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शहरी शासन व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन के उद्देश्य से राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन और कई अन्य डिजिटल कदम उठाए गए

केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन नागरिक-केंद्रित शासन व्यवस्था का निर्माण करने की दिशा में शहरी और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर तालमेल स्थापित कर एक आदर्श स्थिति पैदा करेगा। इस आदर्श स्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” का दृष्टिकोण साकार होता नज़र आता है। आज राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (एनयूडीएएम) और कई अन्य पहलों को लॉन्च करने के अवसर पर उन्होंने कहा कि जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए मंत्रालय को छोटे से लेकर बड़े तक सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के साथ मिलकर काम कम करना होगा और उन्हें सहायता प्रदान होगी। आज शहरी भारत के लिए सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का मतबल हैः नागरिकों की सेवा के लिए प्रत्येक शहर और नगर की क्षमता को बढ़ाना, भागीदारी का निर्माण करना और स्थानीय समस्याओं का स्थानीय स्तर पर ही समाधान निकालना।

कार्यक्रम में वर्चुअल माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि देश के शहर तभी स्मार्ट बनेंगे, जब यहाँ डिजिटल प्रौद्योगिकी का भरपूर तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस लॉन्च कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण संदेश यह भी है कि डिजिटल माध्यम से सुशासन का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में कन्वर्जेंस एक महत्वपूर्ण तत्व है। उन्होंने कहा कि ये कन्वर्जेंस विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के लिए ही नहीं, बल्कि इन योजनाओं को लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए उत्तरदायी विभागों के लिए भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को केवल ऐसी प्रौद्योगिकी के माध्यम से हासिल किया जा सकता है, जो कि स्वदेशी, विकासशी, कम लागत वाली और समावेशी हो।

राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन को आज आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में लॉन्च किया गया। लॉन्चिंग कार्यक्रम के इस अवसर पर आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री ए.पी. साहनी के अलावा केन्द्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की इंडिया अर्बन डाटा एक्सचेंज (आईयूडीएक्स), स्मार्टकोड, स्मार्ट सिटी 2.0 वेबसाइट और भू-स्थानिक प्रबंधन सूचना प्रणाली अर्थात् जियोस्पैशियल मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीएमआईएस) जैसी कई अन्य पहल को भी लॉन्च किया गया। ये पहल प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया और आत्म निर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में दोनों मंत्रालयों द्वारा किए जा रहे प्रयासों में शामिल हैं। इन पहलों के जरिए अपने नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शहरों को अधिक आत्मनिर्भर और सक्षम बनाया जाएगा।

राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (एनयूडीएम)

राष्ट्रीय शहरी डिजिटल मिशन (एनयूडीएम) शहरों और नगरों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए पीपुल्स, प्रोसेस और प्लेटफॉर्म जैसे तीन स्तंभों पर काम करते हुए शहरी भारत के लिए साझा डिजिटल बुनियादी ढांचा विकसित करेगा। यह मिशन वर्ष 2022 तक 2022 शहरों और 2024 तक भारत के सभी शहरों और नगरों में शहरी शासन और सेवा वितरण के लिए नागरिक केन्द्रित और इकोसिस्टम द्वारा संचालित दृष्टिकोण को साकार करने का काम करेगा।

एनयूडीएम एक साझा डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करेगा, जहाँ आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय की विभिन्न डिजिटल पहलों को समाहित कर इनका लाभ लिया जा सकता है। शहरों और नगरों की ज़रूरतों और स्थानीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत के शहर और नगर इस पहल के विविध रूप और समर्थन से लाभान्वित होंगे।

डिजाइन और कार्यान्वयन के मामले में एनयूडीएम नागरिक-केन्द्रित, इकोसिस्टम द्वारा संचालित और सिद्धांत आधारित मिशन है। एनयूडीए ने गवर्निंग सिद्धांतों को अपने अंदर समाहित किया है और फरवरी 2019 में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए नेशनल अर्बन इनोवेशन स्टैक (एनयूआईएस) की रणनीति और दृष्टिकोण आधारित प्रौद्योगिकी डिजाइन सिद्धांतों का अनुसरण किया है। बदले में ये सिद्धांत पीपुल्स, प्रोसेस और प्लेटफार्मों के तीन स्तंभों में मानकों, विनिर्देशों और प्रमाणन को बढ़ावा देते हैं।

इंडिया अर्बन डाटा एक्सचेंज (आईयूडीएक्स)

इंडिया अर्बन डाटा एक्सचेंज को स्मार्ट सिटी मिशन और भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। आईयूडीएक्स डाटा प्रोवाइडर्स और डाटा यूजर्स को शहर, शहरी शासन और शहरी सेवा वितरण से संबंधी यूएलबी, साझा करने, रिक्वेस्ट और डाटा को एक्सेस करने सहित निर्बाध इंटरफेस की सुविधा प्रदान करता है। आईयूडीएक्स एक ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म है, जो विभिन्न डाटा प्लेटफ़ॉर्म, थर्ड पार्टी प्रमाणन एवं अधिकृत एप्लिकेशंस और अन्य स्रोतों के बीच डाटा के सुरक्षित, प्रमाणित और व्यवस्थित आदान-प्रदान की सुविधा देता है। जैसे-जैसे यूआईडीएक्स पर शहरों की संख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे यह भी पूरे शहरी भारत में डाटा प्रोवाइडर्स और डाटा यूजर्स के बीच एक-समान और निर्बाध साझेदारी तक बढ़ जाएगा। आईयूडीएक्स को शहरों के भीतर और देशभर के शहरों में मौजूद डाटा संबंधी विभिन्न समस्याओं का समाधान निकालने के लिए हिसाब से डिजाइन किया गया है। शहरों में बड़ी मात्रा में डाटा सृजित होता है, जिसे विभिन्न संस्थाओँ द्वारा व्यापक स्तर पर संरक्षित किया जाता है। इन डाटासेट के सम्मिश्रण से नवाचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ शहरी जरूरतों और चुनौतियों को बेहतर तरीके से समझने और इनके समाधान के लिए योजना बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। आईयूडीएक्स डाटा प्रोवाइडर्स को डाटा को साझा करने के लिए एक सुरक्षित और विश्वसनीय चैनल प्रदान करता है, एक ऐसा चैनल जिसका साझा किए गए डाटा और किसके साथ डाटा साझआ किया गया इस पर पूरा नियंत्रण होता है। इसके डिजाइन से डाटा और गोपनीयता की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।


स्मार्टकोड प्लेटफॉर्म

स्मार्टकोड एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो शहरी शासन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सभी इकोसिस्टम हितधारकों को विभिन्न समाधानों और एप्लिकेशंस के लिए ओपन-सोर्स कोड के भंडार में योगदान देने के लिए सक्षम बनाता है। इसे उन चुनौतियों का समाधान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिनका सामना शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को शहरी चुनौतियों का समाधान निकालते समय डिजिटल एप्लिकेशंस को विकसित करने और इन्हें लागू करने के दौरान किया जाता है। दरअसल यह प्लेटफॉर्म यूएलबी को वर्तमान कोड्स का लाभ लेने और इन्हें अपनी ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल करने में सक्षम बनाता है, जिससे इन यूएलबी को किसी नए समाधान को विकसित करने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ओपन सोर्स सोफ्टवेयर के भंडार की वजह से, यहाँ उपलब्ध सोर्स कोड पूरी तरह से निःशुल्क होगा, और इसके लिए किसी तरह के लाइसेंस या सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत नहीं होगी। ऐसे में स्थानीय समस्याओं के समाधान निकालने की दिशा में काम करने वाले संस्थानों की लागत को यह काफी कम कर देगा।

न्यू स्मार्ट सिटी वेबसाइट वर्जन 2.0 और जीएमआईएस

स्मार्ट सिटी मिशन के प्रयासों और उपलब्धियों के साथ लोगों को जोड़ने और अपने काम से संबंध संसाधनों तक यूएलबी और नागरिकों की पहुंच को सुगम बनाने के क्रम में स्मार्ट सिटी की वेबसाइट को दोबारा से डिजाइन किया गया है। यह वेबसाइट स्मार्ट सिटी से संबंधित पहलों के लिए सिंगल स्टॉप की तरह काम करेगी। वेबसाइट के साथ भू-स्थानिक प्रबंधन सूचना प्रणाली (जीएमआईएस) को जोड़ा गया है। यह वेबसाइट स्मार्ट सिटी मिशन के लिए एक सिंगल विंडो की सुविधा प्रदान करती है। यह एक ऐसा पोर्टल है, जो स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शुरू किए गए सभी प्लेटफार्मों और पहलों के प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है। यह वेबसाइट निर्बाध और एकीकृत इंटरफेस के माध्यम से विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध इस मिशन से संबंधी सूचनाओं और पहलों को एक स्थान पर उपलब्ध कराता है और आम नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मिशन की अपडेटेड जानकारियों को ऑटोमेटिक तरीके से प्रदर्शित करता है। इस वेबसाइट को अत्यंत प्रभावशाली और लोगों तक पहुंच बनाने के लिए एक उपकरण के रूप में विकसित किया गया है।

स्मार्ट सिटी मिशन मिशन पर एक अपडेट

2015 में अपनी शुरुआत के बाद से ही, स्मार्ट सिटी मिशन ने प्रौद्योगिकी के लाभ को सभी नागरिकों तक पहुंचाने के उद्देश्य से अपने प्रयासों में काफी तरक्की हासिल की है। पिछले साल, इस मिशन के तहत परियोजनाओं पर काम करने और उनको पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने वाली स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में काफी गति दिखाई है। मंज़ूर की गई स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत सरकार ने 2,05,018 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता की थी, जिसमें से 21 फरवरी 2021 तक इस मिशन के तहत 1,72,425 (कुल निवेश का 84 प्रतिशत) करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट सिटी की 5,445 परियोजनाओं के लिए निविदा की जा की है, 1,38,068 करोड़ रुपये (कुल निवेश का 67 प्रतिशत) की लागत से 4,687 परियोजनाओं के वर्क ऑर्डर दिए जा चुके हैं, और 36,652 करोड़ रुपये (कुल निवेश का 18 प्रतिशत) की लागत से 2,255 परियोजनाओं पर काम पूरा किया जा चुका है।

इसके अलावा, 50 से अधिक स्मार्ट सिटी ने कोविड महामारी से निपटने की दिशा में विभिन्न सरकारों और विभागों के सहयोग से अपने आईसीसीसी को कोविड-19 वार रूम में परिवर्तित कर दिया। प्रभावी निर्णय लेने, कोविड हॉटस्पॉट और चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचे की निगरानी, वस्तु और सेवाओं की आवाजाही पर नज़र रखने और लॉकडाउन व्यवस्थित तरीके से लागू करने के लिए कई स्मार्ट सिटी में एकीकृत डैशबोर्ड विकसित किए गए।

कई ऐसी पहल भी हैं, जिन्होंने 100 स्मार्ट सिटी के आंकड़े को पार कर लिया है। ईज़ ऑफ लीविंग इंडेक्स और म्युनिसिपल परफॉर्मेंस इंडेक्स के माध्यम से जीवन गुणवत्ता और शहर के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए 114 शहरों में परिणाम और प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत की गई है। नागरिक अनुभव सर्वेक्षण के माध्यम से 31 लाख से ज़्यादा लोग इससे जुड़ चुके हैं।

अर्बन लर्निंग एंड इंटर्नशिप प्रोग्राम (टीयूएलआईपी) का उद्देश्य हाल ही में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले युवाओं की जरूरतों के अनुसार उन्हें शहरी स्थानीय निकायों में अवसर उपलब्ध कराना है। अब तक, 280 से अधिक शहरी स्थानीय निकायों ने 14,240 से ज़्यादा इंटर्नशिप पोस्ट किए हैं, 932 विद्यार्थी वर्तमान में इंटर्नशिप कर रहे हैं, और 195 विद्यार्थी इंटर्नशिप पूरी कर चुके हैं। शहरों को स्थायी एवं बेहतर बनाने के लिए देशभर की 100 स्मार्ट सिटी में दि क्लाइमेंट स्मार्ट सिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क (सीएससीएएफ) की शुरुआत की गई है, जो शहरों को जलवायु परिवर्तन के नज़रिए से शहरी योजना और शासन व्यवस्था का निर्माण करने में मदद करेगा। इसके अंतर्गत दूसरे चरण का मूल्यांकन अभी जारी है। एनआईयूए में एक क्लाइमेंट सेंटर फॉर सिटीज़ (सी3) स्थापित किया गया है। इंडिया साइकिल4चेंज चैलेंज, स्ट्रीट्स फॉर पीपुल्स चैलेंज, नर्चरिंग नेबरहुड चैलेंज जैसी कई योजनाओं को राष्ट्रीय चुनौतियों के रुप में सामने रखा गया है।






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