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टीबी खोजी दल को 1,135 संभावितों की जांच में मिले 128 नए टीबी मरीज

31 अक्टूबर तक चला सक्रीय टीबी रोगी खोज अभियान

जगदलपुर: राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अन्तर्गत टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान के तहत चलाये जा रहे एक्टिव केस फाइंडिंग कार्यक्रम में 128 नए टीबी पॉजिटीव मरीजों की पहचान की गयी है। जिले में 2,500 से अधिक खोजी दल के द्वारा कुल 9.40 लाख परिवारों के 7.12 लाख सदस्यों की स्क्रीनिंग की गई। वहीं बचे हुए 2.28 जनसंख्या जो कि शहरी (अर्बन स्लम) क्षेत्र के है ,जिनकी स्क्रिनिंग आगामी माह में किया जाएगा। जिसमें से 1,135 संभावित मरीजों की पहचान की गयी। इन टीबी संभावितों को दो सप्ताह से अधिक बुखार, खांसी, रात में पसीना, शरीर में गठान व कमजोरी की समस्या के आधार पर पहचान की गई। इन सभी संभावितों की बलगम जांच टीबी अस्पताल के लैब में कराई गई। यहां की जांच रिपोर्ट के आधार पर 128 नए मरीजों में टीबी की पुष्टि हुयी है अधिकतर मरीज स्क्रीनिंग के दौरान पाए गए लक्षण में से मिले है, जबकि कुछ मरीजों ने स्वयं अस्पताल में आकर जांच करायी जिससे उनमें टीबी की पुष्टि हुई।

जिला क्षय रोग उन्‍मूलन अधिकारी डॉ. सी.आर.मैत्री ने बताया, “जिले में टीबी मरीजों की पहचान करने और टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 10 सितंबर से 30 अक्टूबर तक सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान चलाया गया था । इस दौरान घर-घर टीबी रोगी खोजने हेतु जिले के सभी ब्लाक में 2,500 जाँच दल पहुंचे। उन्होंने बताया, छत्तीसगढ़ को 2023 तक टीबी मुक्त राज्य बनाने के लिए जिले की पूरी जनसंख्या की टीबी जांच कर नए रोगियों की पहचान जरुरी है।“

बीते वर्ष 1,350 टीबी लक्षित मरीजों का हुआ इलाज

जिला क्षय उन्मूलन केंद्र जगदलपुर की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2020 से दिसम्बर 2020 तक जिले में संभावित टीबी व्यक्तियों की जांच संख्या 5,643 थी जिनमे 4,362 व्यक्तियों की जांच की गई। जांच के दौरान संक्रमित पाए गए 1,350 लक्षित मरीजों में से 95 प्रतिशत अथार्त 1,294 मरीजों का इलाज कर उन्हें टीबी मुक्त किया गया है।

लक्षण वाले व्यक्ति रोग को छिपाएं नहीं

सीएमएचओ डॉ. डी.राजन ने बताया, "टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो बैक्टीरिया के कारण फैलता है। इसे तपेदिक या ट्यूबरक्लोसिस भी कहा जाता है। टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति के खाँसने या छीकने से, टीबी के कीटाणु श्वसन के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के शरीर मे प्रवेश करके उसे संक्रमित करता है। यह आमतौर पर फेफड़ों से शुरू होती है। सबसे प्रमुख फेफड़ों की टीबी ही है लेकिन यह ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गला, हड्डी आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। टीबी रोगी के बारे में सूचना देने वाले व्यक्ति गैर वेतनभोगी को 500 रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जा रहे है। इलाज के दौरान रोगी को भी प्रतिमाह 500 रुपये मिल रहा है। बस्तर जिला को टीबी से पूर्णत: मुक्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग कृत-संकल्पित है। इसमें समाज के सभी जागरूक प्रबुद्ध वर्ग, सभी अस्पताल एवं चिकित्सकों एवं निजी अस्पतालों की भूमिका निभाने की आवश्यकता है।




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