
देश की सबसे बड़ी एल्युमीनियम उत्पादक कंपनी वेदांता ने विकास को गति देने और भारत के वैश्विक एल्युमीनियम नेतृत्व को मजबूत करने में सरकार के साथ सहभागिता की प्रतिबद्धता दोहराई
भारत सरकार के कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी द्वारा लॉन्च किए गए राष्ट्रीय एल्युमीनियम विज़न डॉक्यूमेंट का वेदांता ने स्वागत किया है। यह एल्युमीनियम सेक्टर के भविष्य को निर्धारित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत को वैश्विक एल्युमीनियम केंद्र बनाने के लिए विकास की रूपरेखा तैयार होगी। इस दस्तावेज़ में उल्लिखित रणनीतिक स्तंभों में शामिल हैं: एल्युमीनियम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना, कच्चे माल में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, न्यून-कार्बन प्रचालन की ओर परिवर्तन तथा वैल्यू-एडेड निर्यात को बढ़ाना; ये रणनीतिक स्तंभ, एक साथ, न सिर्फ घरेलू मांग को पूरा करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करते हैं, बल्कि 2047 तक वैश्विक एल्युमीनियम बाजार में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का दावा करते हुए एक आत्मनिर्भर, विकसित भारत के दृष्टिकोण को पूरा करते हैं।
एल्युमीनियम के सामरिक और राष्ट्रीय महत्व को स्वीकार करते हुए, इस दस्तावेज़ में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे दुनिया भर में विकसित अर्थव्यवस्थाएँ एल्युमीनियम को एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक धातु मानती हैं, जो नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर, रक्षा और उभरती प्रौद्योगिकियों में एक परम आवश्यक भूमिका निभाएगी।
2047 तक भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाने में एल्युमीनियम महत्वपूर्ण होगा। भारत में एल्युमीनियम की माँग 2047 तक छह गुना बढ़ जाएगी और इस माँग को पूरा करने के लिए, भारत को अगले दो दशकों में उत्पादन को मौजूदा 4.5 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) से बढ़ाकर लगभग 37 एमटीपीए करना होगा, जिसके लिए 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक के अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होगी।
विज़न डॉक्यूमेंट के बारे में वेदांता एल्युमीनियम के सीईओ श्री राजीव कुमार ने कहा, ’’आज एल्युमीनियम उद्योग केवल धातु का आपूर्तिकर्ता नहीं है, बल्कि यह भारत की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, नेट-ज़ीरो लक्ष्य और विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर यात्रा का एक प्रमुख प्रवर्तक है। विज़न डॉक्यूमेंट इस बात की पुष्टि करता है कि एल्युमीनियम भविष्य की धातु है, जो भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता, नेट-ज़ीरो महत्वाकांक्षाओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए महत्वपूर्ण है। इस विज़न को वास्तविकता बनाने के लिए तेज़, निर्णायक नीति सुधारों की जरूरत है। इस काम को करने का समय अभी है। यदि हम अपनी संसाधन क्षमता को अनलॉक कर सकते हैं और वैल्यू एडेड मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे सकते हैं, तो भारत न केवल एल्युमीनियम उद्योग के लीडर के रूप में उभर सकता है, बल्कि सस्टेनेबल औद्योगिक विकास का एक प्रकाश स्तंभ भी बन सकता है।’’
विज़न डाक्यूमेंट में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक है, लेकिन वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 6 प्रतिशत है। यह एल्युमीनियम क्षेत्र में मौजूद अपार संभावनाओं की ओर इशारा करता है। जब इसका फायदा असरदार तरीके से उठाया जाएगा, तो इससे सामाजिक-आर्थिक लाभ में भारी वृद्धि होगी, साथ ही देश के दूर-दराज़ इलाकों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सकेगा। एल्युमीनियम उद्योग में हर प्रत्यक्ष रोज़गार के लिए 3.7 गुना अप्रत्यक्ष रोज़गार पैदा करने की क्षमता है।
विज़न डॉक्यूमेंट इस बात पर ज़ोर देता है कि भारत में एल्युमीनियम की माँग तेज़ी से बढ़ रही है और इस माँग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश, समय पर क्रियान्वयन और नीतिगत सुधारों की आवश्यकता होगी। भविष्य की माँग को पूरा करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए, 2030 तक बॉक्साइट उत्पादन को 50 एमटीपीए और 2047 तक 150 एमटीपीए तक बढ़ाना, स्ट्रक्चर्ड स्क्रैप कलेक्शन और रीसाइक्लिंग के माध्यम से सर्कुलरिटी को बढ़ावा देना, खपत की तीव्रता बढ़ाना और संपूर्ण उत्पादन मूल्य श्रृंखला में गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है। उद्योग 4.0 को अपनाने, डिजिटलीकरण, एआई और स्वचालन का लाभ उठाने के साथ यह क्षेत्र तरक्की के लिए तैयार है।
चूँकि, भारत अपने एल्युमीनियम भविष्य की नई परिभाषित गढ़ने के लिए तैयार है; वेदांता, एल्युमीनियम सेक्टर को सतत विकास, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता और राष्ट्रीय लचीलेपन के लिए अग्रणी बनाने में सरकार के साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहा है।