news-details

शादी के बाद 3 दिन तक दूल्हा-दुल्हन को नहीं जाने देते हैं बाथरूम , चौंकाने वाला है तर्क

हर शहर, हर राज्य, हर देश में अलग अलग जाति, जनजाति के हिसाब से परंपराएं भी बदल जाती है. अंतिम संस्कार और शादी की परंपराओं  को लेकर कई तरह की विभिन्नताएं देखने को मिलती है. 

इनमें आदिवासी जनजातियों में काफी अजीबोगरीब परंपराएं होती हैं, जिनके कई रिवाजों के बारे में आपने इंटरनेट पर पढ़ा भी होगा. कई परंपराएं तो वाकई चौंका देने वाली होती है और लोगों को मानना होता है कि आखिर ये कैसे संभव हो सकता है. ऐसी ही एक परंपरा नॉर्थर्न ब्रोन के लोगों में पॉप्युलर है, जिसके बारे में जानकार आप हैरान रह जाएंगे.

यह परंपरा शादी के बाद की है, जिसमें शादी के बाद शादीशुदा कपल पर कुछ प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं और वो वाकई हैरान कर देने वाले हैं. ऐसे में जानते हैं कि इस वर्ग के लोग ऐसा क्यों करते हैं और इस परंपरा के कौन-कौन से नियम हैं, जिनका पालन करना काफी जरूरी होता है. वैसे अगर ये परंपरा आपके यहां हो जाए तो समझिए काफी मुश्किल हो सकती है, तो जानते हैं इस परंपरा से जुड़ी बातें…


कहां निभाई जाती है ये परंपरा?
यह परंपरा टिडोंग लोग निभाते हैं. टिडोंग एक मूल समूह हैं, जो बोर्नियो के पूर्वोत्तर क्षेत्र से आते हैं. ये लोग इंडोनेशिया और मलेशिया की सीमाओं के दोनों किनारों पर रहते हैं. टिडोंग नाम एक तारकान भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है “पहाड़ी लोग”. इस जनजाति के ज्यादातर लोग किसान हैं, जो मछलीपालन का काम भी करते हैं. ये लोग शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन पर कई तरह की बंदिशें लगा देते हैं, जो नैचुरल कॉल के खिलाफ है.

क्या है परंपरा?
इंटरनेट पर मौजूद कई विदेशी वेबसाइट की रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर परंपरा की बात करें तो इन जनजाति में शादी के बाद नवविवाहित कपल को एक एक कमरे में ला जाता है और उन दोनों को उस कमरे में छोड़ दिया जाता है. 

शादी के बाद दोनों के तीन दिन तक इसी कमरे में रहना होता है. इस कमरे में रहने की खास शर्त ये होती है कि नव विवाहित युगल शादी के अगले तीन दिन तक बाथरूम में नहीं जा सकते. यानी शादी के तीन बाद तक उन्हें वॉशरूम जाने की इजाजत नहीं होती है और इस वजह से वो अपने दैनिक कार्य भी नहीं कर सकते हैं.

जी हां, तीन दिन तक वो ना ही पेशाब करने जाते हैं और ना ही मल त्यागने जाते हैं. इसके अलावा उन्हें तीन दिन नहाने की भी मनाही होती है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर तीन दिन बिना बाथरूम का इस्तेमाल किए कोई व्यक्ति कैसे रह सकता है. 

लेकिन, इस जनजाति के लोगों को ऐसा करना ही होता है. ऐसे में इसके लिए उनके खाने पीने की खास व्यवस्था की जाती है और उन्हें इस हिसाब से खाना दिया जाता है कि उन्हें ज्यादा दिक्कत ना हो. वैसे अगर उन्हें इमरजेंसी होती है तो उन्हें इसे सहन ही करना होता है.

इतना ही नहीं, इन लोगों के लिए खास पर्यवेक्षक भी तैनात किए जाते हैं, जो यह ध्यान रखते हैं कि क्या उन्होंने धोखे से बाथरूम का इस्तेमाल तो नहीं कर लिया है. इसके लिए परिवार के लोग उनका ध्यान रखते हैं.

क्या है मान्यता?
मान्यता है कि इस चुनौती को पार करने वाले जोड़ों का वैवाहिक जीवन अच्छा होगा और लंबे समय तक चलेगा. ऐसा ना करने वाले जोड़ों के वैवाहिक जीवन में दिक्कत हो सकती है. माना जाता है कि अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो जल्द ही उनमें किसी एक व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है. 

इसलिए, विवाह संस्कार के विफल होने के खतरे से बचने के लिए, समारोह को आमतौर पर लोग गंभीरता से लेते हैं. जब कोई जोड़ा चुनौती को पार कर जाता है, तो फिर इसका जश्न भी मनाया जाता है. इस परंपरा को भले ही आप सही समझें या गलत… मगर ये परंपरा यहां कई सालों से चली आ रही है.




अन्य सम्बंधित खबरें