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सरायपाली : विकासखंड के विभिन्न विद्यालयों में कौशल विकास,व्यावसायिक शिक्षा एवं डिजिटल पहल का आयोजन किया गया

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के वर्ष पूर्ण होने की उपलक्ष्य में पूरे देश में 22 जुलाई से शिक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रत्येक दिवस के लिए एक थीम निश्चित है इसी कड़ी में आज पंचम दिवस में कौशल विकास का थीम रखा गया है। इसके तहत महासमुंद जिला के जिला शिक्षा अधिकारी मोहन राव सावंत एवं जिला परियोजना अधिकारी डीएमसी कमल नारायण चंद्राकर एपीसी पेडागाजी सम्पा बोस एवं विकासखंड शिक्षा अधिकारी प्रकाशचंद्र मांझी, बीआरसीसी सतीश स्वरूप पटेल के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में विकासखंड के विभिन्न शालाओं में पूर्व व्यावसायिक शिक्षा का संचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में शासकीय प्राथमिक शाला कसडोल में हथकरघा से सूती वस्त्र निर्माण का कार्य सिखाया जा रहा है।विद्यालयों में पूर्व व्यावसायिक शिक्षा छात्रों को व्यवसाय चुनने में ही सहायक नहीं अपितु इसके द्वारा छात्रों का सर्वांगीण विकास भी किया जाता है। आधुनिक युग में बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि शिक्षा में छात्रों को अनुरूप बनाया जाए जिससे वह अपने वास्तविक उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकें व्यावसायिक शिक्षण शिक्षार्थियों को आवश्यक कौशल प्रदान करता है जिससे उसकी रोजगार क्षमता बढ़ती है विकास में सहायता मिलती है व्यावसायिक शिक्षा सीखने का वह भाग है जो छात्रों को व्यवसाय में सफल होने के लिए कौशल प्रदान करता है


१) कौशल विकास - पूर्व व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को विभिन्न कौशलों जैसे कि सिलाई, कारपेंट्री, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में प्रशिक्षित करती है, जो उन्हें भविष्य में उपयोगी साबित होते हैं।

२) रोजगार के अवसर - पूर्व व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को विभिन्न व्यवसायों में रोजगार के अवसर प्रदान करती है, जिससे वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकते हैं।

३) आत्मनिर्भरता- पूर्व व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को आत्मनिर्भर बनाती है, जिससे वे अपने जीवन में स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते हैं।


४) शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार- पूर्व व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है, जिससे उनका शैक्षिक प्रदर्शन बेहतर होता है।

५) भविष्य की तैयारी- पूर्व व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को भविष्य में विभिन्न व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश करने के लिए तैयार करती है, जिससे वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

इन कारणों से, उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पूर्व व्यवसायिक शिक्षा आवश्यक है और छात्रों के भविष्य के लिए अत्यधिक लाभदायक है।

 शिक्षण सप्ताह के पांचवें दिवस विभिन्न प्रकार के कौशल से संबंधित शिक्षा बच्चों को देना है किस संबंध में शासकीय प्राथमिक शाला कसडोल में बच्चों को हथकरघा से सूती वस्त्र निर्माण की विस्तृत जानकारी दी गई कसडोल एक ऐसा ग्राम है जहां आज भी पारंपरिक व्यवसाय के रूप में हारकर घर से संबलपुरी साड़ी का निर्माण किया जा रहा है जिसको बढ़ावा देने के लिए विद्यालय की ओर से भी प्रयास किया जा रहा है जिसके तहत कक्षा पांचवी छठवीं के बच्चे भी हथकरघा से वस्त्र बनाना सीख जा रहे हैं और यहां की साड़ियां देश-विदेश में बिकती हैं जो बहुत ही महंगी होती हैं इन साड़ियों की कीमत 3500 से शुरू होकर शुरू 10000 तक की रुपए में बिकती हैं पूर्व व्यावसायिक शिक्षा के विकासखंड नोडल शिक्षक योगेश कुमार साहू ने उक्त जानकारी दी।


 इसी तरह शासकीय उच्च प्राथमिक शाला कसलबा के बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा में झाड़ू बनाना ,दोना पत्तल,अगरबत्ती ,धूप बत्ती बनाने का कार्य सिखाया गया ।इसमें शाला के सभी शिक्षक मिडिल स्कूल के प्रधान पाठक विमल प्रधान,प्रेमलाल चौहान ,बनिता ठाकुर,सरोज प्रधान,प्रेमशीला प्रधान,सुषमा भोई,प्राथ.शाला प्रधान पाठक देवकी चौधरी सहित 51छात्र- छात्राएं सम्मिलित हुए।साथ ही रसोइया खिरोदिनी थापा ,सफाई कर्मी तरुण बेहरा भी सम्मिलित हुए।


 शास.प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शाला कनकेवा में स्त्रोत केंद्र समन्वयक किशोर कुमार पटेल के मार्गदर्शन में प्रशिक्षक जय कुमारी पटेल व सुषमा पटेल के द्वारा बच्चों को शासकीय उच्च प्राथमिक शाला कनकेवा में शिक्षा सप्ताह के पंचम दिवस में कौशल विकास हेतु बच्चों को विभिन्न प्रकार के कौशलों का अभ्यास करवाया गया जिसके अंतर्गत पैरदान निर्माण व सिलाई कार्य सिखाया गया जिसमें 37 बच्चे व सभी शिक्षकों ने भाग लिया।





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