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सरकारी रिकॉर्ड में मरने वालों की लिस्ट में बड़ा हेर फेर...अचानक कैसे बढ़ गए corona मृतक ?

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण से बुधवार तक मरने वालों की 5458 की संख्या के अलावा सत्यापन के बाद अतिरिक्त 3951 अन्य लोगों की मौत के आंकडे जोड़े गए है। विभाग द्वारा जारी आंकड़े में हालांकि यह नहीं बताया गया है कि ये अतिरिक्त मौतें कब हुईं, लेकिन प्रदेश के सभी 38 जिलों का एक ब्रेकअप उल्लेखित किया गया है सिर्फ राजधानी पटना में कुल 2303 मौतें हुईं हैं। वहीं, मुजफ्फरपुर जिला 609 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है। सत्यापन के बाद पटना में सबसे अधिक 1070 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं। इसके बाद बेगूसराय में 316, मुजफ्फरपुर में 314 और सीएम नीतीश कुमार के पैतृक जिला नालंदा में 222 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं।

जब बिहार में कोरोना के कारण चीख पुकार मची थी। अस्पताल से लेकर श्मशान तक लाशों की कतार थी। उस हृदय विदारक स्थिति को देखकर अंदेशा लगा लिया गया था कि बिहार की वास्तविकता सरकार के आंकड़ों से कहीं अलग है। अब स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोरोना मृतकों की बढ़ाई गई संख्या के बाद तस्वीरें साफ हो गई है कि बिहार की व्यवस्था कितनी संवेदनशील है?

एक न्यूज रिपोर्ट की मानें तो स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के अनुसार ‘जिला स्तर पर कमेटी गठित की गई थी और पंचायतों से भी रिपोर्ट मंगवाया गया था। सभी जगहों से जानकारी मिलने के बाद मौत के आंकड़ों में 3951 लोगों की वृद्धि हुई है।

बिहार में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 10000 की मौत हो चुकी है। ब्लैक फंगस से भी बिहार में अब तक 55 की मौत दर्ज की जा चुकी है। कुल 98 संक्रमित स्वस्थ हो चुके हैं और फिलहाल अभी 368 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है।

कोरोनावायरस के कारण अब तक हुई मौतों के आंकड़े में अचानक बढ़ोतरी ने सरकार को एक बार फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है। खासकर बात करें बिहार की तो एकाएक कोरोना संक्रमण से मौतों के मामले बढ़े और फिर अचानक घट गए। जिससे बिहार स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं।बिहार में कोरोना संक्रमण के कारण अब तक हुई मौत के आंकड़ों में अचानक वृद्धि ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। कोविड-19 से हुई मौत के आंकड़ों को छिपाने को लेकर विपक्ष भी लगातार सरकार पर आरोप लगाता रहा, लेकिन उस समय प्रशासनिक महकमा एक ही राग अलापता रहा कि सरकार इसके प्रति काफी संवेदनशील है। कहीं भी किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है। हर बीमार और हर मृतक सरकारी आंकड़ों में दर्ज है, लेकिन सरकार के दावों के पुलिंदों से झूठ का पर्दा तब हटा, जब स्वास्थ्य विभाग के ही प्रधान सचिव ने कुल मौत की संख्या वाला आंकड़ा पेश किया।





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