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बसना बीज प्रक्रिया केंद्र में भ्रष्टाचार का बीज पनपा, फर्जी खरीदी, रिश्तेदारों की भर्ती और मजदूरों के शोषण का गंभीर आरोप, कृषि मंत्री से की शिकायत

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार को सुशासन और पारदर्शिता की पहचान के रूप में जाना जाता है, परंतु इन्हीं मूल्यों को धूमिल करने वाला एक मामला बसना ब्लॉक के बीज प्रक्रिया केंद्र से सामने आया है। यहां के प्रबंधक गिरजा शंकर पटेल पर किसानों ने भ्रष्टाचार, फर्जी खरीदी, रिश्तेदारों की नियुक्ति और मजदूरों के शोषण जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। क्षेत्र के कृषकों ने कृषि मंत्री, एपीसी कार्यालय रायपुर तथा बीज निगम संस्था को ज्ञापन सौंपकर विस्तृत जांच एवं तत्काल निलंबन की मांग की है।

किसानों का आरोप है कि केंद्र में बीते मार्च 2025 से चल रही अनियमितताओं की शिकायतों को दबाने का काम लगातार किया जा रहा है। कृषकों का कहना है कि उन्होंने मार्च 2025 में ही विभागीय अधिकारियों को लिखित शिकायत दी थी, परंतु जांच के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई गई और मामला दबा दिया गया। किसानों ने आरोप लगाया कि प्रबंधक को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही। अब स्थिति यह है कि किसानों में निराशा और आक्रोश दोनों बढ़ रहा है।शिकायतकर्ताओं में भाजपा मंडल बसना के पूर्व अध्यक्ष सुधीर नाग, भाजपा मंडल गढ़फुलझर के पूर्व अध्यक्ष जितेंद्र त्रिपाठी, कृषक बंशीधर चौधरी (गुढ़ियारी), किशन पटेल (छांदनपुर), अर्जुन साव (नवागांव-गनेकेरा), बरतराम गिधा (मुड़ा) और राधेश्याम नाग (बड़ेडाभा) सहित अनेक किसान शामिल हैं।

इन सभी ने कृषि मंत्री से मांग की है कि शिकायतकर्ता कृषकों की उपस्थिति में निष्पक्ष जांच कर दोषी बीज प्रक्रिया केंद्र प्रबंधक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए तथा बसना केंद्र में किसी योग्य, निष्पक्ष अधिकारी की नियुक्ति की जाए।

कृषकों ने बताया कि खरीफ सीजन 2024-25 में बीज प्रक्रिया केंद्र बसना द्वारा अभिलेखों में 19,250 क्विंटल धान की खरीदी दर्शाई गई है, जबकि वास्तविक खरीदी इससे काफी कम रही। आरोप है कि धान खरीदी की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद भी चोरी-छिपे खरीदी जारी रखी गई, जिससे शासन को लाखों रुपये का नुकसान हुआ। इस फर्जीवाड़े के चलते जहां कुछ किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाया, वहीं कुछ लोगों को विशेष लाभ पहुंचाया गया। किसानों का कहना है कि “बीज प्रक्रिया केंद्र को निजी व्यापारिक संस्था की तरह चलाया जा रहा है”।

शिकायत में कहा गया है कि प्रबंधक ने अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए पुराने अनुभवी कर्मचारियों को दबाव डालकर पहले इस्तीफा लिखवाया गया फिर उन्हें हटा दिया गया। बीज निगम के कर्मचारी लक्ष्मी प्रसाद पटेल (ऑपरेटर), शोएब दयाल (ऑपरेटर), भोजराज देवता (मुंशी), जो 12 वर्षों से कार्यरत थे, और नवीन साहू (अकाउंटेंट), अजय टांडी (ड्राइवर) व मुकेश दास (चौकीदार), जो 7 वर्षों से सेवा दे रहे थे, सभी को जबरन इस्तीफा देने को बाध्य किया गया। इनकी जगह भतीजा नरेंद्र पटेल (झारबंद भंवरपुर), साला जीवनलाल पटेल (बिजराभांठा-सांकरा) और साढू लोकेश पटेल (छांदनपुर) को नियुक्त कर दिया गया। किसानों का कहना है कि ये नियुक्तियां बीज प्रक्रिया केंद्र का भ्रष्टाचार बाहर ना जा सके और अपने रिश्तेदारों को फायदा हो सके इसलिए ऐसा किया गया।

मजदूरों से प्रबंधक द्वारा अपने घर के निजी कार्य करवाए जाने और भुगतान बीज निगम के खाते से कराने के आरोप भी लगाए हैं। मजदूरों के वेतन रोके जाने और उन्हें धमकाने की शिकायतें लगातार की जा रही हैं।

फर्जी भुगतान : साढू के खाते में मजदूरी की ₹1,25,280 की रकम

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बीज प्रक्रिया प्रबंधक ने 27 अप्रैल से 28 मई 2025 के बीच मजदूरी भुगतान हेतु पंजाब नेशनल बैंक को आदेश दिया था। 18 मजदूरों के नाम पर कुल ₹2,85,360 का भुगतान किया गया, जिसमें से अकेले लोकेश पटेल, जो कि प्रबंधक का साढू है, को ₹1,25,280 का भुगतान किया गया।अन्य मजदूरों को ₹2,436 से ₹10,092 तक राशि दी गई, जबकि लोकेश पटेल को असामान्य रूप से अधिक रकम दी गई। कृषकों ने इसे सीधे रिश्तेदार को लाभ पहुंचाने का मामला बताते हुए जांच की मांग की है।

खरीफ सीजन की समयसीमा तोड़कर जून में की गई ग्रेडिंग

शासन के नियमानुसार खरीफ सीजन में स्वर्णा धान की ग्रेडिंग केवल 28 फरवरी तक की जा सकती है।परंतु 21 और 22 जून 2025 को पास के निजी गोदाम में छुपा कर रखा गया बाद में तड़के बीज निगम परिसर में रात 3 से 4 बजे के बीच ट्रैक्टर से बाहर से मंगाए गए स्वर्णा धान की ग्रेडिंग की गई। पूर्व कर्मचारियों द्वारा इसका वीडियो फुटेज भी तैयार किया गया, जिसमें ट्रैक्टर में धान उतरते समय प्रबंधक की गाली-गलौज और धमकी की आवाजें दर्ज हैं। केंद्र में लगे 38 सीसीटीवी कैमरे महीनों से खराब हैं, जिससे स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार को छिपाने की तैयारी पहले से की गई थी।

औचक निरीक्षण में 1504.60 क्विंटल धान की कमी

19 जून 2025 को ग्राम खेमड़ा स्थित बीज प्रक्रिया केंद्र का संयुक्त प्रशासनिक दल द्वारा औचक निरीक्षण किया गया।इस दौरान 12652.60 क्विंटल दर्ज धान के मुकाबले केवल 11148 क्विंटल धान ही भौतिक रूप से उपलब्ध पाया गया, अर्थात 1504.60 क्विंटल धान (लाखों रुपए) की कमी दर्ज की गई।

निरीक्षण दल में एसडीओ (राजस्व), नायब तहसीलदार बसना, राजस्व निरीक्षक, मंडी उपनिरीक्षक और हल्का पटवारी शामिल थे। टीम ने पंचनाम बनाकर रिपोर्ट कलेक्टर महासमुंद को भेजी, परंतु अब तक किसी भी स्तर पर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई।

राइस मिल से खरीदे गए धान का ग्रेडिंग, लाखों का फर्जीवाड़ा

बीज निगम नियमों के अनुसार केवल पंजीकृत किसान ही धान बीज बनाने हेतु केंद्र में जमा कर सकते हैं। परंतु राइस मिलर शंकर अग्रवाल (पितावली राइस मिल, खेमड़ा) ने अपने लिखित बयान में बताया कि उन्होंने लोकेश पटेल (प्रबंधक का साढू) को 1200 पैकेट स्वर्णा धान बेचा, जिसे 4 जून से 17 जून 2025 के बीच ट्रैक्टर और ट्रक में बीज निगम में खाली किया गया। इस धान की कीमत लाखों रुपए है। कृषकों का कहना है कि इस तरह मिल से धान खरीदकर उसे बीज निगम में “पंजीकृत किसानों के नाम पर चढ़ा कर उनके नाम के खाते के बजाय प्रबंधक द्वारा अपने रिश्तेदार के खाता नंबर का उपयोग कर राशि ट्रांसफर करवाया गया जिससे प्रबंधक एवं रिश्तेदारों को लाखों रुपए का फायदा हुआ इस तरह बीज प्रक्रिया केंद्र प्रबंधक के द्वारा लाखों रुपया का भ्रष्टाचार किया जा रहा है किसानों के द्वारा मामले की जांच एवं जांच उपरांत कार्रवाई की मांग की गई है।

“शिकायत हेड ऑफिस को की गई थी जांच 21 जुलाई 2025 को उसके बाद दो बार और जांच हुई है जांच में शिकायत सही नहीं पाई गई है। वहीं पूर्व कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत थी। जिसके कारण उन्होंने स्वयं स्तिफा दिया है । दबाव दे कर कोई स्तिफा नहीं होता उनका ये कहना गलत है। किसानों द्वारा मेरे खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद है ।“ - गिरजा शंकर पटेल, प्रबंधक बीज प्रक्रिया केंद्र बीज निगम बसना



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