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लाभ की झूठी गारंटी, बीमा कंपनियों को पड़ेगा अब भारी : भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण

बीमा नियामक इरडा ने बीमा कंपनियों के भ्रामक विज्ञापन पर अंकुश लगाने की शुरुआत कर दी है। इरडा ने नया रेगुलेशन जारी किया है। इसमें कहा है कि बीमा उत्पादों से जुड़े विज्ञापन स्पष्ट होने चाहिए.। इनसे संभावित ग्राहकों के मन में 'काल्पनिक' सुरक्षा की भावना पैदा नहीं होनी चाहिए। नियामक ने स्पष्ट कहा है कि ऐसा करने से असफल रहने वाली कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। नए रेगुलेशन का लक्ष्य ग्राहक सुरक्षा के लिए पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।

रेगुलेशन में इरडा ने कहा कि बीमा कंपनियों को सामग्री और डिजाइन का इस्तेमाल कर सूचना को कानूनी और पहुंच वाले तरीके से उपलब्ध कराना चाहिए। इसमें कहा है कि अनुचित और गुमराह करने वाले विज्ञापनों में वे विज्ञापन आएंगे जो स्पष्ट तौर पर किसी उत्पाद की पहचान बीमा के रूप में करने में विफल रहेंगे. इसके अलावा वे उत्पाद भी, जिनमें लाभ पॉलिसी के प्रावधानों से मेल नहीं खाएंगे। इरडा ने कहा कि रेगुलेशन का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बीमा कंपनियां और बीमा मध्यवर्ती इकाइयां विज्ञापन जारी करते समय ईमानदार और पारदर्शी नीतियां अपनाएं और ऐसे व्यवहार से बचें जिनसे आम जनता के भरोसे को चोट पहुंचती हो।

उल्लेखनीय है कि इरडा ने पिछले साल भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (बीमा विज्ञापन एवं खुलासा) नियमन, 2020 का मसौदा जारी किया था। मसौदे पर हितधारकों से 10 नवंबर तक टिप्पणियां मांगी गई थीं।

शिकायत अधिकारी का नाम बताना होगा

नियामक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विज्ञापन के दावों के अनुरूप लाभ न मिलने पर उपभोक्ता की शिकायत सुनी जाएगी। इरडा ने यह भी कहा है कि कंपनियों को नियामक के पास विज्ञापन की शिकायत सुनने वाले प्रभारी के नाम पहले से दर्ज कराने होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उपभोक्ताओं के लिए शिकायत करना और इरडा के लिए उसपर नजर रखकर कार्रवाई करना आसान हो जाएगा।

लाभ की झूठी गारंटी देना पड़ेगा भारी

इस नियमन का एक और उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रचार सामग्री तार्किक, उचित और आसान भाषा में हो। लोग इनसे सही जानकारी प्राप्त करें और निर्णय कर सकें। इसमें कहा गया है कि अनुबंध की शर्तों का सही तरीके से खुलासा करने में विफल विज्ञापनों को भी भ्रामक माना जाएगा। बीमा कंपनी के मौजूदा प्रदर्शन के लिहाज से वास्तविकता से हटकर दावे करने वाले विज्ञापनों को भी भ्रामक की श्रेणी में रखा जाएगा।

खुलासा भी विज्ञापन की भाषा में

इरडा ने कहा कि आवश्यक खुलासा भी उसी भाषा में किया जाना चाहिए जिसमें पूरा विज्ञापन है। सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि किसी उत्पाद के नाम और लाभ में इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए जिससे उपभोक्ताओं में सुरक्षा की काल्पनिक भावना पैदा हो। यानी इन्हें किसी तरह से गुमराह करने वाला नहीं होना चाहिए।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योंरेस के चीफ अंडरराइटिंग ए‌वं क्लेम संजय दत्ता का कहना है कि इरडा का यह कदम बेहद सराहनीय है। दत्ता का कहना है कि बीमा विलासिता की नहीं बल्कि सबसे मुश्किल वक्त में काम आने वाला वित्तीय उत्पाद है। ऐसे में उपभोक्ताओं के भरोसे को किसी भी हाल में टूटना नहीं चाहिए। उनका कहना है इरडा की पहल से बीमा कारोबार में और पारदर्शिता बढ़ेगी जिसका लाभ उपभोक्ताओं को होगा।

नए उत्पादों लाने की छूट अवधि दो साल बढ़ाई

इरडा ने दो साल पहले बीमा कंपनियों को उपभोक्ता अनुभव के आधार पर नए उत्पादन लाने के लिए निर्देश दिए थे। इसे सैंडबाक्स ऑफ रेगुलेशंस कहते हैं यानी कार जितनी चलेगी उतना प्रीमियम जैसे नए प्रयोगों के आधार पर बीमा पॉलिसी पेश की जाती है। यह परंपरागत पॉलिसी से सस्ती होती है और खासकर उन उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है जिनकी जीवनशैली संयमित है। खराब तरीके से वाहन चलाने या चालान ज्यादा कटने की स्थिति में प्रीमियम महंगा होता है। जबकि सही से चलाने पर प्रीमियम सस्ता होता है।




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