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वैक्सीन न लेने वालों सावधान ! मुंबई के 96 फीसदी उन मरीजों को देना पड़ा ऑक्सीजन, जिन्होंने नहीं करवाया था वैक्सीनेशन.

मुंबई में ऑक्सीजन सपोर्ट पर 96 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिन्होंने वैक्सीन की डोज नहीं ली थी. मुंबई महानगरपालिका द्वारा पेश किए गए एक डाटा से इस बात का खुलासा हुआ है. विशेषज्ञों का भी यह मानना है कि कोरोना संक्रमित होने पर ज्यादातर उन्हीं लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट या ज्यादा ख़याल रखने की ज़रूरत पड़ रही है जिन लोगों ने अपना वैक्सीनेशन नहीं करवाया है. ऑक्सीजन के सपोर्ट की जरूरत जिन लोगों को पड़ रही है, उनमें से अधिकतर लोग 50 साल से अधिक उम्र के हैं. 

यानी ऑक्सीजन सपोर्ट पर बिना वैक्सीन लिए मरीजों की ज्यादा तादाद यह साफ संकेत देती है कि टीका न लेने वालों को कोरोना का खतरा ज्यादा है. मुंबई में बढ़ते कोरोना केसेस की जांच में हुए इस खुलासे को लेकर बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल ने कहा कि, ‘ऑक्सीजन बेड पर भर्ती कोरोना मरीजों में से 96 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है. इनमें से सिर्फ 4 फीसदी ही ऐसे मरीज हैं जिन्होंने वैक्सीन की डोज ली थी, इसके बावजूद उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ी.’

मुंबई में लगातार 20 हजार से अधिक कोरोना केस सामने आ रहे

मुंबई में लगातार 20 हजार से अधिक कोरोना केस सामने आ रहे हैं. ऐसे में मुंबई में लॉकडाउन की आशंकाओं पर इकबाल सिंह चहल ने कहा कि, ‘ 20 हजार कोरोना केस में से सिर्फ 1980 लोग अस्पतालों में भर्ती हुए. इनमें से सिर्फ 110 लोग ऑक्सीजन बेड पर हैं. मुंबई में 35 हजार से अधिक बेड्स उपलब्ध हैं. इनमें से 5999 बेड्स भरे हैं. यानी 84 फीसदी बेड फिलहाल खाली हैं. ऑक्सीजन की मांग भी नगण्य है. ऐसे में फिलहाल लॉकडाउन की जरूरत नहीं है.’

‘जहां वैक्सीनेशन हुआ है कम, वहां बढ़ेगा संक्रमण’

मुंबई में 1 करोड़ 50 लाख की आबादी है. इनमें से अब तक 108 फीसदी वैक्सीनेशन हो चुका है. दक्षिण अफ्रीका में हाल में कोरोना की लहर पांच हफ्तों में नीचे आ गई थी. हम फिलहाल तीसरे हफ्ते में हैं. मेरा विश्वास है कि आने वाले 10 दिनों में कोरोना केस में कमी आएगी. हम अपने 108 फीसदी वैक्सीनेशन की वजह से वर्मान संक्रमण का अच्छी तरह से मुकाबला कर पा रहे हैं. लेकिन जहां वैक्सीनेशन की रफ्तार कम है, वहां फरवरी-मार्च में कोरोना का असर ज्यादा दिखेगा.’

‘मुंबई में वैक्सीनेशन 108 फीसदी, इसलिए नहीं है चिंताजनक स्थिति’

बीएमसी कमिश्ननर ने कहा कि, ‘कोरोना संक्रमितों की संख्या फिलहाल बहुत ज्यादा अहमियत नहीं रखती है. संक्रमितों की संख्या की बजाए बेड़स की उपलब्धता, ऑक्सीजन की मांग का नियंत्रित रहना जरूरी है. अगर संक्रमितों की संख्या कम भी हुई लेकिन अस्पतालों में मरीजों की भर्तियां ज्यादा होने लगीं और ऑक्सीजन की मांग बढ़ने लगी तब प्रतिबंध कठोर करने या लॉकडाउन लगाने की जरूरत महसूस होगी. फिलहाल लोग ज्यादा संख्या में संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन वैक्सीनेशन के असर से जल्दी ठीक भी हो जा रहे हैं. उन्हें अस्पतालों में भर्ती करने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है. इसलिए अभी लॉकडाउन का समय भी नहीं आया है.’




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