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प्राकृतिक नहीं है कॉरोना वायरस - भारतीय वैज्ञानिकों का दावा

भारतीय वैज्ञानिक इस बात को मान रही हैं कि वायरस वुहान लैब (Wuhan Lab) से गलती से लीक हुआ है. इससे पहले भी कई एक्सपर्ट वायरस की शुरुआत को लेकर चीन की ओर इशारा कर चुके हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने इस संबंध में जांच की बात कही है. हालांकि, चीन लगातार जांच की आंच से बचता हुआ नजर आ रहा है.

आगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक मोनाली राहलकर का मानना है कि वायरस प्राकृतिक नहीं है और यह वुहान लैब से गलती से लीक हुआ है. इसके लिए वे एक साक्ष्य की ओर इशारा करती हैं. राहलकर के पति डॉक्टर राहुल बाहुलिकर BAIF रिसर्च एंड डेवलपमें सेंटर में सीनियर साइंटिस्ट हैं. दोनों ने SARS-CoV-2 की शुरुआत को लेकर कई स्टडीज की हैं. बीते साल अक्टूबर में उन्होंने ‘Lethal Pneumonia Cases in Mojiang Miners (2012) and the Mineshaft Could Provide Important Clues to the Origin of SARS-CoV-2’ नाम से एक रिसर्च पेपर तैयार किया था.

अपनी इस रिसर्च में दोनों माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स ने कोविड की उत्पत्ति पर दो सवाल उठाए थे. पहला- छोटे स्तर पर ही सही, क्या 2004 में आए SARS और 2019/20 में कोविड-19 के बीच इस तरह एटीपिकल निमोनिया के मामले पाए गए थे? दूसरा- उस बीटा कोरोना वायरस की जांच, जो SARS-CoV-2 सबसे करीबी है. इसका सैंपल यूनान प्रांत में हॉर्सशू चमगादड़ से लिया गया था. इसकी उत्पत्ति 2013 में मोजियांग के टोंगगुआन माइनशाफ्ट में देखी जा सकती है.
सीएनएन-न्यूज18 को दिए इंटरव्यू में राहलकर ने कोरोना वायरस के प्राकृतिक होने के दावों पर आशंका जताई है. वे कहती हैं, 'फरवरी 2020 में प्रकाशित लैंसेट पेपर ने कहा था कि यह वायरस प्राकृतिक है और हमसे चीनी वैज्ञानिकों की बात मानने और उनका समर्थन करने के लिए कहा गया था. लेकिन साथ में कोई सबूत नहीं दिया था.' उन्होंने कहा कि नेचर मेडिसिन बाय क्रिस्टिन एंडरसन में प्रकाशित पेपर में भी वायरस की उत्पत्ति को प्राकृतिक बताया गया था, लेकिन साथ में दी गई हाइपोथीसिस ठोस नहीं थीं.

चमागदड़ वाली बात पर शंका

राहलकर ने बताया, 'एक और जो चीज मुझे उस समय अजीब लगी, वह है कि जब मैंने सर्च करने की कोशिश की कि वुहान में हॉर्सशू चमगादड़ हैं या नहीं. क्योंकि वे कह रहे थे कि इन चमगादड़ों में यह वायरस है. लेकिन हॉर्सशू चमगादड़ खास तौर से दक्षिणी चीन, यूनान और गुआनडॉन्ग में पाए जाते हैं और ये स्थान वुहान से 1500 या 1800 किमी दूर है. तो ये चमगादड़ यहां कैसे पहुंचे? बाद में इन्हें वायरस का मेजबान बताया गया. पैंगोलिन को वायरस के मेजबान की तरह दिखाया गया, लेकिन उस दौरान प्रकाशित हुए पेपर कोई ठोज थ्योरी नहीं दे रहे थे.'


लैब लीक थ्योरी को लेकर राहलकर ने एक विस्तृत सबूत पर बात की. उन्होंने बताया, 'कुछ जानकारी का खुलासा नहीं किया गया. उन्होंने जानकारी अलग-अलग हिस्सों में जारी की. उदाहरण के तौर पर उन्होंने हमें पहले पेपर में नहीं बताया कि 4991 वायरस RATG-13 है और उन्होंने हमें तीन साल के अपने अभियान की भी जानकारी नहीं दी. वे बताते हैं कि उन्होंने इस इलाके का एक साल तक सर्वे किया, नवंबर 2020 में महामारी में 11 या 12 महीनों में डॉक्टर शी ने एक जोड़ प्रकाशित किया. उस समय मैंने इस जोड़ की आलोचना लिखी थी, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि कई चीजें बदल गई थीं.'

राहलकर ने शी के जोड़ में शामिल विसंगतियों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, 'उन्होंने कहा था कि खदान में काम करने वालों में कोविड या सार्स की नेगेटिव एंटीबॉडीज थीं, लेकिन हमारे पेपर में हमने बताया था कि सीडीसी के डायरेक्टर जॉर्ज एफ गाओ के एक छात्र ने बताया था कि मोजियांग के माइनर्स में पॉजिटिव एंटीबॉडीज थीं. ऐसे में इसमें कई विसंगतियां थीं. इसलिए यह एक कवर-अप की तरह लगता है जो थोड़ा संदिग्ध भी है.' उन्होंने कहा, 'उनकी लैब्स में सिक्युरिटी भी एक मुद्दा है, जो लैब लीक की ओर इशारा कर रहा है. क्योंकि इन वायरसों को लेवल 4 पर हैंडल किया जाना चाहिए, लेकिन वे इसे लेवल 2 या 3 पर हैंडल कर रहे थे.' वे बायो हथियार की थ्योरी से भी पूरी तरह इनकार नहीं कर रही हैं.





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