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रीप्लेस करने पड़ते हैं हर साल लाखों करोड़ रुपये के गंदे या कटे-फटे नोट....RBI ला रहा है 100 रुपये का चमचमाता नया नोट

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) 100 रुपये के वार्निश लगे नोट जारी करने की तैयारी में है. अभी इसे ट्रायल के आधार पर जारी किया जाएगा. बाद में इसे बड़े पैमाने पर उतारने की तैयारी है. वार्निश लगे नोट उतारने के पीछे वजह नोटों को टिकाऊ और सुरक्षित बनाना है.मौजूदा नोट जल्दी खराब हो जाते हैं. ये जल्दी कट-फट जाते हैं या मैले हो जाते हैं. रिजर्व बैंक को हर साल लाखों करोड़ रुपये के गंदे या कटे-फटे नोट रीप्लेस करने पड़ते हैं. आमतौर पर हर पांच में से एक नोट हर साल हटाना पड़ता है. इन पर एक बड़ी राशि खर्च होती है. इस समस्या से निजात पाने के लिए दुनिया के कई देश प्लास्टिक नोटों का इस्तेमाल करते हैं. RBI ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि फील्ड ट्रायल सफल रहता है तो वार्निश लगे नोट धीरे-धीरे उतारे जाएंगे और पुराने नोट हटा लिए जाएंगे. उनकी जगह पर नए चमकदार नोट आ जाएंगे.

वार्निश चढ़े नोट के बारे में रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है. आरबीआई ने नोटों के लिए कई प्लान बनाए हैं जिसमें वार्निश लगे नोट भी एक है.नए नोट को ज्यादा संभालकर रखने की जरूरत नहीं होगी. क्योंकि वो नया नोट ना तो जल्दी कटेगा फटेगा, और ना ही पानी में जल्दी गलेगा. क्योंकि इस पर वार्निश पेंट चढ़ा होगा.जी हां, वही वार्निश पेंट जो हम लकड़ी या लोहे के पेंट करते वक्त इस्तेमाल करते हैं.बता दें कि भारत पहला ऐसा देश नहीं है, जहां वार्निश नोट का इस्तेमाल किया जाएगा.मौजूदा समय में दुनिया के कई देशों में वार्निश नोटों का इस्तेमाल किया जाता है. अब भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इसे देश में आजमाने का फैसला लिया है. नोटों को गंदगी से बचाने के लिए की देशों में प्लास्टिक नोटों का इस्तेमाल भी किया जाता है.

रिजर्व बैंक नोटों को इस तरह से डिजाइन करना चाहता है जिससे कि नेत्रहीन लोग भी हाथ में लेकर पहचान सकें. रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है, भारतीय नोट में नेत्रहीन लोगों की सुविधा के लिए कई इंतजाम किए गए हैं. जैसे इंटेग्लियो प्रिंटिंग, टेक्टाइल मार्क, नोटों के अलग-अलग साइज, नोटों पर बड़े अक्षरों में शब्द लिखना, नोटों के अलग-अलग रंग, मोनोक्रोमेटिक कलर और नोटों का पैटर्न इसमें शामिल हैं.

नोटों की क्वालिटी बेहतर बनाने पर जोर

नोटों की क्वालिटी बेहतर हो, इसके लिए आरबीआई ने मुंबई में बैंकनोट क्वालिटी एस्योरेंस लेबोरेटरी की स्थापना की है. इस लेबोरेटरी का काम नोटों को अपग्रेड करने और स्टैंडर्ड बढ़ाने पर जोर देना है. देश के अलग-अलग प्रेस नोट में नोट छपते हैं, उन सबका स्टैंडर्ड एक हो और सभी सुरक्षा के मानकों का ध्यान रखा जा सके, बैंकनोट क्वालिटी एस्योरेंस लेबोरेटरी इस पर काम करता है.

सालाना रिपोर्ट में आरबीआई ने बताया है, पिछले साल की तुलना में इस साल नकली नोटों की संख्या में वृद्धि देखी गई है. 10 के जाली नोट 20.2 परसेंट, 20 के जाली नोट 87.2 परसेंट और 50 के जाली नोट 57.3 परसेंट पकड़े गए हैं. 500 और 2,000 के नकली नोट भी पकड़े गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 500 रुपये (नोटबंदी के बाद शुरू हुए नए नोट) के जाली नोटों में 121.10 परसेंट और 2,000 के जाली नोटों में 21.9 परसेंट की तेजी देखी जा रही है. हालांकि एक अच्छी बात यह है कि 100 के जाली नोटों में पहले से गिरावट है और इसमें 7.5 परसेंट की कमी देखी गई है. ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि 100 के नए नोट हाल में जारी किए गए हैं.

1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च 2021 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर कुल 4,012.1 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. पिछले साल जुलाई 2019 से जून 2020 तक सिक्योरिटी प्रिंटिंग पर 4,377.8 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. जाली नोटों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा कि कुल नकली नोटों में 3.9 परसेंट रिजर्व बैंक में जबकि 96.1 परसेंट अन्य बैंकों में पाए गए थे. 2020-21 के दौरान कुल 2,08,625 जाली नोट पकड़ में आए. 2019-20 में यह संख्या 2,96,695 थी और 2018-19 में 3,17,384 थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में इस साल नोटों की आवक 9.7 परसेंट कम हुई है. पिछले साल से इस साल देखें तो बैंक नोट की सप्लाई 0.3 परसेंट कम हुई है.

अर्थव्यवस्था में कितने नोट

बाजार में जितने नोट हैं, उनमें किस नोट की कितनी मात्रा है, रिजर्व बैंक ने इसके बारे में भी बताया है. वैल्यू टर्म में देखें तो 500 और 2,000 के बैंक नोट 85.7 परसेंट चलन में हैं. यानी कि देश में जितने बैंक नोट चलन में हैं, उनमें 85.7 परसेंट 500 और 2,000 के नोट हैं. 31 मार्च, 2020 को यह मात्रा 83.4 परसेंट थी. रिपोर्ट में यह बात कही गई है. वॉल्यूम के हिसाब से देखें तो 500 के नोट का शेयर सबसे ज्यादा है और यह 31.1 परसेंट के आसपास है. उसके बाद 10 रुपये का नोट आता है जिसका वॉल्यूम 23.6 परसेंट है. नोटों की यह मात्रा 31 मार्च, 2021 के चलन के हिसाब से बताई गई है.




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