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विश्व निमोनिया दिवस विशेष: बच्चों की सामान्य सर्दी-खांसी का उचित उपचार है जरूरी

जगदलपुर: सर्दियों का मौसम शुरू होने के साथ ही निमोनिया जैसी बीमारियों का आना भी शुरू हो जाता है। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है जो हर उम्र के व्यक्तियों को हो सकती है। लेकिन यह सबसे ज्यादा पांच साल तक के बच्चों में पाई जाती है। पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है और वह सुस्त हो जाता है। निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 12 नंवबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य इस बीमारी से बच्चों की होने वाली मृत्यु से बचाना है। विश्व में निमोनिया पांच साल से कम उम्र के बच्चों में होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।

इस सम्बन्ध में सीएमएचओ डा. डी.राजन ने बताया, ‘‘निमोनिया एक या दोनों फेफड़ों में संक्रमण का एक प्रकार है। निमोनिया होने पर फेफड़ों में हवा की थैलियों में संक्रमण या बलगम भर जाता है।निमोनिया सबसे पहले फेफड़े के एक हिस्से को सख्त कर देता है। उसमें शुद्ध हवा का आवागमन बाधित हो जाता है। किन्तु यदि यह गम्भीर हो जाए तो निमोनिया घातक भी हो सकता है। सर्दी के मौसम में निमोनिया का प्रभाव बच्चों पर ज्यादा होता है, बच्चों की सामान्य सर्दी-खांसी का उचित उपचार ना कराना ही आगे चलकर निमोनिया का रूप धारण कर लेती है।“

प्रमुख लक्षण
सांस तेज लेना, कफ की आवाज आना आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं। निमोनिया के आम लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में मुश्किल आदि होते हैं। उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कंपकंपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं। पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है और दूध पीने में भी दिक्कत होती है।

निमोनिया से बचाव
हल्के निमोनिया को घर में आराम, एंटीबायोटिक दवाओं और बहुत से तरल पदार्थों से इलाज किया जा सकता है। बचपन में निमोनिया से बचाव के लिए टीकाकरण कराया जाना चाहिए। निमोनिया के लक्षण सर्दी जुकाम के लक्षणों से बहुत हद तक मिलते हैं। इसलिए जब भी ऐसा लगे तो पहले इसके लक्षणों को पहचान लेना बहुत जरूरी है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसते व छीकते हैं तो इसका वायरस व बैक्टीरिया सांस द्वारा फेफड़ों तक पहुंच कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। खासतौर पर इस बीमारी से बचाव के लिए छोटे बच्चों को संक्रमित व्यक्ति से दूर रखना चाहिए।




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