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मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी दोषी करार, दो साल की जेल, तुरंत मिली बेल…

गुजरात। मोदी सरनेम मानहानि केस में सूरत की कोर्ट राहुल गांधी को दोषी करार दिया है। सूरत की सीजेएम कोर्ट ने सुबह 11 बजे फैसला सुनाते हुए राहुल गांधी को दोषी करार दिया। राहुल को कोर्ट से तुरंत जमानत भी मिल गई। गुजरात की सूरत सेशन कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है। 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरनेम पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सारे चोरों के नाम मोदी कैसे? कोर्ट ने राहुल गांधी से पूछा कि आप क्या कहना चाहते हैं तो राहुल गांधी ने कहा मैं तो हमेशा करप्शन के खिलाफ बोलता हूं। मैंने किसी के खिलाफ जानबूझ नहीं बोला। इससे किसी को नुकसान नहीं हुआ।

मानहानि के केस में कोर्ट में पेश होने के लिए राहुल गांधी आज सुबह सूरत पहुंचे थे। वे पौने 11 बजे सूरत की जिला एवं सत्र अदालत पहुंचे। इसके बाद कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई। जहां पर कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए उन्हें आईपीसी की धारा 504 के तहत मानहानि का दोषी करार दिया। राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का यह मामला दो धाराओं 499 और 504 में था। आईपीसी की धारा 504 में दोषी पाए जाने पर दो वर्ष की सजा का प्रावधान है।
क्या था पूरा मामला?

 


2019 के लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में कहा था कि ‘सारे चोरों के सरनेम मोदी कैसे हैं? राहुल गांधी के इस बयान के बाद सूरत के वेस्ट से बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस कर दिया था। उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी ने मोदी समुदाय का अपमान किया। इसके बाद यह केस सूरत की कोर्ट में पहुंचा था। राहुल गांधी को 9 जुलाई, 2020 को सूरत की कोर्ट में पेश होना पड़ा था। पिछले महीने पूर्णेश मोदी ने केस में जल्दी फैसला करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने सूरत की कोर्ट से तेज सुनवाई का आदेश देते हुए ऊपरी अदालत में सुनवाई की अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद पिछले एक महीने से सूरत कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी। इसमें दोनों पक्षों की तरफ दलीलें रखी गई थी। इस दौरान राहुल गांधी के वकील ने कहा था कि मोदी कोई समुदाय नहीं है। राहुल गांधी के सारे आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लक्षित थे। ऐसे में उन्हें मानहानि का केस करना चाहिए। इसके बाद सूरत कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा ने फैसला सुनाने के लिए 23 मार्च को तारीख निर्धारित की थी।






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