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सरायपाली : विद्यालय परिवार सिरबोड़ा में मनाया गया गुरु पूर्णिमा उत्सव

मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार गुरुपूर्णिमा उत्सव विद्यालय परिवार सिरबोड़ा द्वारा मनाया गया । कार्यक्रम की शुरुआत विद्यादायिनी मां सरस्वती भारत माता एवं छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र पर पूजन अर्चन एवं दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना एवं गुरु वंदना से किया गया । उसके पश्चात विद्यार्थियों द्वारा अतिथियों एवं अपने गुरुजनों का स्वागत तिलक लगाकर पुष्पगुच्छ से किया गया साथ ही आरती थाल से आरती उतारकर अपने गुरूजनों का आशीर्वाद लिया । इस कार्यक्रम में बहुत ही सुंदर एवं मनमोहक नृत्य बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया । हमारे जीवन में गुरु का विशेष महत्व होता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। संस्कृत में 'गु' का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं 'रु' का अर्थ होता है प्रकाश (ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।

गुरु को महत्व देने के लिए ही महान गुरु वेद व्यासजी की जयंती पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन भगवान शिव द्वारा अपने शिष्यों को ज्ञान दिया गया था। इस दिन कई महान गुरुओं का जन्म भी हुआ था और बहुतों को ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी। इसी दिन गौतम बुद्ध ने धर्मचक्र प्रवर्तन किया था।
आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व जून से जुलाई के बीच में आता है। इस पर्व को हिन्दू ही नहीं बल्कि जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लोग भी मनाते हैं।

गुरु के बिना इस जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। गुरु का स्थान ईश्वर और माता पिता से भी ऊपर रखा गया है। गुरु ही मुनुष्य को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाते हैं। जिस प्रकार एक सुनार सोने को तपाकर उसे गहने का आकार देता है, ठीक उसी प्रकार एक गुरु भी अपने शिष्य के जीवन को मूल्यवान बनाता है। उसे सही गलत को परखने का हुनर सिखाता है। कहा जाता है कि एक बच्चे की पहली गुरु मां होती है, जो हमें इस संसार से अवगत कराती हैं। वहीं दूसरे स्थान पर गुरु होते हैं जो हमें ज्ञान व भगवान की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं।गुरुजनों ने अपने उद्बोधन में जीवन में गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में प्रथम गुरु हमारी मां होती है तथा दूसरा स्थान हमारे गुरु का होता है । गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊंचा होता है गुरु ही ब्रम्हा,विष्णु और महेश का रूप होता है। किस प्रकार एक गुरु अपने शिष्यों में बिना किसी भेदभाव के सभी से समान भाव रखता है उनकी सफलता को अपनी एवं असफलता को अपनी समझता है । इस कार्यक्रम में हाई स्कूल,उच्च प्राथमिक एवं प्राथमिक शाला के शिक्षक एवं विद्यार्थी सम्मिलित हुए ।इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नलसाय सिदार सेवानिवृत्त शिक्षक ,विशिष्ट अतिथि अभिमन्यु नैरोजी एस एमसी अध्यक्ष रहे । इस कार्यक्रम में संकुल प्रभारी दामोदर महापात्र,गुप्तेश्वर सेठ,सुदाम साहू,गीतांजलि छत्तर,हीरालाल साहू,धर्मेन्द्रनाथ राणा,विजय नायक,क्षीरोद्र कुमार चौधरी, अनिता साहू,महेश कुमार साहू,कमलेश बारीक उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन कक्षा 8वीं की छात्राओं कु.वर्षा, कु.दीपांजली और कु.नियति के द्वारा किया गया । समस्त सांस्कृतिक कार्यक्रम महेश कुमार साहू के कुशल निर्देशन में सम्पन्न हुआ ।




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