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खत्म हुआ किसानों का प्रदर्शन...पीड़ित परिवार को मिलेगी नौकरी

बता दें, किसानों की मुख्य मांग तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा को निलंबित करना था. दरअसल, किसानों का कहना था कि आयुष सिन्हा पुलिसकर्मियों से यह कहते हुए सुने गए थे कि अगर वे सीमा पार करते हैं तो किसानों का सिर फोड़ दें. इस बयान से तथाकथित बयान से किसान भड़क गये. इसके बाद वे करनाल जिला मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठ गये हैं. किसान बीते 5 दिनों से धरने पर बैठे थे.

चार घंटे तक चली मैराथन बैठक: इससे पहले शुक्रवार को किसानों और प्रशासन के अधिकारियों के बीच करीब चार घंटे तक मैराथन बैठक चली. बैठक में किसानों ने लाठीचार्ज वाली बात को जोर शोर से उठाया और एसडीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाी की बात तही. इसके अलावा किसानों ने मीटिंग में मामले की न्यायिक जांच, मृतक किसान सुशील के आश्रितों को मुआवजे के साथ नौकरी की भी मांग की. किसानों ने कहा कि वो डीसी करनाल की जांच से संतुष्ट नहीं हैं.

किसानों ने कहा है कि 28 अगस्त की हिंसा में एक किसान की मौत हो गई, लेकिन प्रशासन ने इस आरोप को खारिज कर दिया. जिससे किसानों में आक्रोश है. हालांकि इस बीच किसानों के साथ कई दौर की बातचीत हुई. लेकिन हर बार वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला. ऐसे में अब एक बार फिर किसान संगठन और प्रशासनिक अधिकाराकारियों के बीच वार्ता हो रही है. उम्मीद की जा रही है कि आज कोई समादान निकलेगा.


करनाल में किसानों का प्रदर्शन खत्म हो गया है. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे लाठीचार्ज मामले की जांच. वहीं, जांच होने तक एसडीएम छुट्टी पर रहेंगे. सरकार ने कहा है कि पीड़ित परिवार को एक हफ्ते में नौकरी दे दी जाएगी. बता दें, करनाला के बसताड़ा टोल पर बीते महीने 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद से हीगुस्से में थे. किसान एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई समेत कई और मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे.




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