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सरायपाली : स्वर्गीय मोहनलाल चौधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मनाया जा रहा विश्व ग्लूकोमा सप्ताह

सरायपाली : स्वर्गीय मोहनलाल चौधरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरायपाली में विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जा रहा है, जिसके संबंध में खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ बी बी कोसरिया ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार 12 से 18 मार्च 23 तक यह सप्ताह मनाया जा रहा है. लोगों में एक निश्चीत उम्र के पश्चात मोतियाबिंद होना एक आम बात है परंतु यदि किसी व्यक्ति के आंख में काला मोतियाबिंद हो जाता है. तो यह एक गंभीर बीमारी है जिसका लक्षण आंखें लाल होना, आंखों की दृष्टि क्षमता में निरंतर परिवर्तन, आंखों में इंद्रधनुष की तरह रंग दिखना इत्यादि है. 

काला मोतियाबिंद से बचाव के लिए हमें 40 वर्ष तक के उम्र के बाद प्रत्येक 6 माह में एक बार आंख की जांच कराना चाहिए,दृष्टि दोष होने पर नियमित चश्मा लगाएं ,कंप्यूटर स्क्रीन टीवी मोबाइल का उपयोग लंबे समय तक ना करें, आंख में किसी भी प्रकार की परेशानी या लक्षण को कभी नजरअंदाज ना करें। खण्ड विस्तार प्रशिक्षण अधिकारी टी आर धृतलहरे ने बताया कि जिस प्रकार गुलाब और गुलाब जामुन सुनने में एक जैसा लगता है जबकि गुलाब फूल होता है गुलाब जामुन एक मिठाई होता है. 

उसी तरह से सफेद मोतियाबिंद व काला मोतियाबिंद भी सुनने में एक जैसा लगता है परंतु ऐसा नहीं है. सफेद मोतियाबिंद में आंख के लेंस में सफेदी हो जाता है जो कि मोती की तरह दिखता है. जबकि काला मोतियाबिंद में ना काला है. ना मोतिया इसमें काला का मतलब आंख के लिए बुरा से होता है. ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर शीतल सिंह ने बताया कि सफेद मोतियाबिंद का ऑपरेशन करके ठीक किया जा सकता है एवं आंखों की रोशनी वापस आ जाती है परंतु काला मोतियाबिंद में लाइफ टाइम दवाई लेना होता है. काला मोतियाबिंद मे ऑपरेशन करके सिर्फ आंखें के बची हुई रोशनी को ही बचाया जा सकता है नेत्र सहायक अधिकारी रोहित कुमार चौहान ने बताया कि आंख में ग्लूकोमा का निर्माण आंख के नस में दबाव से बनता है समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरायपाली के कमरा नंबर 4 में आंखों की बिमारी का संपूर्ण जांच किया जाता है।




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