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बर्तन बैंक से स्व सहायता समूह की ग्रामीण महिलाओं को हो रही अतिरिक्त आमदनी

महासमुन्द और दुर्ग जिला अंतर्गत स्वसहायता समूह की ग्रामीण महिलाओं को बर्तन बैंक के जरिए रोजगार उपलब्ध हो रहा है, वहीं डिस्पोजेबल बर्तनों के उपयोग में नियंत्रण से प्लास्टिक से पर्यावरण प्रदूषण से भी निजात मिल रही है। महासमुन्द जिले के ग्राम खैरझिटी एवं रायतुम मेें स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बर्तन बैंक संचालित किया जा रहा है। स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए बर्तन बैंक की आईडिया स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारियों ने ग्रामीण महिलाओं को दिया था। बर्तन बैंक के आइडिया को अपनाकर समूह की महिलाएं अतिरिक्त आमदनी कमा रही है।

इन समूह द्वारा बहुत ही कम लागत मूल्य मात्र 12 हजार रूपए से शादी, जन्मदिन आदि विभिन्न कार्यक्रमों के हिसाब से बर्तनों की खरीदी की गई। लगभग बारह हजार के बर्तन सौ लोगों के भोजन व्यवस्था के लिए पर्याप्त है। समूह की महिलाएं विभिन्न फंक्शनों में बर्तनों को किराए पर दे देती है। इससे समूह को एक दिन का किराया पांच से छह सौ तक मिल जाती है। इससे इन समूह की महिलाओं को एक ओर अतिरिक्त आमदनी हो रही है, वहीं डिस्पोजेबल बर्तनों के उपयोग में नियंत्रण से पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं हो रहा है।

गौरतलब हैं कि राज्य शासन द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण में विपरीत प्रभाव को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध लगाया गया है। सिंगल यूज प्लास्टिक थैले व डिस्पोजेबल बर्तन आदि पर प्रतिबंध है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत डिस्पोजेबल बर्तनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए बर्तन बैंक की अवधारणा पर काम करने पर जोर दिया गया है।




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