केवल 2.7 प्रतिशत भाग स्वच्छ जल ....घर में लगवाये हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं होगी कभी पानी की किल्लत ....सम्पत्तिकर में 6 फीसदी की छूट
संयुक्त राष्ट्र के आकलन के मुताबिक पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा करीब 1400
मिलियन क्यूबिक मीटर है। इतने पानी में धरती करीब तीन हजार गहराई तक समा
सकती है।
2. पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पूर्ण जल का केवल 2.7 प्रतिशत भाग
स्वच्छ जल है जिसका 75.2 प्रतिशत ध्रुव प्रदेशों में जमा है। तथा 22.6
प्रतिशत भूजल के रूप में उपस्थित है।
3. आज भी 2.17 लाख ग्रामीण घरों में शुद्ध जल नहीं पहुँच पाता।
4. 1560 मील लम्बी गंगा नदी से देश के चालीस करोड़ लोगों का भाग्य जुड़ा है।
5.
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक देश में केवल 31 प्रतिशत
म्युनिसिपल सीवेज का शोधन होता है। बाकि अशोधित सीवेज नदियों, तालाबों में
डाल दिया जाता है।
जल ही जीवन है। अगर यह जीवन है तो बेशक यह अनमोल है और ऐसी अनमोल चीज की कद्र भी जरूरी है। पानी हमें हमेशा मिलता रहे, इसके लिए रेनवॉटर हार्वेस्टिंग जरूरी है। कैसे करें रेनवॉटर हार्वेस्टिंग और क्या हैं फायदे, एक्सपटर्स से बात कर जानकारी दे रहे हैं।
क्यों है जरूरी
- भूजल के जबर्दस्त दोहन से लगातार पानी का स्तर नीचे जा रहा है। इससे पेयजल की किल्लत हो रही है।
- बारिश का पानी यूँ ही बहकर बर्बाद हो जाता है जबकि उसे बचाकर साल भर इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इससे पेड़-पौधों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी।
- बड़े शहरों में पानी की समस्या में बहुत हद तक कमी आ सकती है।
- इससे सप्लाई वॉटर या अंडरग्राउंड वॉटर का इस्तेमाल कम होगा और उसकी बचत होगी।
कैसे करें हार्वेस्टिंग
सबसे पहले इसे सही तरीके से समझने की जरूरत है। बारिश के पानी को हम जहाँ से भी ज्यादा-से-ज्यादा इकट्ठा कर सकते है, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग वहीं होनी चाहिए। छत इसके लिए सबसे मुफीद जगह होती है। सोसायटीज और खुद की जमीन पर अपने हिसाब से घर बनाने वालों के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग आसान है और इसे अनिवार्य भी बनाया जा रहा है। दिल्ली में अब अगर कोई 100 वर्ग मीटर या इससे बड़े एरिया में घर बनाता है तो उसे रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाना ही होगा।
तरीके से होती है हार्वेस्टिंग
1. स्टोरेज
इसमें बारिश के पानी को सीधे उपयोग करने के लिए जमा किया जाता है। इसके लिए बारिश के पानी को पाइप के द्वारा स्टोरेज में जमा किया जाता है। इसमें रेनी फिल्टर प्रयोग में लाया जाता है और इसकी वजह से यह पानी अमूमन साफ रहता है। यह तरीका उन इलाकों में ज्यादा कारगर है जहाँ पर जमीन के नीचे का पानी खारा है या फिर बारिश बेहद कम होती है। इस पानी को घर की सफाई और बागवानी में इस्तेमाल कर सकते हैं।
खर्च: 5 से 8 हजार रुपए।
2. रिचार्ज
जहाँ का पानी मीठा हो, वहाँ धरती के नीचे बारिश का पानी भेजकर ग्राउंड वॉटर को रिचार्ज किया जा सकता है। इस पानी को हम मनमर्जी से खर्च नहीं कर सकते, लेकिन इस तरीके से जमीन के अन्दर मौजूद मीठे पानी के स्तर को बढ़ाया जाता है। इसके लिए खास तरह का गड्डा खोदना पड़ता है। अगर ग्राउंड वॉटर नमकीन हो तो मीठा पानी रिचार्ज करने से वह भी नमकीन हो जाता है।
रिचार्ज होने के लिए छत पर जमा होने वाले बारिश के पानी को सीधे एक गड्डे में भेजा जाता है। इसके लिए रेनवॉटर हार्वेस्टिंग फिल्टर लगवाना पड़ता है। इस फिल्टर को छत से आगे वाली पाइप के निचले हिस्से में लगाया जाता है। इससे गड्डे में पहुँचने वाली कई तरह की गंदगी रुक जाती है और साफ पानी धरती के नीचे जाकर ग्राउंड वॉटर का लेवल बढ़ाता है।
फिल्टर छत की साइज के हिसाब से अलग-अलग कीमतों में उपलब्ध है :
- 6000-9000 रुपए है सबसे छोटे फिल्टर की कीमत 100 मीटर की छत के लिए।
- 3000 रुपए में इससे छोटी छत के लिए फिल्टर उपलब्ध है।
- अगर फिल्टर नहीं लगवाना है और आपके पास पर्याप्त जगह है तो पानी को मेन पिट में भेजने से पहले एक स्टोरेज टैंक या टंकी में जमा किया जा सकता है। वहाँ पर पानी कुछ समय के लिए जमा होगा तो कई तरह की गन्दगी नीचे बैठ जाएगी और फिर साफ पानी जमीन में जाएगा।
घरों में पानी ऐसे बचाएँ
- जितने जल की जरूरत हो, सिर्फ उतना ही इस्तेमाल करें।
- पानी के इस्तेमाल के बाद नल को कसकर बंद कर दें।
- ब्रश करते समय, बर्तन और कपड़े धोते समय नल को चलते रहने न दें।
- पानी लीक होने की स्थिति में प्लंबर को फौरन बुलाकर ठीक कराएँ।
- ऐसी वाशिंग मशीन का इस्तेमाल करें जिससे पानी की बचत हो।
- बाल्टी या बोतल में पानी बचने की स्थिति में उसे फेंकने के बजाय पौधों में डाल दें।
- फलों या सब्जियों को धोने के बाद उस पानी को क्यारियों व पौधों में डाल दें।
खुद भी बनवा सकते हैं सिस्टम
थोड़ी-सी जानकारी लेकर आप खुद भी रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवा सकते हैं। यहाँ हम इसकी मोटी-मोटी जानकारी दे रहे हैं।
गड्डे का साइज कितना होगा, इसके लिए एक सामान्य फार्म्युला है : छत का एरिया X 0.8 X 0.025
मान लें कि आपकी छत का एरिया 100 मीटर है
- 100 X 0.8 X 0.025 = 2 क्यूबिक मीटर आयतन वाला गड्ढा बनेगा।
- इस पिट की गहराई 2 मीटर होगी।
- लम्बाई और चैड़ाई 1-1 मीटर।
- इस गड्डे की क्षमता लगभग 2000 लीटर पानी स्टोर करने की होती है।
कैसे बनवाएँ पिट
पिट यानी गड्ढे खुदवाने के बाद उसमें नीचे की ओर फिल्टर मीडिया लगवाया जाता है। यह ईंट, चारकोल या एक्टिवेटिड कार्बन, बालू आदि से मिलकर बनता है।
- ऊपर बताए हुए छत के क्षेत्रफल के हिसाब से गड्ढा करवाएँ।
- सबसे नीचे का हिस्सा कच्ची मिट्टी का होगा।
- कुछ जगहों पर कच्ची मिट्टी से एक पाइप 50 फिट तक डाला जाता है ताकि पानी धरती के नीचे आसानी से पहुँच सके।
- उसके ऊपर लगभग 50 सेंटीमीटर तक पकी हुई ईंट (40/50/63 मिमी साइज) लगेगी।
- ईंट के ऊपर लगभग 1.5-2 मिमी. ऊँचाई तक चारकोल डाला जाता है।
- चारकोल के ऊपर 20 सेमी ऊँचाई तक रेत भरते हैं।
- रेत के ऊपर जियो टेक्सटाइल मेंब्रेन (एक तरह का वॉटर फिल्टर करने वाला कपड़ा जो हार्डवेयर शॉप्स में मिल जाता है।) लगाते हैं। इसकी कीमत 60-वर्ग मीटर है।
- पिट के चारों तरफ आरसीसी पैनल के साथ ईंट से बाउंड्री बनवा लेना बेहतर रहता है।
- पिट को ढकने के लिए लोहे की ग्रिल या प्रीकास्ट स्लैब का उपयोग कर सकते हैं।
(खर्चः लगभग 20-30 हजार रुपए(खर्च में कमी-बेशी मुमकिन है।)
क्या रखें ध्यान
- ऐसे रिचार्ज पिट इमारत की फाउंडेशन या बेसमेंट से कम से कम 5 मीटर पर हो।
- ऊपर लिखे फिल्टर मीडिया की जगह पर मल्टिपल लेयर में ‘‘जूट मैट’’ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- किसी भी तरह का वेस्ट वॉटर रिचार्ज स्ट्रक्चर के अन्दर नहीं पहुँचे।
- रिचार्ज स्ट्रक्चर की गहराई 1 से 4 मीटर तक हो।
- छत को किसी भी तरह के केमिकल से पेंट नहीं होना चाहिए।
- छत पर किसी भी तरह का केमिकल, जंग लगा हुआ लोहा, खाद या सर्प आदि नहीं होना चाहिए।
- ऐसे किसी भी एरिया में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग करने की जरूरत नहीं, जहाँ मानसून के बाद अंडरग्राउंड वॉटर का स्तर 5 मीटर या इससे कम हो। इससे ज्यादा गहराई पर पानी हो, तभी इसकी जरूरत है।
सरकारी पहल
देश में जलसंकट से उबरने के लिये जल संचय आवश्यक है। वर्षाजल को संचित करना हमारे लिये अनिवार्य हो गया है। सरकार ने इस दिशा में महत्त्वपूर्ण पहल की है। देश के कई राज्यों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बना दिया गया है। लेकिन इसका पालन कड़ाई से न होने के कारण फायदा नहीं हुआ तथा अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं। मध्य प्रदेश में 140 वर्गमीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल पर निर्मित होने वाले सभी भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बना दिया गया है। ऐसा करने वालों को पहले साल सम्पत्तिकर में 6 फीसदी की छूट मिलने का भी प्रावधान है।
इसी प्रकार राजस्थान में सभी सरकारी भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश में भी नई इमारतों में क़ानूनन, रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बना दिया गया है । कर्नाटक में रेनवाटर हार्वेस्टिंग करवाने पर सम्पत्ति कर में 5 वर्ष तक के लिये 20 प्रतिशत की छूट मिलती है। पंजाब में लुधियाना और जालंधर नगर निगमों ने इसे जरूरी किया है। छत्तीसगढ़ जल्दी ही रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य करने जा रहा है। गुजरात राज्य में यह नियम पहले से ही लागू है। सूरत महानगर पलिका ने तो रेनवाटर हार्वेस्टिंग के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिये इसमें आने वाले खर्च पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने की योजना बनाई है। उत्तर प्रदेश के 54 जिलों में भूजल स्तर ज़मीनी सतह से 10 मीटर नीचे पाया गया है तथा 40 से 50 से.मी. प्रतिवर्ष की औसत गिरावट पाई गई है। प्रदेश की सरकार ने भवनों में वर्षाजल संचयन योजना (रूफ टाॅप रेन वाटर हार्वेस्टिंग) को अनिवार्य रूप से लागू किया था। इसके साथ-ही-साथ सभी ग्रुप हाउसिंग योजनाओं में छतों तथा खुले स्थानों से प्राप्त बरसाती जल को परकोलेशन पिट्स (जिन गड्ढों से पानी रिसकर ज़मीन के नीचे चला जाता है) के जरिए भूजल रिचार्जिंग को अनिवार्य कर दिया गया।