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इन अंधविश्वासों के पीछे ये है वैज्ञानिक कारण.....इंसानी बिलीफ सिस्टम का मनोवैज्ञानिक कारन

अपने विकास के दौरान धीरे धीरे इंसान अपने ही दिमाग द्वारा बनायी गयी खेल का शिकार होता गया..जिसके बाद इंसानो ने खुद ही ऐसे परिकल्पना विस्थापित की जिसमे वे और सुरक्षित महसूस कर सके..उसके बाद यह एक परंपरा की तरह काम करता चला गया जिस्का बोझ उठाने और कायम रखने की जिम्मेदारी हर पीढी उठाने लगी

हमारे पूर्वजो द्वारा बनाए गए इन रिवाजों पीछे विज्ञान काम करता है। जी हां हर अंधविश्वास के पीछे छुपा है एक वैज्ञानिक तथ्य। आएये जानते है

हमारे समाज में कुछ रिवाज ऐसे हैं जिन्हें अंधविश्वास की नजर से देखा जाता है। जैस घर के बाहर नींबू मिर्ची टांग देना, दही खा कर घर से बाहर ना निकलना वगैरहा वगैरहा। पर क्या आप जानते है कि हमारे पूर्वजो द्वारा बनाए गए इन रिवाजों पीछे विज्ञान काम करता है। जी हां हर अंधविश्वास के पीछे छुपा है एक वैज्ञानिक तथ्य। आएये जानते है

सांप को मारने के बाद सिर कुचलना
कहा जाता है सांप को मारने वाले की तस्वीर उसकी आंखों में छप जाती है। जबकि इस अंधविश्वासा के पीछे लॉजिक ये है कि सांप के मरने के बाद भी उसका जहर लोगों को मार सकता है। इसलिए उसके सिर को कुचल कर दबा दिया जाता है ।

ग्रहण के समय बाहर ना आना
हमारे बड़े अक्सर हमें ग्रहण के समय बाहर निकलने नहीं देते उनके मुताबिक इस दौरान बुरी ताकते हावी हो जाती हैं। जबकि इसके पीछे का असली लॉजिक है कि ग्रहण के वक्त सूर्य की किरणों से त्वचा के रोग हो सकते हैं। साथ ही नंगी आंखों से उसे देखने से लोग अंधे भी हो सकते हैं।

मंगल और गुरुवार को बाल न धोना
आपने अक्सर देखा होगा अक्सर महिलाएं मंगल और गुरूवार को बाल धोने से परहेज करती है। क्योंकि उन्हें लगता है कि इस दिन बाल धोने से बुरे वक्त की शुरूआत होती है।
लेकिन आपको बता दें कि पुराने वक्त में लोग अपने घरों में पानी स्टोर करके रखते थे। बाल धोने में पानी ज्यादा खर्च होता है , तो इन दो दिन पानी बचाने के लिए बाल नहीं धोए जाते थे।

गर्भवती महिला के बाहर जाने पर पाबंदी
बुरी आत्मा का साया मां और होने वाले बच्चे पर पड़ सकता है। ऐसा करने के पीछे लॉजिक है कि पहले के वक्त में आने-जाने के साधनों की कमी थी और गर्भवती महिलाओं को पैदल चलने की समस्या होती थी।

रात में नाखून नहीं काटना
लोगों में रात में नाखून ना काटने को लेकर अंधविश्वास है कि रात में ऐसा करने से किस्मत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जबकि पुराने वक्त में बिजली नहीं होने के कारण रात में नाखून नहीं काटे जाते थे। उस वक्त नाखून काटने के लिए भी औजारों का इस्तेमाल किया जाता था। इससे अंधेरे में उंगिलयों के कटने के कटने का डर भी होता था।

दही खा कर घर से बाहर ना निकलना
किसी भी शुभ काम पर जाने से पहले घर से दही खाकर निकलना शुभ माना जाता है। लेकिन इसके पीछे लॉजिक है कि गर्म मौसम के कारण दही खाने से पेट ठंडा रहता है। साथ ही दही में चीनी मिलाकर खाने से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा सही बनी रहती है।

दरवाजे पर नींबू मिर्ची लटकाना

दरवाजे पर नींबू मिर्ची लटकाने पीछे लोगों का अंधविश्वास है कि ऐसा करने से बुरी ताकतो का साया दूर रहता है। इसके पीछे असली लॉजिक है कि नींबू मिर्ची में मौजूद सायटिक एसिड होता है जो कीड़े-मकौड़ों को घर में घुसने से रोकता है।


नदी में सिक्के फेंकना शुभ माना जाता है—-
अक्सर नदी में सिक्का फेंककर लोग भगवान से अपनी मनोकामना पूरी करने की दुआ मांगते हैं और ऐसा माना जाता है की नदी में सिक्का फेंकने से भाग्य मजबूत होता है ! लेकिन इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण की बात करें तो पहले के समय में ताम्बे के सिक्के हुआ करते थे जो पानी को बैक्टिरिया मुक्त करते थे और इसी लिए पानी में सिक्के डाले जाते थे लेकिन धीरे धीरे लोगों ने इसे भाग्य चमकाने से जोड़ दिया !

बिल्ली का रास्ता काटना—
पुराने समय में लोग जब व्यापार के लिए एक बैलगाड़ियों से एक शहर से दूसरे शहर जाया करते थे, रात के समय में बिल्ली की आंखे चमकती थी जिससे गाय, बैल और घोड़े डर जाया करते थे। इसलिए थोड़ी देर के लिए यात्रा रोक दी जाती थी। इसी आधार लोग आपस में कहने लगे कि जब बिल्ली गुजरे तो थोड़ी देर के लिए रुक जाना चाहिए और यही बाद में अंधविश्वास बन गया।

ग्रहण के समय बाहर ना आना —-
हमारे बड़े अक्सर हमें ग्रहण के समय बाहर निकलने नहीं देते उनके मुताबिक इस दौरान बुरी ताकते हावी हो जाती हैं। जबकि इसके पीछे का असली लॉजिक है कि ग्रहण के वक्त सूर्य की किरणों से त्वचा के रोग हो सकते हैं। साथ ही नंगी आंखों से उसे देखने से लोग अंधे भी हो सकते हैं।

शव यात्रा से लौटने के बाद स्नान करना—
भारत में ऐसी मान्यता है की जब भी शव यात्रा में शामिल हों तो लौटने के बाद स्नान करना जरुरी है क्योंकि ऐसा ना करना अशुभ माना जाता है ! लेकिन इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण की बात करें तो मौत के बाद शरीर में कई हानिकारक बैक्टीरिया जन्म लेते हैं और इनके संपर्क में आने से ये बैक्टीरिया दूसरों के शरीर में फ़ैल सकते हैं इससे बचने के लिए स्नान किया जाता है ताकि ये बैक्टीरिया दूर हो जाएं !




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