वारा इतना हो हल्ला मचाया जाना समझ से परे है। आखिर गृह मंत्री के आदेशों के पालन से किस सत्ताधारी को इतनी तकलीफ हो रही है जो सारंगढ़ में चक्का जाम और सारंगढ़ बंद की धमकी दे रहा है। पूरे मामले में ना सिर्फ गृह मंत्री बल्कि रायगढ़ एसपी के आदेशों की भी धज्जियां उड़ी है। 

क्योंकि एसडीओपी ने रायगढ़ एसपी के आदेशों के आधार पर ही जांच हेतु पत्रकार भरत को बुलाया थ। बहरहाल जहां साहू समाज आज भी न्याय की राह ताक रहा है। वही उक्त पत्रकार द्वारा षड्यंत्र सफल होता नजर आ रहा है। विवाद का मूल उद्देश्य पूरे जांच को प्रभावित करने का था व उसे राजनीतिक रूप के साथ साथ पत्रकार हित से जुड़ा हुआ मुद्दा बनाने का था जो बन गया।

जिसे कोर्ट ने पहले दोषी पाया था उसे बचाने एड़ी चोटी का जोर लगा रहा आका..!

यहां जानने योग्य बात यह भी है कि जिस पत्रकार भरत को पुलिस विभाग का ही एक अधिकारी बचाने में एडी चोटी का जोर लगा रहा उसके खिलाफ ना सिर्फ अजाक थाने में मामला चला है बल्कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने उक्त मामले में दोषी भी पाया है व 5 साल की सजा भी सुनाई है व मामले को हाइकोर्ट ले जाने के खातिर उक्त पत्रकार व एक अन्य आरोपी जमानत पर बाहर हैं। 2014 में उक्त मामले में सजा सुनाई गयी थी आने वाले दिनों में कभी भी फैसला आ सकता है। यह वे मूल कारण हैं जिसकी वजह से एसडीओपी द्वारा किये जा रहे जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।

पत्रकारों पर सौतेला पुलिसिया कारवाही क्यों?

इसके पहले जितने भी पत्रकारों पर मामले दर्ज हुए हैं व गैर जमानती धाराएं उन पर लगी है सभी में थाना के एक दलाल पत्रकार की भूमिका रही है जो दिन भर थाना में बैठकर युवा व कर्तव्यनिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ झूठे साक्ष्य जुटाता है और मामले दर्ज करवाता है आज जब खुद पर बात आयी तो पत्रकार होने की दुहाई दे रहा है व रायगढ़ में मिन्नतें कर रहा है। वहीं जिस पुलिस अधिकारी को अपना आका बनाकर बैठा है वह भी इसे बचाने के लिए पसीना बहा रहा है। आधी विवेचना के आधार पर ही गैर जमानती धाराएं लगाने वाला अधिकारी आज अपने प्यादे को बचाने में एसपी के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहा व विषय को पत्रकार हित से जोड़कर बचाने का प्रयास कर रहा है।

सतनामी समाज हुआ जागरूक

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सारंगढ़ एसडीओपी जितेंद्र खूंटे के साथ जबरन किये राजनीतिक षड्यंत्र के खिलाफ अब पूरा समाज एकजुट होता नजर आ रहा है। व अपने समाज के युवा और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के हितों की रक्षा हेतु किसी भी स्तर तक जाने को तैयार है। मिली जानकारी के अनुसार अगर सारंगढ़ एसडीओपी के खिलाफ यह खेल जारी रहा तो जल्द ही इस बात की शिकायत उच्चाधिकारी से की जाएगी व वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाएगा।

सारंगढ़ अंचल के साथ युवा पत्रकार मंच भी एसडीओपी के साथ-:

इस प्रकरण को भले ही भरत अग्रवाल व ओंकार केसरवानी द्वारा पत्रकार हित से जोड़ कर मुद्दा बनाया जा रहा है लेकिन पूरे अंचल के साथ युवा पत्रकार मंच भी एसडीओपी जितेंद्र खूंटे के साथ खड़ा नजर आ रहा है क्योंकि पूरे लॉकडाउन के दौरान भी जितेंद्र खूंटे ने ना सिर्फ बहुत मेहनत से कार्य किया बल्कि आम जनता को भी कभी परेशान नही किया.। बहरहाल देखते हैं की आखिर एसपी के निर्देश का कब तक सारंगढ़ में पालन नही होता और कब गृह मंत्री के आदेशों के सम्मान होगा। कांग्रेस के शासन में इस तरह एक गृह मंत्री के आदेशों की अवहेलना शायद ही कोई कार्यकर्ता पचा पायेगा लेकिन यही सच है की इस अंचल में एसपी व गृह मंत्री के आदेशों का पालन करना भी एक कठिन चुनौती है।




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