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सरायपाली : निःशुल्क टोल की मांग पर हुए आन्दोलन को देखते हुए क्या डर गई है टोल कंपनी ? आन्दोलनकर्ताओं द्वारा लगाये पंडाल को हटाने का नोटिस किया जारी.

छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर सिंघोड़ा-सरायपाली से लेकर आरंग तक राष्ट्रीय राजमार्ग 53 फोर लेन पर आपको सड़कों के किनारे कई अतिक्रमण देखने को मिल जायेंगे जिनपर आज तक टोल प्लाजा कंपनी किसी तरह की कोई कार्यवाही करती नजर नही आई. लेकिन जहाँ बात क्षेत्रवासियों के हक़ की आ रही है वहां अस्थायी रूप से आन्दोलन करने के लिए लगाया गया पंडाल टोल प्लाजा कंपनी के आँखों में खटक रहा है. क्षेत्रवासियों के हक़ को मारने के लिए टोल प्लाजा कंपनी द्वारा छुईपाली में जिलेवासियों के लिए निःशुल्क मांग को लेकर लगाये गए अस्थायी पंडाल को तत्काल हटाने हेतु नोटिस जारी किया है. तो फिर इस फोर लेन के किनारे अब तक वर्षों से हुए अतिक्रमण पर किसी तरह की कोई कार्यवाही ना कर इन कंपनी के कर्मचारी अतिक्रमणकर्ताओं से किसी तरह की कोई मलाई खा रहे हैं.

क्यों नही यह कंपनी एक ऐसा पत्र जारी करती है जिसमे यह लिखा हो कि स्थानीय वासियों के लिए टोल नि:शुल्क केवल बरगढ़ और दुर्ग जिले में किया जाएगा, जबकि अन्य जिलेवासियों से भेदभाव रखते हुए कंपनी द्वारा क्षेत्रवासियों के हक़ को मारकर उनसे टोल वसूला जायेगा. और इसका विरोध करने पर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. क्या इस आन्दोलन को देखते हुए टोल कंपनी को अब यह डर सताने लगा है कि महासमुंद जिले में भी अब नियम के तहत जिलेवासियों को नि:शुल्क टोल की सुविधा देनी पड़ेगी ? आखिर नि:शुल्क टोल को लेकर क्षेत्रवासियों को कौन गुमराह कर रहा है ? शासन ? प्रशासन ? टोल कंपनी ? जब एक जिले में नि:शुल्क टोल का नियम है तो सभी जिले में क्यों नहीं. क्यों नहीं सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा इस पर सार्वजनिक रूप से सभी टोल गेट पर इस नियम को चस्पा किया जाता ? महासमुंद जिलेवासियों से आखिर क्यों भेदभाव किया जा रहा है.




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