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बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद, चार धाम यात्रा का हुआ समापन...

उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का आज समापन हो गया है. प्रमुख चार धामों में से एक बद्रीनाथ के कपाट आज यानी 19 नवंबर 2022 को बंद हो चुके हैं. बद्रीनाथ धाम के कपाट आज दोपहर 3 बजकर 35 मिनट पर बंद हुए. 

कपाट बंद के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस दौरान भगवान बद्री विशाल के द्वार पर पहुंचे थे तो वहीं भगवान बद्री विशाल का मंदिर 15 कुंतल गेंदे के फूलों से सजाया गया था. इस दौरान कड़ाके की सर्दी के बीच भी बद्रीनाथ धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब दिखाई दिया.

बीते शुक्रवार, मुख्य पुजारी रावल जी द्वारा महालक्ष्मी को न्योता दिया गया और आज दोपहर बाद मां लक्ष्मी को मुख्य पुजारी रावल जी ने स्त्री रूप धारण करवाया, जिसके बाद उन्हें लक्ष्मी मंदिर में प्रवेश करवाया गया. 

वहां से मां लक्ष्मी की प्रतिमा को भगवान बद्री विशाल के समक्ष ले जाया गया और भगवान बद्री विशाल के साथ विराजमान किया गया. इसके बाद भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए.

बद्रीनाथ धाम से पहले ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो चुके हैं. केदारनाथ धाम के कपाट 27 अक्टूबर 2022 को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर बंद हुए थे. इसी के साथ ही श्री गंगोत्री धाम के कपाट 26 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर बंद हुए थे और श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भी 27 अक्टूबर को ही बंद हुए थे.

चार धाम यात्रा के कपाट साल भर में सिर्फ 6 महीने के लिए खोले जाते हैं. सभी धामों के कपाट नवंबर में बंद कर दिए जाते हैं और इन्हें गर्मियां शुरू होने पर अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में खोला जाता है. नवंबर के महीने में यहां बर्फबारी होने के कारण पूरी सर्दियां कपाट बंद रहते हैं.

बद्रीनाथ धाम चार धामों में सबसे मुख्य धाम है. बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है. बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु का वास है, यहां पर उनका विशाल मंदिर बना हुआ है. 

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान नारायण ने खुद बद्रीनाथ धाम की स्थापना की थी, जहां पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं. माना जाता है कि जो व्यक्ति केदारनाथ धाम के दर्शन करने के बाद बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करता है, उसके सारे पाप मिट जाते हैं और मृत्यु बाद उसे मोक्ष मिलता है.




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