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विश्व पर्यावरण दिवस विशेष : 2021 रिपोर्ट : पर्यावरण जोखिम की सूची में 100 में से 43 शहर भारत के

एनवायरनमेंट रिस्क आउटलुक 2021 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली इस सूची में दूसरे नंबर पर है तो चेन्नई तीसरे नंबर पर है। आगरा इस लिस्ट में छठवें स्थान पर और कानपुर दसवें स्थान पर है। जयपुर 22वें लखनऊ 24वें बेंगलुरू 25 वें और मुंबई 27 वें स्थान पर हैं।

दुनिया भर में कई मुल्क पर्यावरण असंतुलन और जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे हैं। एनवायरनमेंट रिस्क आउटलुक 2021 रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार एशिया के 100 में से 99 शहर पर्यावरण के विभिन्न जोखिमों से जूझ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि पर्यावरण जोखिम का बड़ा सामना कर रहे 100 शहरों में से 43 भारत के हैं और 37 चीन के हैं।

एनवायरनमेंट रिस्क आउटलुक 2021 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली इस सूची में दूसरे नंबर पर है तो चेन्नई तीसरे नंबर पर है। आगरा इस लिस्ट में छठवें स्थान पर और कानपुर दसवें स्थान पर है। जयपुर 22वें, लखनऊ 24वें, बेंगलुरू 25 वें और मुंबई 27 वें स्थान पर हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरों में प्रदूषण पर्यावरण जोखिम का सबसे बड़ा कारण है। देश में होने वाली हर पांचवीं मौत के लिए वायु प्रदूषण ही जिम्मेदार था। इसके कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 264,864 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

जल प्रदूषण की वजह से करीब 400,000 लोगों की जान गई थी। सेहत पर करीब 66,216 करोड़ रुपये का खर्च हुआ था। पर्यावरण जोखिम का सामना कर रहे शीर्ष 20 शहरों में 2 पाकिस्तान के हैं। सूची में 12वें स्थान पर कराची और 15वें स्थान पर लाहौर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन के इस सूची में शुमार शहरों में करीब 336 मिलियन लोग रहते हैं जिसमें से 286 मिलियन जोखिम में हैं।

इस सूची में सबसे खराब स्थिति इंडोनेशिया के जकार्ता शहर की है। इस शहर में प्रदूषण का स्तर काफी खतरनाक है। साथ ही यह शहर बाढ़ और जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना कर रहा है। इंडोनेशिया के दो अन्य शहरों सुरबाया और बांडुंग को क्रमशः 4वें और 8वें स्थान पर रखा गया है। दुनिया के 20 सबसे कम संकटग्रस्त शहरों में से 14 अकेले यूरोप में हैं। साइबेरिया का क्रास्नोयार्स्क शहर सबसे ज्यादा सुरक्षित शहर है जिसे इस इंडेक्स में 576वें स्थान पर रखा गया है। जलवायु परिवर्तन और मौसम की चरम घटनाओं में अफ्रीका के शहर सबसे ज्यादा खतरे में हैं।

ऐसे प्रदूषण बन रहा जानलेवा

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस रिपोर्ट की मानें तो प्रदूषण को लेकर देश में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। दिल्ली और हरियाणा और उससे सटे प्रदेशों की हालत खराब है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड में सांस की बीमारी से हुई मौतों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। दिल्ली में वर्ष 2016 से 2018 के बीच सांस की बीमारी से मौतों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, कुल मौतों में 68.47 फीसदी हिस्सा एयर पॉल्यूशन से होने वाली मौतों का है।

स्विस संस्था आईक्यूएयर की वर्ल्ड कैपिटल सिटी रैंकिंग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली दुनिया का 10 वां सबसे प्रदूषित शहर और शीर्ष प्रदूषित राजधानी है। यह स्थिति तब है जब 2019 से 2020 तक दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में लगभग 15 फीसद का सुधार हुआ है।

देश के प्रदूषण पर शिकागो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट

शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार भारत की 1.4 अरब आबादी ऐसी जगहों पर रहती है जहां पार्टिकुलेट प्रदूषण का औसत स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से अधिक है। जबकि 84 फीसदी लोग ऐसी जगहों पर रहते हैं जहां प्रदूषण का स्तर भारत द्वारा तय मानकों से अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की राजधानी दिल्ली में भी प्रदूषण का स्तर खतरनाक है। अगर यही स्तर जारी रहा तो औसत आयु 9.4 साल कम हो जाएगी।





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