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न्यायोचित और ताबड़तोड़ कारवाही का दूसरा नाम अमित शुक्ला..जन्मदिन विशेष

रायगढ़। बिलासपुर के सभ्य ब्राम्हण परिवार में 10 नवम्बर 1979 को जन्मे बालक अमित दो भाइयों में सबसे छोटे संतान है। कहा जाता है पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं,छोटी सी उम्र में ही गलत के खिलाफ बोलने और अन्याय होने पर स्वयं से बड़े उम्र के बच्चों के साथ भी भीड़ जाना मानो इनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था। घरवालों की डांट फटकार पर न्याय की बात और सच के साथ का ढाल ओढे अमित के प्रश्नों का जवाब घरवालों में पास भी नही होता था। लेकिन पिताजी को बचपन मे ही अंदेशा हो गया था कि बच्चे की सोच न्यायपरख है।

जैसे जैसे उम्र बढ़ते गया अमित को ख़ाकीवर्दी लुभाते गयी।जनसेवा और कानून की जानकारी का ज्ञान रखने की चाहत बढ़ते गयी,इसके लिए पढ़ाई के साथ शरीर पर भी विशेष ध्यान देने लगे। फिर आया 2008 जब अमित शुक्ला को उनका पहला प्यार ख़ाकीवर्दी मिल ही गया।

ऐसे दौर में जब लोग पुलिस और खाकी वर्दी से खौफ़ खाते थे उस दौर में आम नागरिक से दोस्ताना ब्यवहार रखने वाले अमित जो तब अमितशुक्ला सर बन गये थे, उन्होंने गरीब,कमजोर,और दबे वर्गों का खुलकर साथ दिया जिससे बहुत कम समय मे उनकी ख्याति रायगढ़ में फैलने लगी। उन्हें एसपी सन्तोष सिंह के हाथों कॉप ऑफ द मन्थ फिर 2 बार इंद्रधनुष पुरुष्कार सहित दर्जनों सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। फिर भी न शोर-शराबा न दिखावा मानो कुछ गर्व का भास नही और न ही अहंकार का लेश मात्र, ऐसे शख्स हैं-अमित शुक्ला।

अभी भी याद है 17 सितम्बर 2020 को पुलिस जूटमिल चौकी अंतर्गत नाबालिक बालिका से उसके पड़ोस में रहने वाला शिवा चौहान उम्र 22 वर्ष गंदी नियत से उसे स्पर्श किया था । घटना के तुरंत बाद चौकी प्रभारी अमित शुक्ला दल बल के साथ मौके पर पहुंचे और आरोपी को गिरफ्तार किये । इतना ही नहीं इस संवेदनशील प्रकरण में आरोपी को कड़ी सजा दिलाने महज 5 दिनों में आवश्यक साक्ष्य एकत्र कर माननीय फास्ट ट्रैक कोर्ट में अभियोग पत्र पेश कराये । टीआई अमित शुक्ला द्वारा प्रभारी एवं बतौर विवेचक अपने पदीय दायित्वों के निर्वहन में दिखाई गई कार्यकुशलता उत्तम दर्जे का होने से उन्हें कॉप ऑफ द मंथ के लिये चुने गये थे।

किरोडीमलनगर ATM लूटकांड में प्रोफेशनल गिरोह को 10 घंटे के भीतर हथियार, लूट की पूरी रकम एवं हथियार के साथ अदम्य साहस और जोखिम उठाकर पकड़ने वाले अमित शुक्ला को पहली बार इंद्रधनुष पुरुष्कार मिला था।

वहीं दूसरी बार पास्को एक्ट के प्रकरण में त्वरित कार्रवाई कर अपराध कायमी के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी कर चार दिनों के भीतर प्रकरण की सम्पूर्ण विवेचना कर चालान पेश करने पर निरीक्षक अमित शुक्ला को दूसरी बार यह सम्मान प्राप्त हुआ।


सारंगढ़ में आते ही शराब,सट्टे और अपराधियों पर ताबड़तोड़ कार्यवाही-
सारंगढ़ में श्री शुक्ला के आते ही सट्टेबाज़ों पर एक ही दिन में जो ताबड़तोड़ कार्यवाही की गयी उससे सट्टे के खाईवालों में मानो हड़कम्प से मच गया है। सबके ज़ुबान पर एक ही बात की इस थानेदार के रहते कोई कितनो भी रसूखदार हो गलत करने वाला नही बच सकता। सट्टे के बड़े खाईवाल तो मानो अंडरग्राउंड हो गये। ऐसे ही लगातार अवैध शराब पर कार्यवाही से अवैध शराब निर्माता और तश्करों कि मानो प्राण सुख गया है। चाहे लाखों की भीड़ सारँगढ़ का प्रसिद्ध गढ़ विच्छेदन हो या ऐतिहासिक शरद पूर्णिमा की भीड़ हर जगह शांति व्यवस्था बनाने में कायम रही सारंगढ़ पुलिस की कमान अमित शुक्ला के सुरक्षित हाथों में ही थी।

सूचना मात्र पर कार्यवाही करने वाला थानेदार- अमित शुक्ला
पत्रकारों के मध्य दादा नेताओ के मध्य महराज और गरीबों और कमजोरों के शुक्ला साहब के उपनाम तो अलग है लेकिन कार्यशैली समान। किसी भी बड़े से बड़े राजनीतिक पकड़ या रसूखदार हों लेकिन अवैध कार्य की सूचना पर तत्काल कार्यवाही करना मानो अमित शुक्ला की आदत सी बन गयी है। बिना विलंब किये मौके वारदात पर पहुंचने से पुलिस की विश्वसनीयता इस कदर बड़ी है जो पहले अकल्पनीय लगती थी।
इसी कारण कहा जाता है कि सारंगढ़ सुरक्षा का बागड़ोर सबसे सुरक्षित हाथों में है जिसे अमित शुक्ला कहा जाता है।




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