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बंदर की मौत पर हुआ उसका तेरहवीं भोज शामिल हुए 5 हजार लोग, हिंदू रीति रिवाज से किया गया अंतिम संस्कार

मध्य प्रदेश के राजगढ़ में मानवता की अनूठी मिसाल सामने आई. यहां एक बंदर की मौत पर पूरा गांव दुखी हो गया. उसका हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया. वहीं सोमवार को धार्मिक क्रियाओं के तहत गांव के लोगों ने भंडारे का आयोजन किया. 

बंदर का अंतिम संस्कार 11वां तीर्थ नगरी उज्जैन में विधि विधान से किया गया. वहां पहुंचकर गांव के लोगों ने मुंडन कराया और 12वीं पर ग्राम डालूपुरा में 5 हजार लोगों ने प्रसादी ली. डालूपुरा सरपंच अर्जुन सिंह ने बताया कि आज से 12 दिन पहले हमारे गांव में एक बंदर आया था, वह बीमार था. राजगढ़ ले जाकर इलाज कराया गया, लेकिन नहीं बच सका. इसके बाद बंदर का अंतिम संस्कार किया गया. फिर उसका तीसरा का कार्यक्रम कराया और उसकी अस्थियों को ले जाकर उज्जैन में कार्यक्रम कर शिप्रा नदी में विसर्जित कीं.

सरपंच अर्जुन सिंह ने कहा कि बंदर को हम हनुमान जी का रूप मानते हैं, उसमें इंसानी रूप भी देखते हैं. मानव सभ्यता के इतिहास के मद्देनजर बंदर हमारे पूर्वज भी हैं. स्थानीय लोगों ने हिंदू मान्यता के अनुसार उसकी शव यात्रा बैंड बाजे के साथ निकालकर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया था. इसमें पूरा गांव शामिल हुआ. इस दौरान भंडारे में कढ़ी, सेव पूरी और छाछ का प्रसाद गांव वालों में बांटा गया.





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