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हम कल के हथियारों से आज की लड़ाई नहीं जीत सकते - चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि हम कल के हथियारों से आज की लड़ाई नहीं जीत सकते. विदेश से इम्पोर्ट की गई टेक्नोलॉजी पर निर्भरता हमारी युद्ध तैयारियां कमजोर करती है. यह हमें कमजोर बना रही है.

ऑपरेशन सिंदूर ने हमें दिखाया कि हमारे लिए स्वदेशी C-UAS (काउंटर-अनमैंड एरियल सिस्टम) यानी एंटी ड्रोन सिस्टम क्यों जरूरी है. हमें अपनी सुरक्षा के लिए इन्वेस्टमेंट करना होगा. ये हमारे देश के सीडीएस का बयान हैं, जिनका कहना है कि कल की तकनीक से आज की जंग नहीं जीती जा सकती, सीडीएस चौहान ने स्वदेशी ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया.

ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि विदेशी तकनीक पर निर्भरता राष्ट्रीय तैयारियों को कमजोर करने के साथ ही उत्पादन को सीमित करती है, क्योंकि चौबीसों घंटे उपलब्धता के लिए महत्वपूर्ण पुर्जों की कमी होती है. बयान सीडीएस का है, तो गंभीर भी है, और इसे हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए, सवाल देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा है, तो मुद्दा ये है कि सीडीएस को ऐसा बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी, जो देश को रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनाए जाने का दावा करते हैं.

बहरहाल बात सीडीएस के बयान की हो रही थी, तो जान लीजिए कि इसके पहले उप सेना प्रुमख ने भी कहा था कि हमारी लड़ाई दो दुश्मनों से है, फ्रंट पाकिस्तान है, लेकिन उसके पीछे चीन है, और बात जब चीन की हो रही है, तो आपको जानना चाहिए कि कल विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के राष्ट्रपति शी चिंगपिंग से मुलाकात की है, लेकिन ये पता नहीं चल सका, कि भारत ने चीन के सामने विरोध प्रकट किया या नहीं, कहने का मतलब भारत ने चीन को लाल आखें दिखाई या नहीं, बहरहाल सीडीएस के बयान को देश को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए, सरकार को संज्ञान लेना चाहिए.


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