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लघु धान्य से पोषण के साथ-साथ रोजगार भी

जिले में लघु धान्य फसलों का अपना अलग ही महत्व है। कांकेर जिले में इन फसलों की खेती आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कम उपजाऊ, उच्चहन व कंकरीली जमीन पर ली जाती है, जिसमें अन्य फसलों का उत्पादन अच्छे से नहीं हो पाता। लघु धान्य फसलों में पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, इन्हीं गुणों को ध्यान में रखते हुए लघु धान्य फसलों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला प्रशासन के सहयोग से कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर में लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है,

 जिसका लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने 27 जनवरी 2021 को किया गया। मुख्यमंत्री बघेल की घोषणा के अनुपालन में दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के ग्राम गोटुलमुण्डा में भी इस माह से लघु धान्य प्रसंस्करण इकाई शुरू हो गया है। स्थापना के बाद से ही प्रसंस्करण इकाई में लगातार कोदो-कुटकी एवं रागी का प्रसंस्करण किया जा रहा है, विगत छः माह में लगभग 800 क्विंटल से अधिक कोदो-कुटकी एवं रागी का प्रसंस्करण कर प्रदाय किया जा चुका है। इकाई के संचालन के लिए लघु धान्य फसलों का उत्पादन करने वाले कृषकों एवं महिलाओं का समूह बनाया गया है तथा समूह के माध्यम से कृषकों के उत्पाद को संग्रहण कर प्रसंस्करण इकाई में महिला समूह के माध्यम से प्रसंस्करण कर पैकेजिंग किया जा रहा है। इस उत्पाद को जिले के आंगनबाड़ियों के माध्यम से कुपोषित, रक्त अल्पतता से ग्रसित व गर्भवती माताओं तथा कुपोषित बच्चों को कोदो चांवल खिचड़ी के रूप में एवं रागी को हलवा के रूप में प्रदाय किया जा रहा है। सरकार की सुपोषण अभियान से एक ओर जहां पौष्टिक एवं गरम भोजन महिलाओं एवं बच्चों को मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर संग्रहण एवं प्रसंस्करण कार्य में संलग्न महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिल रहा है। संग्रहण एवं प्रसंस्करण कार्य में लगे हुए स्व-सहायता समूह के सदस्यों को 850 से अधिक मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया है।




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