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जिले से ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से एनीमिया को भगाना है : हेमंत धु्रव

जिले में लालिमा योजना का शुभारंभ स्वास्थ्य, महिला व बाल विकास विभाग और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में नरहरपुर विकासखंड के ग्राम दबेना में जिला पंचायत के अध्यक्ष हेमंत कुमार धु्रव के मुख्य अतिथि में शुभारंभ किया गया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जिले से ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश से एनीमिया को भगाना है, इसके लिए पूरे समुदाय को जागरूकता करने की आवश्यकता है, जिससे यह ग्राम प्रदेश में एनीमिया को खत्म करने के लिए एक मॉडल ग्राम बन जाएगा। लालिमा योजना को सफल बनाने के लिए स्व-सहायता समूह की बहनें, किशोरी बालिका और गर्भवती माताओं को भी एक कदम आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने किशोरी बालिकाओं से आव्हान करते हुए कहा कि अपने घरों में माताओं एवं बहनों को भी आयरन फोलिक गोलियां खाने के लिए प्रेरित करें, ताकि लालिमा योजना को सफल बनाने में हम सबकी सहभागिता हो सके।

जिला पंचायत अध्यक्ष धु्रव ने कहा कि हमारे जिले में गर्भवती माताओं को अस्पताल से मिला जच्चा-बच्चा कार्ड के माध्यम से स्वास्थ्य जांच नियमित रूप से कराने की जरूरत है, जिससे स्वयं अपने शरीर में खून की मात्रा को ज्ञात कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 टीकाकरण का भी लोगों में भ्रांतियां है, उसे टीका लगाने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। जिले के प्रत्येक व्यक्ति को कोरोना का टीका जरूर लगायें और कांकेर सहित पूरे देश से कोरोना को भगाने में सहयोग करें।


लालिमा योजना के शुभारंभ अवसर पर कलेक्टर चन्दन कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कांकेर जिले से एनीमिया को भगाने के लिए हमें संघर्ष करने की जरूरत है। सबसे पहले अपने आप को जागरूक करें, उसके पश्चात दूसरों को भी आयरन फोलिक गोलियों को खाने के लिए प्रेरित करें, ताकि हमेशा के लिए कांकेर सहित पूरे प्रदेश को एनीमिया मुक्त कराने में सफलता मिलेगी। इस योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए एनीमिया से ग्रसित किशोरी बालिकाएं, गर्भवती माताओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से वितरण किये गये आयरन फोलिक गोलियों को नियमित रूप से सेवन करने की आवश्यकता है, जिससे शरीर में खून की कमी न हो। उन्होंने कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए छत्तीसगढ़ के महतारियों को आगे आने की जरूरत है। माताओं को गर्भवस्था में खून चढ़ाने पर काफी दिक्कतें का सामना करना पड़ता है और जच्चा-बच्चा दोनों को खतरा हो सकता है, इसके लिए खान-पान और सोच में परिवर्तन लाने की जरूरत है। लालिमा योजना का सही क्रियान्वयन करने के लिए प्रत्येक गांव के महिलाओं को जागरूक करने और गांव को एनीमिया मुक्त बनाने में सहयोग करें।

यूनिसेफ के प्रमुख जॉब जाकरिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एनीमिया शारीरि और मानसिक विकास, कार्यक्षमता और आने वाली पीढ़ियों के जीवन को प्रभावित करता है। इससे पता चलता है कि हर दूसरी भारतीय महिला एनीमिक है। छत्तीसगढ़ में लगभग 42 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं और 45 प्रतिशत 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चे तथा 15 वर्ष से 49 वर्ष की माताओं का 47 प्रतिशत एनीमिक हैं। स्तनपान कराने वाली माताएं एनिमिक होती हैं, देश में एनिमिया को दूर करने के लिए 2018 में एनिमिया मुक्त भारत लांच किया गया। कांकेर जिले में 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं एनिमिया को कम करने के लिए लालिमा योजना को शुरू किया गया है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को हिमोग्लोबिन का परीक्षण कराने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। एनिमिया के गंभीर मामलों की पहचान कर उपचार करने से ही एनिमिया को दूर किया जा सकता है। कार्यक्रम को जिला पंचायत के मुख्य कायर्पालन अधिकारी डॉ. संजय कन्नौजे, पोषण विशेषज्ञ यूनिसेफ डॉ. फरहद सैयद, मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जे.एल. उईके, सरपंच गिरिजा नेताम ने भी संबोधित किया।

कार्यक्रम में जनपद सदस्य इंर्दल तारम, जनपद सीईओ पी.के. गुप्ता, जिला महिला बाल विकास अधिकारी सी.एस. मिश्रा, तहसीलदार नरहरपुर आशा मौर्य सहित सुपोषण दूत, स्व-सहायता समूह की महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।




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