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कार्य स्थलों में 10 से अधिक श्रमिक नियोजित होने पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन आवश्यक

कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए भारत सरकार ने लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम बनाया गया है, जिसके तहत ऐसे समस्त कार्यस्थल जहॉ 10 या 10 से अधिक श्रमिक नियोजित हों, वहॉ नियोजक लिखित आदेश ने आंतरिक परिवाद समिति का गठन करेगा। उक्त समिति में 1 पीठासीन अधिकारी होगा, जो कार्यस्थल पर ज्येष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी होगी तथा कर्मचारियों में से कम से 2 सदस्य जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध हो और 1 सदस्य, महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध किसी गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) से होगा।

इस संबंध में जानकारी देते हुए श्रम पदाधिकारी ने बताया कि ऐसे संस्थानों में जहॉ 10 से कम कर्मचारी होने के कारण आंतरिक परिवाद समिति गठित न की गई हो अथवा परिवाद नियोजक के ही विरूद्ध हो तो परिवाद जिला स्तर पर गठित स्थानीय परिवाद समिति को प्रस्तुत किये जाएंगे। प्रत्येक नियोजक का यह कर्तव्य होगा कि वह कार्य स्थल पर महिलाओं को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करायेगा, साथ ही वह आंतरिक समिति के गठन के आदेश और उत्पीड़न के दण्ड को ऐसे स्थान पर प्रदर्शित करेगा जहॉ से वह सरलता से दिखाई पड़े।

कोई नियोजक यदि आंतरिक समिति का गठन करने में असफल रहता हो अथवा अधिनियम के किसी नियमों का उल्लंघन करता हो तो वह 50 हजार रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय होगा। नियोजकों से कहा गया है कि वे अपने संस्थान में महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के अनुसार एक सप्ताह के भीतर लिखित आदेश में निर्धारित प्रारूप में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करें एवं आदेश की एक प्रति डाक के श्रम पदाधिकारी कार्यालय को प्रेषित किया जाए, साथ ही आंतरिक परिवाद समिति गठन का आदेश अपने संस्थान में सरलता से दिखाई पड़ने वाले स्थान पर भी प्रदर्शित करना सुनिश्चित करें। समिति गठन आदेश की प्रति और उसे संस्थान में चिपकाकर उसकी फोटो खींचकर श्रम निरीक्षकों को वाट्सएप से भेजने के लिए भी कहा गया है।




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