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झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिल सकता है बड़ा झटका, क्या है नीतीश कुमार का मास्टरप्लान

रांची। झारखंड में अगले तीन से चार महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक नया राजनीतिक मोर्चा बनाया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि इस मोर्चे का नेतृत्व बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू कर सकती है। नीतीश कुमार का लक्ष्य झारखंड में अपनी पार्टी के लिए खोई जमीन वापस पाना है और इसके लिए वे कुछ छोटी पार्टियों और राजनीतिक समूहों को अपने साथ ला सकते हैं।

दरअसल, पिछले डेढ़ दशक से झारखंड में नीतीश कुमार की पार्टी का जनाधार लगातार घट रहा है। साल 2000 में जब झारखंड अलग राज्य बना था, तब नीतीश कुमार समता पार्टी के सुप्रीमो थे। उस समय यहां उनकी पार्टी के पांच विधायक थे। 2003 में नीतीश कुमार ने समता पार्टी की जगह जनता दल यूनाइटेड बना ली। उसके बाद 2005 में झारखंड में विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के बीच गठबंधन हुआ। भाजपा ने राज्य की 63 सीटों पर और जदयू ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जदयू ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी।



जेडीयू का 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य

दो दिन पहले रांची में जदयू की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हुई थी, जिसमें विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विचार-विमर्श हुआ था। बताया जाता है कि पार्टी 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य लेकर चल रही है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद खीरू महतो ने कहा कि हमने राज्य में चुनाव लड़ने वाली सीटों की पहचान कर ली है। इसकी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा रही है।

बता दें कि, 2009 के विधान सभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन 2014 के चुनाव में उनकी दोस्ती टूट गई। तब से ही झारखंड में जदयू की जमीन खिसकती रही है। अब जदयू एक बार फिर अपनी पुरानी जमीन हासिल करना चाहती है। पार्टी का फोकस झारखंड में कुर्मी-कोइरी वोटरों पर है। बिहार में इस वोट बैंक पर जदयू की पकड़ मजबूत मानी जाती है। उसकी कोशिश झारखंड के उन इलाकों पर फोकस करने की है, जहां इन दोनों समुदायों की अच्छी खासी आबादी है।






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