
15वे वित्त में वित्तीय अनियमितता का मामला आया सामने, गाँव में पंचायत पत्रकारों को दे रही शासन से कहीं ज्यादा राशि
बलौदाबाज़ार विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मुण्डा में वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है, आरोप है है पंचायत में 15वे वित्त की राशि में बंदरबांट किया गया है, वहीँ चुनाव के समय आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी किया गया है।
इस गाँव में 15वें वित्त के नाम पर पत्रकारों को भी रेवड़ी बांटी गई है, जितनी राशि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पत्रकारों के लिए जारी नहीं की जा रही उससे कहीं अधिक राशि पंचायतों से पत्रकारों को मिल रहा है. जिससे घोर भ्रष्टाचार होना साफ समझ आता है। यहाँ तक की
20 जनवरी 2025 को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आचार संहिता लागू की गई थी। इसके बावजूद पंचायत सचिव एवं तत्कालीन सरपंच ने 22 जनवरी को डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग कर वित्तीय स्वीकृति प्रदान की, जो कि आचार संहिता का प्रत्यक्ष उल्लंघन है, क्योंकि MCC लागू होने के बाद किसी भी प्रकार के प्रशासनिक निर्णय या व्यय की अनुमति नहीं होती। यह निर्वाचन आयोग के नियमों का सीधा उल्लंघन है, लेकिन प्रशासन मौन है।
राष्ट्रीय पर्वों के नाम पर राशि का दुरुपयोग
15 अगस्त और 26 जनवरी को मिठाई वितरण के नाम पर पिछले 5 वर्षों में लाखों रुपये उमंग होटल, लाहोद को भुगतान किए गए हैं। जबकि 15वें वित्त की राशि का उपयोग केवल शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और बुनियादी ढांचागत विकास के लिए ही किया जा सकता है। यह नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।
जनप्रतिनिधि के खाते में सीधे राशि का ट्रांसफर
तत्कालीन पंच प्रवीण कुमार के खाते में नल एवं पंप मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये ट्रांसफर किए गए, जबकि उनके पास कोई पंजीकृत एजेंसी नही है, जबकि मुण्डा बस्ती में पिछले 3 वर्षों से नलों से पानी की आपूर्ति नही हुआ हैं, लोग आज भी दूर बोरिंग से पानी लाने मजबूर है। यह राशि सीधे किसी जनप्रतिनिधि को नहीं दी जा सकती, फिर भी नियमों की अनदेखी कर भारी भ्रष्टाचार किया गया।
समाचार प्रकाशन के नाम पर बंदरबांट
राजक न्यूज एजेंसी के खाते में लाखों रुपये का भुगतान समाचार प्रकाशन के नाम पर किया गया है, जबकि 15वें वित्त की राशि का उपयोग ऐसे कार्यों में नहीं किया जा सकता। यह पूरी तरह से मनमाने तरीके से चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है।
एक ही परिवार को दो आवास – प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योजना दोनों का दुरुपयोग
ग्रामीण विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार और पक्षपात का एक और गंभीर उदाहरण सामने आया है जहाँ तत्कालीन सरपंच एवं सचिव द्वारा एक ही परिवार को जानबूझकर प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-G) और मुख्यमंत्री आवास योजना 2023 दोनों का लाभ दे दिया गया है, जो नियमों का घोर उल्लंघन है। एक ही परिवार में पति को प्रधानमंत्री आवास योजना और पत्नी को मुख्यमंत्री आवास योजना 2023 के तहत जानबूझकर लाभ दिया गया है।
नल के नाम पर खर्च, लेकिन गांव प्यासा
नल मरम्मत एवं निर्माण के नाम पर लाखों खर्च कर दिए गए हैं, लेकिन गांव में आज भी लोगों को पीने का पानी दूर के हैंडपंपों से लाना पड़ रहा है।
अपने चहेतों के खातों में सीधी राशि ट्रांसफर:
ग्राम पंचायत की राशि को सीधे निजी व्यक्तियों – जैसे नंदराम वर्मा, दिनेश वर्मा, दुकालू दास, परमानंद साहू, सुरेश वर्मा कृषि केन्द्र एवं अन्य – के खातों में ट्रांसफर कर, बिना किसी पंजीकृत एजेंसी के, निकासी की गई है। यह प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
पूर्व में की गई शिकायत के बावजूद प्रशासन मौन:
इस पूरे प्रकरण को लेकर सुशासन तिहार अंतगर्त ग्राम पंचायत लहोद शिविर में भी भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत की जा चुकी है। शिकायत के साथ दस्तावेजी प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए थे, फिर भी जिला प्रशासन और स्वयं कलेक्टर द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। यह प्रशासनिक उदासीनता गंभीर सवाल खड़े करती है।
RTI से हुआ खुलासा – ग्राम पंचायत मुण्डा में भ्रष्टाचार का गहरा जाल
ग्राम पंचायत मुण्डा में 15वें वित्त आयोग की राशि में हो रहे भ्रष्टाचार पर अब RTI से बड़ा खुलासा हुआ है। आवेदक द्वारा वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक ग्राम पंचायत द्वारा किए गए व्ययों की पंचायत प्रस्ताव एवं बिलों की प्रतियाँ मांगी गई थीं, किन्तु जानकारी में केवल प्रस्ताव पत्र ही दिए गए हैं, जिनपर केवल सचिव एवं सरपंच के हस्ताक्षर हैं, किसी भी कार्य का बिल या भुगतान प्रमाण संलग्न नहीं किया गया है। इससे साफ़ होता है की सरपंच एवं सचिव द्वारा मनमाने रूप से राशी ट्रान्सफर कर भ्रष्टाचार किया गया है, आपको बता दे की पिछले 5 वर्षो में 15 वे वित्त अंतर्गत ग्राम पंचायत मुंडा में लगभग 90 लाख, बाज़ार ठेका से लगभग 5 लाख, मुलभुत से लगभग 12 लाख एवं तालाब को ठेके पर देने से लगभग 5 लाख, गाँव वाले बताते है कि कुल 1 करोड़ से अधिक राशि ग्राम पंचायत को पिछले 5 वर्षो मे शासन से मिला था लेकिन सरपंच एवं सचिव द्वारा 15 लाख का कार्य भी नही कराया गया है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्राम पंचायत मुंडा मे कितना भ्रष्टाचार हुआ है ।