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दस मशीन जो बढ़ा देंगी किसानों का मुनाफा.... मशीनें खेती के नए रूप को जन्म दे रही

ज़्यादातर किसान छोटे और सीमांत हैं। इन किसानों के पास एक हेक्टेयर से भी कम ज़मीन है। इन्हें कम ज़मीन में खेती करना पड़ती है। जिसमें न तो बड़ी-बड़ी मशीनें फिट बैठती हैं और न पारंपरिक खेती। हमारे किसान भाइयों के सामने सबसे बड़ी चुनौती वक्त के साथ तालमेल बैठाकर पैसा बचाने की है। यही वजह है कि विज्ञान के इस युग में खेती में मशीनों का महत्व और बढ़ गया है। इसलिए सरकार भी अब किसानों को मशीनों के लिए अनुदान दे रही है।

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1- शुगर केन प्लांटर/कटर

इसका उपयोग गन्ने की बुआई के लिए किया जाता है। यह मशीन गन्ने के कटाई, बुआई और नाले बनाने का काम एकसाथ कर देती है।

लाभ- बुआई करने पर अंकुरण अच्छा होता है। बीज कम लगते हैं, कल्ले ज्यादा फूटते हैं। बीजों और मजदूरों पर कम खर्च करना पड़ता है।

कीमत- करीब 40 हज़ार से 2.5 लाख रु. तक में अच्छी मशीन आ जाती है। यह आप पर निर्भर करता है कि आपका बजट कितना है।

2- रोटावेटर  

यह फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाने का काम करती है। इससे फसल बुआई के लिए बीजारोपण किया जाता है।

लाभ- मिट्टी को अच्छे से भुरभुरा बना देता है। 4-5 जुताई के बराबर एक ही जुताई में काम करता है। 50 प्रतिशत समय बचता है और पारंपरिक खेती से रकम भी कम खर्च होती है।

कीमत- बाज़ार में रोटावेटर की कीमत 50 हज़ार रु. से शुरू होती है। और करीब 1.5 लाख रु. में अच्छा रोटावेटर आपके पास आ सकता है।

3. टाइन कल्टीवेटर

यह कल्टीवेटर बीज की बुआई और खरपतवार की गुड़ाई के लिए काम आने वाला प्रमुख कृषि यंत्र है।

लाभ- ठूंठदार खेती प्रकाश और मध्यम मिट्टी की स्थिति के लिए ठीक है।

कीमत- लगभग 25 हजार से शुरू होकर 50 हजार रुपए तक।

4- हैरो

इसका उपयोग खरपतवार हटाने और मिट्टी को भुरभुरी करने के लिए किया जाता है।

लाभ-  ज्यादा नीचे तक खेतों की जुताई कर सकता है। ज़मीन की मिट्टी को अच्छे से तोड़ देता है।

कीमत- इसकी कीमत करीब 75 हज़ार से 1 लाख रु. तक होती है। कीमत कंपनी पर निर्भर करती है।

5- मल्टीक्रॉप थ्रेसर

इसका उपयोग विभिन्न फसलों जैसे-गेहूं, सूरजमुखी और जौ की मड़ाई के लिए होता है।

लाभ- एक जगह से दूसरी जगह ले जाना है आसान। मजदूरी और समय दोनों की बचत होती है। ये टिकाऊ भी है, जो लंबे समय तक चलता है।

कीमत- करीब 80 हज़ार रु. से बाजार में इसकी शुरुआत होती है। गुणवत्ता के आधार पर 4 लाख रुपये के थ्रेसर भी बाज़ार में मौजूद हैं।

6- पावर टिलर

इससे खेती के अनेक काम आसानी से किए जा सकते हैं। यह मशीन किसानों के लिए वरदान है।

लाभ- मज़दूरी, समय और पैसे तीनों की बचत होती है। ये टिकाऊ है और लंबे वक्त तक चलता है।

कीमत- बाज़ार में करीब 80 हज़ार से 1.5 लाख रु.।

7- रोटरी सीडर

यह धान की कटाई के तुरंत बाद गेहूं की बुआई करने के उपयोग में आता है। इससे कम समय में गेहूं की बुआई की जाती है।

लाभ- रोटरी सीडर बीज और उर्वरक के उचित वितरण में मदद करता है, इस प्रकार मिट्टी में भी मिश्रण प्रदान करता है। मिट्टी की सेहत में सुधार होता है और ये पर्यावरण के अनुकूल है।

कीमत- करीब 60 हज़ार से 1.5 लाख रु.।

8- लेवलर

इसका उपयोग मिट्टी को समतल करने में किया जाता है। इसे आधुनिक जमाने का पाटा भी कहते हैं।

लाभ- पैदावार में 15 से 25 प्रतिशत को बढ़ाता है। पानी की 40 प्रतिशत की बचत होती है। पानी लगने का खतरा कम करता है।

कीमत- करीब 1 लाख से 2 लाख रु. के बीच।

9- ड्रम सीडर

यह धान की रोपाई के लिए छोटी मशीन है। इससे कम समय और कम लागत में धान की अधिक रोपाई की जाती है।

लाभ- ड्रम सीडर से धान बुआई करने से कम लागत में ज़्यादा मुनाफा मिलता है। प्रति हेक्टेयर लागत में लगभग 4000-6000 हजार रुपये की बचत होती है। धान की फसल की अवधि 7 से 10 दिन कम होती है।

कीमत- 5 हज़ार से 20 हज़ार रु.।

10 . बेलर

यह कटी हुई घास या फसल को इकट्ठा करके बंडल बनाने का काम करती है।

लाभ- बेलर मशीन द्वारा 1 घंटे में एक एकड़ खेत की घास या फसल को एकत्र किया जा सकता है। बेलर से 18-20 किलो गठ्ठा तैयार होता है। 1 एकड़ में 35 से 40 गठ्ठे तैयार होते हैं।

कीमत- 1 लाख से 1.5 लाख रु. के बीच अच्छी मशीन ली जा सकती है।






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