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बसना : छात्राओं ने सरस्वती साइकिल योजना में बदलाव की मांग की

काले रंग की 24 इंच साइकिल के बजाय 20 इंच रंगीन साइकिल देने की उठी मांग

सी डी बघेल; बसना। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित सरस्वती साइकिल योजना का उद्देश्य ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों की आठवीं की पढ़ाई करने के बाद हाई स्कूल जाने 9 वीं कक्षा के छात्राओं को विद्यालय आने-जाने में सुविधा प्रदान करना है। इस योजना के तहत छात्राओं को 24 इंच आकार की काले रंग की साइकिल नि:शुल्क दी जाती है। लेकिन अब छात्राओं ने इस साइकिल के स्वरूप को लेकर असंतोष व्यक्त किया है और शासन से मांग की है कि इस योजना में बदलाव कर 20 इंच की रंगीन (कलरफुल) साइकिलें दी जाएं।

छात्राओं का कहना है कि शासन द्वारा दी जाने वाली काले रंग की साइकिल आकार में बड़ी और भारी होती है, जिससे न केवल उसे चलाने में कठिनाई होती है बल्कि देखने में भी आकर्षक नहीं लगती। यही कारण है कि कई छात्राएं साइकिल मिलने के 15–20 दिन बाद ही उसे मात्र एक हजार रुपए में कबाड़ में बेच देती हैं। कुछ छात्राएं तो कबाड़ में दी गई साइकिल के पैसों से अपनी पसंद की छोटी रंगीन साइकिल खरीद लेती हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि शासन की यह योजना अपने वास्तविक उद्देश्य से भटक रही है। 

स्थानीय साइकिल विक्रेताओं का कहना है कि शासन द्वारा जिस दर पर 24 इंच की काले रंग की साइकिल उपलब्ध कराई जाती है, उसी लागत में बाजार में 20 इंच की मजबूत और आकर्षक रंगीन साइकिलें उपलब्ध हैं। विक्रेताओं ने यह भी बताया कि रंगीन साइकिलें वजन में हल्की, टिकाऊ और चलाने में सुविधाजनक होती हैं, जिससे छात्राओं का विद्यालय आने-जाने का उत्साह बढ़ेगा। कुछ सालों पहले जब साइकिल के बदले मनपसंद की साइकिल खरीदने के लिए रकम दी जाती थी। तब स्कूली छात्राएं इसी 20 इंच की कलरफुल साइकिल खरीदते थे। छात्राओं के घरों में खड़ी अनुपयोगी साइकिलें एवं सायकिल मिलने के बाद उसके बदले कलर फूल सायकिलों से छात्राओं का स्कूल आना इस बात का प्रमाण हैं कि वर्तमान साइकिलें छात्राओं की पसंद और सुविधा के अनुरूप नहीं हैं। कई शिक्षकों ने भी स्वीकार किया है कि छात्राएं योजना के तहत दी गई साइकिलों का नियमित उपयोग नहीं कर रहीं अभिभावकों ने भी शासन से अनुरोध किया है कि योजना की समीक्षा कर छात्राओं की वास्तविक जरूरतों के अनुसार साइकिल का मॉडल और डिजाइन बदला जाए। उनका कहना है कि यदि शासन 20 इंच की रंगीन साइकिलें उपलब्ध कराए तो न केवल योजना का उद्देश्य सार्थक होगा, बल्कि छात्राओं की उपस्थिति और विद्यालय से जुड़ाव भी बढ़ेगा। इस प्रकार, छात्राओं, अभिभावकों का एक समान मांग है कि सरस्वती साइकिल योजना में बदलाव लाकर 20 इंच की रंगीन साइकिलें प्रदान की जाएं, जिससे यह योजना फिर से लोकप्रिय और प्रभावी बन सके।

कबाड़ में मिलते हैं सरस्वती साइकिल के नए पार्ट्स

सरस्वती साइकिल योजना के अंतर्गत हाई स्कूल की कक्षा नौवीं के विद्यार्थियों को दी जाने वाली 24 इंच की काले रंग की साइकिलें अब कबाड़ के ढेर में पहुंच रही हैं। जानकारी के अनुसार, साइकिल मिलने के कुछ ही दिनों बाद अधिकांश बच्चे इन साइकिलों को गांव-गांव घूमने वाले कबाड़ वाहन को मात्र ₹1000 से ₹1100 में बेच देते हैं। कबाड़ व्यापारी इन साइकिलों को उनके पार्ट्स अलग-अलग कर बेचते हैं। उदाहरण के लिए, बाजार में ₹100 का हैंडल कबाड़ से मात्र ₹50 में मिल जाता है। इसी तरह सीट, पैडल, ब्रेक और टायर जैसी नई वस्तुएं भी कबाड़ बाजार में सस्ते दामों पर बिकती हैं। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि शासन की सरस्वती साइकिल योजना के अंतर्गत दी जा रही साइकिलें विद्यार्थियों के उपयोग में नहीं आ रहीं । इससे योजना की प्रभावशीलता और उद्देश्य — छात्राओं को विद्यालय तक पहुंचाने की सुविधा — दोनों पर प्रश्नचिह्न लग रहा है।


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